नई दिल्ली: मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के लिए नियुक्त होने वाले न्यायाधीश अकील कुरैशी को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाना प्रस्तावित किया है. इस नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार ने कॉलजियम से निवेदन किया था कि वह अपने निर्णय पर पुन: विचार करे. इसके बाद कॉलेजियम ने कुरैशी को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जगह त्रिपुरा के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बनाने का प्रस्ताव दिया. गौरलतब है कि 2010 में जस्टिस कुरैशी ने वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह को सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में दो दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा था.
जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार की इसी वर्ष में हस्तक्षेप की यह दूसरी घटना सामने आई है. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज विक्रम नाथ को आंध्र प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त किया गया था. लेकिन केंद्र सरकार ने अड़ंगा लगाते हुए कॉलेजियम को अपने फैसले पर फिर से विचार करने को कहा था. इसके बाद कॉलजियम ने उन्हें गुजरात हाईकोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया था.
यह है कुरैशी का पूरा मामला
जस्टिस कुरैशी नियुक्ति के संबंध में 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कानून मंत्रालय को कॉलेजियम की सिफारिशें मिली हैं.वहीं, गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन की तरफ से जस्टिस कुरैशी के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसमें कॉलेजियम की तरफ से उनकी पदोन्नती को लेकर 10 मई को जो सिफारिशें की गई थी उसे केंद्र सरकार ने नहीं माना था.
इस मामले में 16 अगस्त को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम एक सप्ताह में कॉलेजियम की सिफारिश को लेकर कोई फैसला करेंगे. इससे पहले 2 अगस्त को इस मामले में हुई सुनवाई में महाअधिवक्ता तुषार मेहता ने कोर्ट में जानकारी दी कि कॉलेजियम द्वारा सिफारिशों पर विचार करेंगे.
इस याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार जस्टिस कुरैशी नियुक्ति को लटका रही है. वहीं केंद्र सरकार ने 7 जून को एक नोटिफिकेशन निकालकर जस्टिस रविशंकर झा को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया. 10 मई को कॉलोजियम ने मध्यप्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस कुरैशी की नियुक्ति के रूप में सिफारिश की थी.
जजों की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर वकीलों के संगठनों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि अन्य सभी राज्यों के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में वो देरी नहीं कर रही है. गुजरात के एडवोकेट एसोसिएशन द्वारा लगााई गई याचिका में यह भी कहा गया था कि कॉलेजियम द्वारा कुरैशी पर दी गई सिफारिशों के बाद केंद्र सरकार ने 18 जजों की अन्य हाईकोर्ट में नियुक्ति की है..वहीं जस्टिस कुरैशी के मामले को लटका कर रखा जा रहा है.
जस्टिस कुरैशी 2018 में बांबे हाईकोर्ट में स्थानांतरित किए जाने से पहले गुजरात हाई कोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के तौर पर काम कर रहे थे. उन्हें 2004 में गुजरात हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था.
जस्टिस कुरैशी ने 1983 में कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनी वकालत शुरू की. 2004 में गुजरात हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया. 2005 में स्थाई कर दिया गया.