रायपुर: बस्तर के दुर्गम अंचलों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच चुनौतीपूर्ण मानी जाती है, खासकर बरसात के मौसम में जब गांवों तक पहुंचना कठिन होता है. इसके बावजूद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के मार्गदर्शन में प्रदेश के स्वास्थ्यकर्मी कठिन परिस्थितियों में भी लोगों की जान बचाने को सर्वोपरि मानते हुए काम कर रहे हैं.
कांकेर, बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जैसे नक्सल प्रभावित जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल रहा है. इसी कड़ी में “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार” अभियान के तहत बीजापुर जिले के सबसे दुर्गम क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित की गई. बीते शनिवार को स्वास्थ्य दल ने स्वयं नाव चलाकर उफनती इंद्रावती नदी पार की और अबूझमाड़ से लगे ग्राम कोंडे में शिविर आयोजित किया.
शिविर में कुल 132 मरीजों की जांच की गई, जिनमें मलेरिया, सर्दी-खांसी और त्वचा रोग प्रमुख थे. विशेष रूप से 10 गर्भवती महिलाओं को संपूर्ण स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण और परामर्श प्रदान किया गया. मातृ स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत महिलाओं को पोषण, एनीमिया से बचाव और सुरक्षित मातृत्व संबंधी जानकारी भी दी गई. बीजापुर जिले में बीते तीन दिनों में हज़ारों लोगों की जांच की गई, जिनमें उच्च रक्तचाप के 3,177 मामले और महिलाओं में मुख, स्तन एवं सर्वाइकल कैंसर की 2,823 स्क्रीनिंग शामिल रही. 314 गर्भवती महिलाओं को जांच, टीकाकरण और परामर्श का लाभ मिला.
स्वास्थ्य कर्मी नदी, पहाड़ और जंगल पार करके महिलाओं और बच्चों तक जीवन रक्षक सेवाएं पहुंचा रहे हैं. यह प्रयास सिद्ध करता है कि “स्वस्थ नारी ही सशक्त परिवार की आधारशिला है.”
बस्तर संभाग में स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रहे सुधार न केवल स्थानीय निवासियों के जीवन स्तर को ऊंचा उठा रहे हैं, बल्कि यह भी दिखा रहे हैं कि सुशासन और समर्पित प्रयासों से सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में भी सकारात्मक बदलाव संभव है.