लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में ब्रिटिश काल के पुराने सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 को तत्काल प्रभाव से आधुनिक और व्यावहारिक कानून से बदलना आवश्यक है. उन्होंने बताया कि नया अधिनियम पंजीकृत संस्थाओं के पंजीकरण, नवीनीकरण, संपत्ति प्रबंधन और वित्तीय पारदर्शिता को मजबूत करने के लिए समकालीन प्रावधान लाएगा.
मुख्यमंत्री ने सोमवार को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना की मौजूदगी में हुई बैठक में कहा कि मौजूदा कानून में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्पष्टता नहीं है, जैसे कि पारदर्शिता, जवाबदेही, निष्क्रिय या संदिग्ध संस्थाओं को रद्द करना, संपत्ति की सुरक्षा और सदस्यता, प्रबंधन और चुनाव से जुड़े विवादों का शीघ्र समाधान. वर्तमान में लेखा परीक्षाओं, वित्तीय अनुशासन और फंड के दुरुपयोग को रोकने के नियम भी अपर्याप्त हैं.
मुख्यमंत्री योगी ने कहा, “कानून को पारदर्शिता, जवाबदेही और सदस्यों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी.” उन्होंने जोर देकर कहा कि चाहे वह ट्रस्ट हो या समाज, संस्थागत संपत्तियों की मनमानी बिक्री को रोकने के लिए मजबूत तंत्र होना चाहिए. विवादों में प्रशासकों की नियुक्ति को अनुचित बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रबंधन समितियों को न्यूनतम सरकारी या स्थानीय प्रशासन हस्तक्षेप के साथ स्वतंत्र रूप से संस्थाओं का संचालन करना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सामंजस्य, ग्रामीण विकास, उद्योग और खेल जैसे क्षेत्रों में आठ लाख से अधिक संस्थाएं पंजीकृत हैं, इसलिए उनके संचालन को व्यवस्थित करने वाले तंत्र को सुदृढ़ करना आवश्यक है. नया अधिनियम निष्क्रिय या संदिग्ध संस्थाओं को भंग करने, उनकी संपत्तियों की सुरक्षा करने और समयबद्ध विवाद समाधान सुनिश्चित करने के लिए कड़े प्रावधान लाएगा.
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पंजीकरण और नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन, केवाईसी-आधारित और समयबद्ध हो, और जवाबदेही व वित्तीय ऑडिट के लिए मजबूत ढांचा तैयार किया जाए.
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि नए अधिनियम का मसौदा तेजी से तैयार किया जाए और इसमें सभी आवश्यक प्रावधान शामिल हों, ताकि पंजीकृत संस्थाएं अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकें, सामाजिक कल्याण में योगदान दे सकें और पारदर्शिता एवं अच्छे शासन के मूल्यों को बनाए रख सकें.