नई दिल्ली: कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को कहा कि बिहार में होने वाले चुनाव से पहले अत्यंत पिछड़ी जातियों (EBCs) के खिलाफ अत्याचार रोकने के लिए इंडिया ब्लॉक एक कानून लाएगा. साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के जाति-आधारित रैलियों पर प्रतिबंध को भी आलोचना का निशाना बनाया.
पटना में पार्टी की वर्किंग कमेटी की बैठक में खरगे ने उत्तर प्रदेश सरकार के कदम की निंदा की. वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने भी EBCs के लिए इंडिया ब्लॉक की 10-सूत्री योजना पेश करते हुए इस मुद्दे पर अपनी बात रखी. यह 10-सूत्री योजना विशेष रूप से EBCs के लिए तैयार किया गया मैनिफेस्टो है, जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम जैसी कानून बनाने का प्रस्ताव भी शामिल है.
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी इस अवसर पर मौजूद थे. बिहार सरकार के 2023 के सर्वे के अनुसार, EBCs राज्य की आबादी का 36 प्रतिशत हैं. योजना पेश करने से पहले कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक चार घंटे से अधिक चली.
इंडिया ब्लॉक ने EBCs के लिए पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों में आरक्षण बढ़ाकर वर्तमान 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत करने का भी वादा किया है. यह रणनीतिक कदम उन मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, जो परंपरागत रूप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडी(यू) के समर्थक माने जाते हैं.
बिहार में EBCs के लिए आरक्षण का इतिहास 1978 से शुरू हुआ, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने मुंगेरी लाल कमीशन की सिफारिशों को लागू करते हुए समुदाय के लिए 12 प्रतिशत कोटा पेश किया.
राहुल गांधी ने कहा कि विपक्ष की 10-सूत्री योजना में बेघर शहरी गरीबों को तीन डिसमल (लगभग 1,300 वर्ग फुट) और ग्रामीण गरीबों को पांच डिसमल (लगभग 2,177 वर्ग फुट) भूमि देने का वादा शामिल है. यह लाभ ईबीसी, एससी, एसटी और अन्य पिछड़ी जातियों के लिए होगा.
राहुल ने कहा, “उत्तर प्रदेश में जाति-आधारित प्रदर्शन अब प्रतिबंधित हैं. यह एक सोच है. दूसरी ओर हमारी सोच है. हम EBCs को एक विज़न देना चाहते हैं. हमने ईबीसी समुदाय से परामर्श के बाद ये 10 सूत्र तैयार किए हैं. यह केवल पार्टी के वादे नहीं हैं.”
विपक्ष ने सरकारी ठेकों में 50 प्रतिशत आरक्षण का वादा भी किया है, जिनकी कीमत 25 करोड़ रुपये तक है, साथ ही राज्य के निजी स्कूलों में ईबीसी बच्चों के लिए आरक्षण देने की योजना भी है.
पटना के सदकात आश्रम में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यूपी सरकार के जाति-रैली प्रतिबंध पर जवाब मांगा.
उन्होंने कहा, “यह चौंकाने वाला है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, जो खुद को पीएम मोदी का राजनीतिक वारिस मानते हैं, अब जाति-आधारित रैलियों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं. एक ओर वे जाति जनगणना की बात करते हैं और दूसरी ओर जाति आधारित अन्याय के खिलाफ प्रदर्शन दबाते हैं. प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए कि क्या यह स्वीकार्य है.”
बैठक में कांग्रेस ने राजनीतिक प्रस्ताव भी पारित किया, जिसमें केंद्र की विदेशी और आर्थिक नीतियों की आलोचना की गई. प्रस्ताव में राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ और बिहार में विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ अभियान की सराहना की गई.
प्रस्ताव में कहा गया है, “चुनावी मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर वोट चोरी और धांधलियों के खुलासे ने हमारी लोकतंत्र की नींव पर विश्वास हिला दिया है. यह बीजेपी के लिए मनगढ़ंत बहुमत बनाने की साजिश को उजागर करता है. चुराए गए मतों और तैयार की गई वोटर लिस्ट पर बनी सरकार का कोई नैतिक या राजनीतिक वैधता नहीं है. वोट चोरी संविधान, अर्थव्यवस्था, सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय सुरक्षा पर हमले से अलग नहीं है.”
प्रस्ताव में बीजेपी-आरएसएस पर भारत के सामाजिक ताने-बाने को व्यवस्थित रूप से विषैला बनाने का आरोप भी लगाया गया. इसमें सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, नफरत फैलाने वाला प्रचार और अल्पसंख्यकों को बदनाम करने की रणनीति शामिल है.
प्रस्ताव में कहा गया, “सरकार के उच्चतम स्तर पर आरएसएस को मुख्यधारा में लाने के अपमानजनक प्रयास किए गए हैं. यह संगठन भारतीय संविधान के प्रति अपनी निष्ठा साबित नहीं कर पाया है. हमारे लोकतंत्र के मूल सिद्धांत—स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय—ईंट दर ईंट तोड़े जा रहे हैं.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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