माधोपुर (पठानकोट): रावी नदी के प्रवाह को नियंत्रित करने वाला 19वीं सदी का माधोपुर बैराज पहले भी भारी बारिश देख चुका है, लेकिन इस साल हालात और खराब थे.
बाढ़ के चलते माधोपुर बैराज के ऊपरी हिस्से में स्थित रंजीत सागर डैम के अधिकारियों ने 2.2 लाख क्यूसेक्स पानी छोड़ने का फैसला किया, जब इतनी बड़ी मात्रा में पानी माधोपुर बैराज तक पहुंचा, तो अधिकारी 54 बैराज गेट में से केवल आधे गेट ही मैन्युअली खोल पाए. बाकी गेट खुलने में विफल रहे और दबाव सह न पाने के कारण 27 अगस्त को माधोपुर बैराज के तीन गेट टूट गए.
इससे बाढ़ और बढ़ गई और अंतरराष्ट्रीय सीमा—पंजाब और पाकिस्तान के दोनों तरफ गांवों और खेतों को काफी नुकसान पहुंचा, लेकिन डैम सुरक्षा विशेषज्ञों और नेशनल डैम सेफ्टी अथॉरिटी (एनडीएसए) के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि भारी बारिश सिर्फ एक ट्रिगर थी, असल में माधोपुर बैराज के गेट टूटने की स्थिति पहले से ही बनी हुई थी.
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की संरचनाएं रातों-रात टूटती नहीं हैं. माधोपुर बैराज भारत के सबसे पुराने बैराजों में से एक है, जिसे ब्रिटिश काल में सिंचाई के लिए बनाया गया था. यह पानी को अपर बड़ी दोआब नहर के जरिए पंजाब के गुरदासपुर, अमृतसर, पठानकोट और तरनतारन जिलों के खेतों में पहुंचाता है.
एनडीएसए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “बैराज गेट्स का इस तरह टूटना असामान्य है, जब तक कि वे संरचनात्मक रूप से कमज़ोर न हो गए हों. बैराज के रख-रखाव पर कई साल से ध्यान नहीं दिया गया. आखिरी बार कब किसी बड़े मेंटेनेंस का काम हुआ?”
अधिकारी ने कहा कि NDSA अधिनियम के तहत, माधोपुर जैसे डैम के मालिकों को डैम सेफ्टी गाइडलाइन के अनुसार नियमित मेंटेनेंस करना और हर मानसून से पहले राज्य डैम सेफ्टी अथॉरिटी को रिपोर्ट देना अनिवार्य है.
अधिकारी ने कहा, “पता कीजिए कि यह किया गया या नहीं. अगर किया गया, तो गेट कैसे फंस गए? आधे गेट न खुलना ही खराब रख-रखाव का स्पष्ट उदाहरण है.”

भाकड़ा बीस मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आदर्श रूप में बैराज गेट्स को मानसून से पहले खोलकर टेस्ट किया जाना चाहिए कि वे सही काम कर रहे हैं या नहीं. गेट्स को अच्छी तरह चिकना भी किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, “ऐसा कुछ हुआ ही नहीं लगता. सही रख-रखाव न होने के कारण गेट जंग खा सकते हैं और समय के साथ संरचनात्मक रूप से कमजोर हो सकते हैं.”
BBMB, भाकड़ा-नांगल डैम, बीस-सतलुज लिंक प्रोजेक्ट और पोंग डैम का संचालन और रख-रखाव करता है. पंजाब सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस साल स्थिति अभूतपूर्व थी. एक अधिकारी ने कहा कि माधोपुर बैराज ने पहले इतनी बड़ी मात्रा में पानी कभी नहीं देखा. 27 अगस्त को रंजीत सागर डैम से 2.21 लाख क्यूसेक्स पानी छोड़ा गया.
पंजाब सिंचाई विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी जो बैराज पर हालात मॉनिटर कर रहे थे, ने कहा, “1988 की बाढ़ में भी माधोपुर बैराज को इतना पानी नहीं मिला था. स्थिति नियंत्रण से बाहर थी.”
डैम सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि समस्या सिर्फ माधोपुर बैराज की नहीं है. पंजाब के अधिकांश बैराज पुराने हैं और उनका रख-रखाव बहुत खराब है क्योंकि वे सिंचाई विभाग के अंतर्गत हैं.
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा नामित डैम विशेषज्ञ वीरेंद्र प्रसाद शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, “उनका नियमित रख-रखाव नहीं होता और संभव है कि माधोपुर के टूटने की वजह मेंटेनेंस की कमी हो, क्योंकि इसकी आधार संरचना सदी पुरानी है.”
शर्मा ने कहा कि मानक प्रक्रिया के अनुसार मेंटेनेंस काम साल में दो बार किया जाना चाहिए—मानसून से पहले और बाद में. पंजाब सिंचाई विभाग के अधिकारी ने बताया कि बैराज के रख-रखाव के लिए कोई विशेष बजट नहीं था.
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए पंजाब सरकार ने सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण के लिए 3,235 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो खर्च का 2.2 प्रतिशत है. हालांकि, यह 2024-23 में राज्यों द्वारा सिंचाई पर औसतन आवंटन 3.4 प्रतिशत से कम है.
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‘प्राइवेट कंपनी ने हरी झंडी दी’
माधोपुर बैराज के गेट्स टूटने से कई महीने पहले, पंजाब सरकार ने Level9 Biz नाम की एक प्राइवेट कंपनी को बैराज की ताकत जांचने के लिए रखा था.
कंपनी ने सरकार को बताया था कि गेट्स पूरी तरह ठीक हैं और अगर 6.52 लाख क्यूसेक्स पानी छोड़ा भी गया तो उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा.
लेकिन रिपोर्ट जमा होने के कुछ महीने बाद ही गेट्स टूट गए. पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरींद्र गोयल ने दिप्रिंट को बताया, “हमने कंपनी को नोटिस भेजा है. उन्होंने अभी तक जवाब नहीं दिया है. हमारे अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं और कार्रवाई शुरू की जा रही है.”

एक अन्य सिंचाई विभाग के अधिकारी ने कहा कि पानी के साथ भारी कीचड़ और उखड़े पेड़ आए, जिससे बैराज के गेट जाम हो गए. उन्होंने कहा, “बैराज की संरचना से पानी बह रहा था.”
सिंचाई विभाग ने गेट खोलने की कोशिश की, लेकिन प्रक्रिया मैनुअल होने के कारण बहुत समय लगा.
उन्होंने कहा, “एक गेट खोलने में लगभग 45 मिनट लगते हैं. इस बार पानी बहुत ज्यादा था. गेट खोलने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से अपडेट नहीं हुई. हमारे कर्मचारी गेट खोल रहे थे, लेकिन भारी पानी ने तीन गेट बहा दिए.” उन्होंने यह भी बताया कि उनके एक कर्मचारी को भी पानी बहा ले गया.
सिंचाई विभाग के अधिकारियों के अनुसार, माधोपुर बैराज की अधिकतम बाढ़ डिस्चार्ज क्षमता 17,750 क्यूसेक्स है, लेकिन इस साल यह स्तर बहुत ज्यादा था.
पंजाब दशकों की सबसे बड़ी बाढ़ का सामना कर रहा है. 23 जिलों में 3.8 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. रावी, ब्यास और सतलुज नदियां उफान पर हैं और गुरदासपुर, अमृतसर, पठानकोट, फरीदकोट और फाजिल्का ज़िलों के कई गांव बाढ़ में डूब गए हैं.
बाढ़ ने खेतों को पानी में डुबा दिया, सड़कें मिटा दीं और घर बहा दिए, जिससे 1,900 गांवों में लोग बेघर हो गए. 40 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. भारी मानसून बारिश के कारण आई बाढ़ का पानी धीरे-धीरे घट रहा है और अब राहत और पुनर्वास का काम तेज़ हो गया है.
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