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Tuesday, 23 September, 2025
होमदेशमहिला से अनचाही बातचीत परेशान करने वाली, लेकिन उसकी संकोच भावना को चोट पहुंचाने वाली नहीं—पंजाब-हरियाणा HC

महिला से अनचाही बातचीत परेशान करने वाली, लेकिन उसकी संकोच भावना को चोट पहुंचाने वाली नहीं—पंजाब-हरियाणा HC

PGIMS रोहतक में एक एनेस्थीसियोलॉजिस्ट के खिलाफ दर्ज FIR को हाईकोर्ट ने रद्द किया, जिसके खिलाफ एक महिला डॉक्टर ने शिकायत दर्ज कराई थी.

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गुरुग्राम: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी महिला से अनचाही बातचीत करने की कोशिश परेशान करने वाली हो सकती है, लेकिन यह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 के तहत उसकी संकोच भावना को आहत करने के बराबर नहीं है, जब तक कि इसमें कोई आपराधिक बल या हमला शामिल न हो.

रोहतक के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (PGIMS) में एक महिला डॉक्टर द्वारा जुलाई 2020 में एक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करते हुए, न्यायमूर्ति कीर्ति सिंह ने 18 सितंबर को फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि घटना में आवश्यक इरादा या शारीरिक तत्व मौजूद नहीं था जो आपराधिक आरोप लगाने के लिए ज़रूरी हैं.

मामले के विवरण के अनुसार, यह घटना PGIMS रोहतक की लाइब्रेरी में हुई, जहां आरोपी ने शिकायतकर्ता के पास जाकर उनका अभिवादन किया और बातचीत शुरू करने की कोशिश की. उसने कहा कि उसने उन्हें स्कूटी पर देखा है और वह एनेस्थीसिया का निवासी है.

भले ही महिला ने साफ इंकार किया और रुचि न होने का संकेत दिया, आरोपी थोड़ी देर तक बातचीत करने की कोशिश करता रहा और फिर बिना किसी शारीरिक संपर्क या धमकी के चला गया. इसके बावजूद, शिकायतकर्ता ने 26 जुलाई 2020 को PGIMS पुलिस स्टेशन में IPC की धारा 354A (यौन उत्पीड़न) और 451 (अनधिकृत प्रवेश) के तहत एफआईआर दर्ज कराई.

मुकदमे के दौरान उसने कहा कि आरोपी के खिलाफ उसके पास कोई अन्य शिकायत नहीं है. उसने बताया कि आरोपी लाइब्रेरी में उसके पास बैठा और “हाय” कहा, जिसे उसने गुस्से में देखा और पढ़ाई में व्यस्त रही. आरोपी ने कहा, “मैं आपसे बात करना चाहता हूं” और महिला ने कहा, “मैं आपसे बात नहीं करना चाहती.” उसने कहा, “मैंने आपको स्कूटी पर देखा.” महिला ने फिर कहा, “मैं बात नहीं करना चाहती” इसके बावजूद आरोपी ने बातचीत शुरू करने की कोशिश की और कहा कि वह एनेस्थीसिया का निवासी है. महिला ने फिर इंकार किया और आरोपी चला गया.

न्यायमूर्ति कीर्ति सिंह ने अपने आदेश में कहा कि पुरुष का व्यवहार, चाहे कितना भी अप्रिय क्यों न हो, महिला की संकोच भावना को आहत करने वाला नहीं था और इसलिए आईपीसी की धारा 354 के तहत अपराध नहीं बनता.

न्यायालय ने कहा, “शिकायतकर्ता के बयान से पता चलता है कि कोई आपराधिक बल लागू नहीं किया गया और आरोपी इंकार के बाद चला गया. इस मामले को आगे बढ़ाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा.”

न्यायालय ने कहा, “यह कृत्य परेशान करने वाला और अनचाहा हो सकता है, लेकिन इसे महिला की संकोच भावना को आहत करने वाला नहीं कहा जा सकता. एफआईआर और शिकायतकर्ता के बयान के आधार पर और जब रिकॉर्ड में किसी भी आपराधिक बल के उपयोग का कोई उल्लेख नहीं है, तो धारा 354 के तत्व नहीं बनते.”

न्यायालय ने जनवरी 2025 के नरेश अनेजा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के सुप्रीम कोर्ट फैसले का हवाला देते हुए कहा कि आईपीसी की धारा 354 के तहत आरोप कायम करने के लिए महिला की संकोच भावना को आहत करने का इरादा और आपराधिक बल होना ज़रूरी है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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