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Sunday, 21 September, 2025
होमराजनीतिअनिल विज ने अपने X प्रोफाइल से ‘मंत्री’ हटाया, कुछ दिन पहले ही बोली थी ‘पैरेलल BJP’ की बात

अनिल विज ने अपने X प्रोफाइल से ‘मंत्री’ हटाया, कुछ दिन पहले ही बोली थी ‘पैरेलल BJP’ की बात

एक हफ्ते से भी कम समय पहले विज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर आरोप लगाया था कि अंबाला छावनी में ‘पैरेलल BJP’ चलाने वाले लोगों को ‘ऊपर से आशीर्वाद’ मिल रहा है और इससे भाजपा को नुकसान हो रहा है.

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गुरुग्राम: हरियाणा के अंबाला छावनी में “ऊपर वालों के आशीर्वाद से पैरेलल बीजेपी चल रही है” वाली पोस्ट करने के कुछ ही दिन बाद राज्य के मंत्री अनिल विज ने अपने एक्स प्रोफाइल से “मंत्री” शब्द हटा दिया है. इस कदम के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज़ हो गई हैं.

72 साल के विज के पास राज्य में बिजली, परिवहन और श्रम मंत्रालय है और वे अंबाला छावनी से सात बार के विधायक हैं. उन्होंने अपने प्रोफाइल का नाम ‘Anil Vij Minister Haryana, India’ से बदलकर ‘Anil Vij Ambala Cantt Haryana, India’ कर दिया है.

दिप्रिंट से गुरुवार को बातचीत में विज ने कहा कि उन्होंने प्रोफाइल से “मंत्री” शब्द इसलिए हटाया ताकि लोग उन्हें सिर्फ अनिल विज के तौर पर जानें, न कि मंत्री के रूप में.

उन्होंने कहा, “जो लोग मुझे सिर्फ इसलिए फॉलो करते हैं या मेरा कंटेंट देखते हैं क्योंकि मैं मंत्री हूं, वे हमेशा मेरे साथ नहीं रहेंगे, लेकिन जो लोग मुझे मेरे कंटेंट और मेरी शख्सियत की वजह से फॉलो करेंगे, वे हमेशा जुड़े रहेंगे. मैं अनिल विज को एक ब्रांड के रूप में बनाना चाहता हूं और लोगों को आकर्षित करने के लिए मंत्री का टैग इस्तेमाल नहीं करना चाहता.”

जब उनसे पूछा गया कि क्या इसमें कोई और गहरा मतलब है या वे अपने मंत्री पद से निराश हैं, तो विज ने साफ कहा, “मैंने प्रोफाइल से मंत्री शब्द सिर्फ इसलिए हटाया है क्योंकि मैं अपनी पहचान अनिल विज के रूप में बनाना चाहता हूं. इससे ज़्यादा कुछ नहीं.”

हालांकि, छह दिन पहले 12 सितंबर को विज ने एक्स पर लिखा था कि “अंबाला छावनी में कुछ लोग ऊपर वालों के आशीर्वाद से पैरेलल बीजेपी चला रहे हैं. कमेंट बॉक्स में बताइए हमें क्या करना चाहिए. पार्टी को बहुत नुकसान हो रहा है.” यह पोस्ट पार्टी के अंदरूनी मसलों को सार्वजनिक तौर पर उठाने जैसा था.

जब इस पोस्ट पर उनसे सवाल पूछा गया तो विज ने कहा कि यह खुद ही स्पष्ट है और उस पर कई लोगों ने जवाब भी दिया.

विज के करीब एक सूत्र ने बताया कि यह पोस्ट 11 सितंबर को पूर्व बीजेपी कोषाध्यक्ष आशीष तायल और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की मुलाकात से जुड़ा हुआ था.

सूत्रों के मुताबिक तायल ने विधानसभा चुनाव में विज की प्रतिद्वंदी, निर्दलीय प्रत्याशी चित्रा सरवारा का समर्थन किया था. हालांकि, सरवारा विज से 7,277 वोटों से हार गईं.

अंबाला छावनी इंडस्ट्रियल एरिया के औद्योगिक प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के तौर पर तायल ने चंडीगढ़ में सीएम सैनी से बाढ़ और ड्रेनेज की समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा था. विज की पोस्ट के बाद तायल ने स्थानीय मीडिया से कहा कि उन्होंने उद्योगपतियों की समस्या रखी थी और उन्हें नहीं पता था कि मंत्री की पोस्ट किसके खिलाफ है.

विज के ताज़ा कदम पर राजनीतिक विश्लेषक ज्योति मिश्रा, असिस्टेंट प्रोफेसर (राजनीति विज्ञान), एमिटी यूनिवर्सिटी मोहाली ने कहा कि वे अप्रत्याशित किस्म के नेता हैं और अक्सर ऐसे काम करते हैं जो अटकलों को जन्म देते हैं.

उन्होंने कहा, “विज हरियाणा के सबसे वरिष्ठ बीजेपी नेता हैं और सबसे ज्यादा बार विधानसभा पहुंचे हैं, लेकिन वे अक्सर अपनी पोस्ट, बयान और आचरण से यह जताते रहे हैं कि पार्टी ने उन्हें उनका हक नहीं दिया.”


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‘बेबाक’ मंत्री

अपने राजनीतिक करियर में अनिल विज हमेशा विवादों में रहे हैं और अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं.

मार्च 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में बीजेपी नेतृत्व में फेरबदल के बाद से उन्हें हाशिये पर धकेला गया माना जाता है. उस समय मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया था.

उस बैठक में, जिसमें सैनी को केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में विधायक दल का नेता चुना गया था, विज नाराज़ होकर बाहर निकल गए थे. इसके बाद मार्च 2024 में उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया.

अक्टूबर में विधानसभा चुनाव के बाद जब उन्हें हरियाणा मंत्रिमंडल में जगह मिली, तो उन्हें गृहमंत्रालय और स्वास्थ्य जैसे अहम विभागों की बजाय बिजली और परिवहन जैसे अपेक्षाकृत कम अहम माने जाने वाले विभाग दिए गए.

सितंबर 2024 में उन्होंने यहां तक कह दिया था कि अगर हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनी तो वे मुख्यमंत्री पद पर दावा करेंगे.

फिर फरवरी 2025 में उन्हें मुख्यमंत्री सैनी पर तंज कसने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी हुआ. उन्होंने कहा था, “जब से नायब सैनी मुख्यमंत्री बने हैं, वे लगातार अपने उड़नखटोले (हेलिकॉप्टर) में उड़ रहे हैं. यह सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि ज़्यादातर विधायकों की राय है.”

इसी महीने उन्होंने मीडिया से यह भी कहा था कि विधानसभा चुनाव में कुछ लोगों ने उन्हें हराने की कोशिश की थी और उन्होंने उनके खिलाफ लिखित शिकायत दी थी. चाहे वे अफसर हों, कर्मचारी हों या छोटे स्तर के पार्टी नेता, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही पार्टी के किसी बड़े नेता ने उनसे इस बारे में बात की.

इससे पहले, जब 2014 से मार्च 2024 तक खट्टर मुख्यमंत्री थे, तब भी विज का कई बार मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से टकराव हुआ, खासकर खट्टर के दूसरे कार्यकाल में.

राजनीतिक विश्लेषक ज्योति मिश्रा ने कहा, “जब मार्च पिछले साल खट्टर ने इस्तीफा दिया, तो विज सुबह से उनके साथ थे और राज्यपाल से इस्तीफा देने जाते वक्त भी साथ गए थे, लेकिन बीजेपी विधायक दल की बैठक शुरू होते ही विज कुछ मिनटों में बाहर निकल गए. यही वजह है कि विज का हर कदम दिलचस्पी से देखा जाता है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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