नई दिल्ली: सोमवार को देश के कई राज्यों में अपनी मांगों के साथ छात्र-छात्राएं सड़कों पर उतरे. दिल्ली के आईटीओ स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया (आईसीएआई), बंगलुरू के नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया और जादवपुर विश्वविद्यालय के विद्यार्थी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते रहे.
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया की छात्र-छात्राएं मई में हुई परीक्षा को लेकर अपनी कॉपी की दुबारा जांच की मांग को लेकर धरने पर हैं. छात्रों की मांग है कि उनकी कॉपियों की दोबारा जांच कराई जाए. आईसीएआई के बाहर प्रदर्शन कर रहे एक छात्र अमित कुमार जो सीए फाइनल सत्र के छात्र हैं वह कहते हैं, ‘छात्रों की कॉपियों की जांच सही तरह से नहीं की जा रही है. सवालों के सही उत्तर देने के बाद भी उन्हें फेल कर दिया गया है.’
अपनी मांगों को लेकर आए एक और छात्र राहुल कहते हैं, ‘मई में हुई परीक्षा 100 नंबरों की हुई थी जिसमें से 30 नंबर का एमसीक्यू पेपर था. इन सवालों को भी परीक्षा जांच करने वालों ने गलत कर दिया.’
राहुल का कहना है, ‘सीए की पढ़ाई करने के लिए बच्चे अपने घर-परिवार को छोड़कर दिल्ली आए हैं. लेकिन परीक्षा में सही उत्तर देने पर भी उन्हें फेल कर दिया गया.’
प्रदर्शन कर रही सीए की छात्रा नेहा का कहना है, ‘काफी दिनों से इस प्रदर्शन को लेकर विचार किया जा रहा था. उन्हें इस प्रदर्शन की जानकारी यू-ट्यूब चैनल और प्रवीण शर्मा से मिली थी जो उन्हें पढ़ाते हैं.’
नितेश का कहना है, ‘हमने पिछले साल भी इस तरह के प्रदर्शन की धमकी दी थी लेकिन प्रशासन ने हमारी सभी मांगों को पूरा करने का वादा किया था जिसके बाद हमने प्रदर्शन नहीं किया.’
सीए भंवर बोराना कहते हैं, हम जितने भी अध्यापक यहां आए हैं उनकी प्रशासन से यही मांग है कि कॉपी चैकिंग के तरीके में बदलाव किया जाए और कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम से कॉपी की जांच की जाए.’
उन्होंने कहा, ‘जब सीबीएसई जैसे बड़े बोर्ड बच्चों को कॉपी दुबारा जांच की सुविधा देते हैं तो आईसीएआई ऐसी सुविधा क्यों नहीं देता. यह बच्चों का अधिकार है और बच्चे इसके लिए संघर्षरत हैं.’
भंवर बोराना ने बताया पूरे देश में आईसीएआई के 150 के करीब सेंटर है. किसी भी जगह कॉपी की दुबारा जांच की सुविधा विद्यार्थियों को नहीं मिलती है.
कर्मचारी भी बैठें हैं कर्मचारी
दिल्ली स्थित आईटीओ के पास आईसीएआई मुख्यालय के एक तरफ तो छात्र अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक वो संघर्ष करते रहेंगे. वहीं दूसरी तरफ पिछले 20 दिनों से दिल्ली के कई आईसीएआई सेंटर में काम करने वाले कर्मचारी भी अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं.
कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें पिछले महीने फोन पर जानकारी दी गई कि आप 1 सितंबर से काम पर मत आइए और दूसरा काम तलाश लीजिए. आईसीएआई में काम करने वाले पूरन रावत का कहना है कि लगभग 70 लोगों को काम से निकाल दिया गया है. हमें किसी भी तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई है कि हमें क्यों निकाला गया है. रावत ने कहा हमने आईसीएआई के सचिव से बात की उन्होंने कहा कि आने वाले समय में 200 और लोगों को भी निकाला जाएगा.
प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि धीरे-धीरे पूरी व्यवस्था को ऑनलाइन की जी रही है. जिसकी वजह से उन्हें काम से निकाला जा रहा है. हम पिछले 10 सालों से यहां काम कर रहे थे लेकिन अचानक हमें निकालने का फैसला बिल्कुल गलत है. हम अपनी मांगों को लेकर यहीं बैठे रहेंगे जब तक हमें काम पर वापस नहीं बुलाया जाता है.
वहीं दूसरी तरफ बंगलुरू के नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया के छात्र विश्वविद्यालय में उप-कुलपति की नियुक्ति को लेकर प्रदर्शन करते रहे. वहीं पश्चिम बंगाल के जादवपुर विश्वविद्यालय में भी बाबुल सुप्रियो पर हुए हमले के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र-छात्राएं प्रदर्शन कर रहे हैं.