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Tuesday, 19 August, 2025
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67% विमान हादसों की रिपोर्ट में पायलट की कार्रवाई का ज़िक्र, लेकिन ऐसी नौबत आती क्यों है

कॉकपिट में तालमेल की कमी और पायलटों के बीच असहमति, गलत फैसले और चूक — ये सब 46 फाइनल रिपोर्टों में इंसानी गलती और लापरवाही की वजहों में शामिल पाए गए.

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यह दिप्रिंट की तीन-पार्ट वाली सीरीज़ की दूसरी रिपोर्ट है. पहली रिपोर्ट यहां पढ़ें.

नई दिल्ली: दिप्रिंट के विश्लेषण से पता चला है कि विमान हादसों की जांच में पायलट की कार्रवाई का ज़िक्र कम से कम 67 प्रतिशत मामलों में हुआ है. इसके लिए 2012 से अब तक एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) द्वारा जारी 68 फाइनल रिपोर्टों का अध्ययन किया गया.

इन रिपोर्टों में यह उल्लेख या तो निष्कर्ष वाले हिस्से में मिलता है या फिर संभावित कारणों में, चाहे हादसा घातक रहा हो या गैर-घातक और इसमें फिक्स्ड विंग वाले विमान शामिल हैं.

ध्यान देने वाली बात यह है कि उड़ान के दौरान पायलट की गलत कार्रवाइयों, फैसलों या चूकों का ज़िक्र होने का मतलब यह नहीं है कि सभी हादसों की वजह सिर्फ कॉकपिट में बैठे लोगों की गलती थी.

हाल ही में पायलट की गलती का मुद्दा चर्चा में तब आया जब 12 जून को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे पर AAIB की अंतरिम जांच रिपोर्ट सामने आई. इस हादसे में एक को छोड़कर सभी यात्रियों की मौत हो गई थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, विमान उड़ान भरने के तुरंत बाद दोनों इंजनों के फ्यूल स्विच एक-एक सेकंड के अंतराल पर बंद हो गए. जैसे ही इंजनों को फ्यूल मिलना बंद हुआ, उनकी गति टेक-ऑफ स्तर से गिरने लगी. कॉकपिट ऑडियो के अनुसार, एक पायलट ने दूसरे से पूछा कि उसने फ्यूल क्यों बंद किया, जिस पर दूसरे ने जवाब दिया कि उसने ऐसा नहीं किया.

वैश्विक मीडिया ने इस हादसे की वजह एक पायलट को बताया, लेकिन AAIB ने इन रिपोर्टों को खारिज कर दिया. अंतरिम रिपोर्ट में कहीं भी पायलट की गलती या जानबूझकर की गई कार्रवाई को 12 जून के हादसे की वजह नहीं बताया गया.

तीन हिस्सों की सीरीज़ में से यह दूसरा हिस्सा है, जिसमें दिप्रिंट AAIB की फाइनल रिपोर्टों में उन मामलों को देख रहा है जहां पायलटों की चूक पर सवाल उठे.

AAIB, भारत की मुख्य एजेंसी है जो विमान हादसों और घटनाओं की जांच करती है. यह 30 जुलाई 2012 को इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) के एनेक्स 13 दिशानिर्देशों के तहत स्थापित हुई थी. यह नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन काम करती है, लेकिन एविएशन वॉचडॉग डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) से स्वतंत्र रूप से काम करती है.

‘एयरक्राफ्ट (इन्वेस्टिगेशन ऑफ एक्सीडेंट्स एंड इंसिडेंट्स) रूल्स’ के अनुसार, AAIB के महानिदेशक को हादसे के हालात की जांच करानी होती है और पूरी जांच की ज़िम्मेदारी उन्हीं की होती है.


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‘लास्ट लाइन ऑफ डिफेंस’

कॉकपिट में तालमेल की कमी और पायलटों के बीच असहमति, गलत फैसले, निर्णय में चूक, मानक संचालन प्रक्रिया (SOPs) का पालन न करना ये सब मानवीय गलती और लापरवाही की वजहों के तौर पर कम से कम 46 फाइनल रिपोर्टों में दर्ज हैं.

इसके अलावा, ब्यूरो ने कई और मुद्दों को भी रेखांकित किया है जैसे को-पायलट का आत्मविश्वास न दिखाना, एक पायलट का दूसरे को कंट्रोल न सौंपना, पायलट-इन-कमांड (PIC) का अनुभव कम होना, विमान को गलत तरीके से संभालना, प्रक्रियात्मक उल्लंघन करना, मौसम बिगड़ने की जानकारी होने के बावजूद गंभीर खराब मौसम में उड़ान भरना, फ्यूल स्तर की निगरानी न करना और उड़ान से पहले ठीक से निरीक्षण न करने जैसी गलतियां, जिनसे इंजन तक ईंधन पहुंचना बंद हो गया.

एयर लाइन पायलट्स एसोसिएशन के महासचिव कैप्टन अनिल राव ने दिप्रिंट से कहा, “हम यह नहीं कह रहे कि पायलट की गलतियां नहीं होतीं, लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि पायलट ही बचाव का आखिरी रास्ता है.”

उन्होंने आगे कहा, “असल सवाल यह होना चाहिए कि हम ऐसी नौबत तक पहुंचे ही क्यों? इसके पीछे कई वजहें होती हैं—मशीनरी की खराबी, पर्यावरणीय कारण या फिर मैन्युफैक्चरर्स की खामियां. पायलट कोई रोबोट नहीं है. अगर वह किताब में लिखी 100 चीज़ों में से 1 भी चूक जाए तो उसे तुरंत दोषी ठहरा दिया जाता है. कई बार उनके पास फैसला लेने के लिए एक मिनट से भी कम या सिर्फ कुछ सेकंड होते हैं.”

राव ने कहा, “यह भी समझना ज़रूरी है कि विमान हादसों में कई पक्ष शामिल होते हैं और तब ही कोई बड़ी दुर्घटना होती है जब कई सारी गलतियां एक साथ जुड़ जाती हैं.”

‘खराब एचआर पॉलिसी’

AAIB का कहना है कि जांच का एकमात्र उद्देश्य ऐसे हादसों या घटनाओं को रोकना है.

2020 के कोझिकोड एयर इंडिया एक्सप्रेस हादसे में जिसमें दोनों पायलट समेत 21 लोगों की मौत हुई थी, रिपोर्ट में संभावित कारण पायलट द्वारा SOPs का पालन न करना बताया गया. साथ ही, इसमें कई सिस्टम संबंधी खामियां भी शामिल थीं, जिनमें से एक थी “खराब एचआर पॉलिसी”, जिसने कॉकपिट में बैठे पायलट पर अतिरिक्त दबाव डाला.

“अति-आत्मविश्वास” के अलावा, AAIB ने बार-बार PIC (पायलट-इन-कमांड) के खराब फैसले लेने का ज़िक्र किया और यह भी नोट किया कि उसने बिना डॉक्टर की सलाह वाली दवाएं ली थीं, जिससे मानसिक क्षमता पर असर पड़ा हो सकता था.

फाइनल रिपोर्ट ने पायलटों के बीच तालमेल की कमी की ओर भी इशारा किया.

रिपोर्ट में लिखा है, “फर्स्ट ऑफिसर (FO) ने सही पहचान की थी कि रनवे 10 के लिए किया गया एप्रोच ‘अनस्टेबलाइज़्ड’ था. उन्होंने PIC का ध्यान इस ओर खींचने के लिए दो बार कोशिश की, लेकिन आत्मविश्वास की कमी और गैर-मानक शब्दों के इस्तेमाल की वजह से वे असरदार नहीं हो पाए. लैंडिंग से ठीक पहले उन्होंने PIC से ‘गो अराउंड’ करने के लिए कहा.”

“स्पष्ट रूप से पता होने के बावजूद कि एप्रोच असुरक्षित था और PIC प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था, FO ने कंपनी की SOP के मुताबिक कंट्रोल अपने हाथ में नहीं लिए और ‘गो अराउंड’ शुरू नहीं किया.”

2014 में दिल्ली से गुवाहाटी जा रहे एक डेक्कन चार्टर विमान के हादसे में पाया गया कि ज़्यादा योग्य पायलट सह-पायलट की सीट पर बैठा था. इस दौरान PIC ने विमान को दूसरे बाउंस के बाद भी सह-पायलट को कंट्रोल देने से मना कर दिया। विमान नोज़ लैंडिंग गियर पर आकर टकरा गया.

रिपोर्ट में कहा गया है, “दूसरे बाउंस के बाद सह-पायलट ने PIC से कंट्रोल मांगे, लेकिन PIC ने देने से मना कर दिया.”

चित्रण: श्रुति नैथानी/दिप्रिंट
चित्रण: श्रुति नैथानी/दिप्रिंट

सिस्टम की खामियां जैसे एयरक्राफ्ट ऑपरेटरों, हवाई अड्डा संचालकों और नियामक निगरानी की चूकें—कम से कम 46 में से 32 मामलों में दर्ज की गईं.

इसके अलावा, इन मामलों में से कम से कम छह में AAIB रिपोर्टों ने मैकेनिकल खराबियों को भी उजागर किया जैसे पायलट की सीट बैक रिक्लाइनर मैकेनिज़्म का फेल होना, बारिश में पायलट-इन-कमांड के विंडशील्ड वाइपर का सही से काम न करना और साथ ही पायलट के गलत फैसले या आकलन. कम से कम चार मामलों में तो मैकेनिकल और सिस्टम दोनों तरह की खामियां पायलट की गलतियों के साथ मिलकर सामने आईं.

इन सिस्टम की खामियों को AAIB के उस नज़रिए से देखा जाना चाहिए जिसमें उसने बार-बार एयरलाइन ऑपरेटरों और फ्लाइट ट्रेनिंग ऑर्गनाइज़ेशनों की चूक और उल्लंघनों को उजागर किया है. 68 रिपोर्टों में से कम से कम 47 प्रतिशत में इन्हें अलग-अलग कारणों से ज़िम्मेदार ठहराया गया है.

इन उल्लंघनों का ज़िक्र, जैसा कि इस सीरीज़ के पहले हिस्से में बताया गया था, कभी योगदान देने वाले कारणों के तौर पर, तो कभी संभावित वजहों या निष्कर्ष में किया गया, जिससे समग्र सुरक्षा संस्कृति में गहरी खामियां सामने आती हैं.

68 विमान हादसों में से जिनकी फाइनल रिपोर्ट AAIB ने प्रकाशित की है, 23 ट्रेनिंग फ्लाइट्स थीं जिन्हें ट्रेनी पायलटों ने या तो सोलो सॉर्टी में या फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर के साथ उड़ाया था. इनमें से 17 हादसे घातक रहे, जिनमें एक या उससे अधिक लोगों की जान गई.

AAIB की सार्वजनिक डोमेन में कुल 101 रिपोर्टें मौजूद हैं, जिनमें 27 हेलिकॉप्टर हादसों की रिपोर्टें (प्रारंभिक और अंतिम दोनों) और छह विमान हादसों की प्रारंभिक रिपोर्टें शामिल हैं.

एक पायलट ने दिप्रिंट से कहा, “गलतियां हो सकती हैं, फैसलों में चूक हो सकती है. इसे कोई नकार नहीं रहा, लेकिन अब समय है कि हम देखें कि इन गलतियों तक पहुंचने की वजह क्या है और उन्हें ठीक करें. पायलटों को दोष देना सबसे आसान है क्योंकि इससे बाकी हिस्सेदारों पर जवाबदेही नहीं आती और अगर आती भी है, तो उसे पायलटों पर डालकर टाल दिया जाता है.”

एक अन्य पायलट ने कहा कि थकान को हमेशा नज़रअंदाज़ किया गया है. “पायलट लगातार ज़बरदस्त दबाव में रहते हैं. इनमें से ज़्यादातर दबाव बेवजह होता है. ऑपरेटरों और अधिकारियों को चाहिए कि वे हालात को पायलटों के लिए थोड़ा आसान बनाने पर ध्यान दें.”

ऐसे हालात को देखते हुए यह कोई हैरानी की बात नहीं है कि DGCA ने जुलाई में एयर इंडिया को क्रू फैटीग मैनेजमेंट और ट्रेनिंग पर चेतावनी दी. इसमें पायलटों को पर्याप्त आराम न मिलने, लंबी उड़ानों के लिए पर्याप्त क्रू न होने जैसी समस्याओं का ज़िक्र किया गया. 12 जून को अहमदाबाद में हुए हादसे के बाद से एयर इंडिया कड़ी निगरानी में है.


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बार-बार दोहराया गया पैटर्न

AAIB की कई फाइनल रिपोर्टें बार-बार सामने आने वाला एक पैटर्न दिखाती हैं—गलत फैसले, विमान को ठीक से न संभालना और क्रू के बीच तालमेल की कमी, जो अलग-अलग एयरलाइंस में देखने को मिला.

2021 में इंटरग्लोब एविएशन (इंडिगो) के विमान से जुड़े हादसे में, जिसमें सात यात्री और चार क्रू सवार थे, AAIB ने संभावित कारण बताया कि “विमान को गलत तरीके से उतारना और बाउंस्ड लैंडिंग रिकवरी प्रक्रिया का पालन न करना.”

इसी तरह का पैटर्न 2022 में स्पाइसजेट के 737-800 विमान के साथ देखने को मिला, जिसे गंभीर टर्बुलेंस का सामना करना पड़ा. इसमें तीन लोग गंभीर रूप से घायल हुए और एक की मौत हुई.

AAIB ने इसका कारण बताया, “क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट और क्रू द्वारा लिए गए खराब फैसले, जिनमें खराब मौसम में घुसना और टर्बुलेंस वाले मौसम से उचित दूरी बनाए न रखना शामिल था.”

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि “बार-बार आने वाली तकनीकी खराबियों की निगरानी और नियंत्रण की प्रक्रियाओं का संगठन में सही से पालन नहीं किया जा रहा था.” यात्रियों ने भी सीटबेल्ट संकेत का पालन नहीं किया था.

कई बार हादसों की वजह मानवीय और तकनीकी दोनों तरह की गलतियां होती हैं जैसे 2021 में पिनेकल एयर प्राइवेट लिमिटेड की एक अनियमित फ्लाइट की फोर्स लैंडिंग. इसमें PIC को गंभीर चोटें आईं, जबकि को-पायलट और यात्री को मामूली चोटें आईं.

रिपोर्ट में हादसे का मुख्य कारण इंजन से उड़ान के दौरान ऑयल लीक (तकनीकी खराबी) बताया गया, लेकिन यह भी दर्ज किया गया कि “क्रू ने सिंगल इंजन ऑपरेशन के लिए इमरजेंसी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया और एक इंजन के सहारे ही लैंडिंग करने का फैसला लिया.”

इसी तरह मार्च 2023 में झारखंड में एक जॉयराइड सॉर्टी क्रैश हो गया, जिसमें पायलट और 14 साल का यात्री घायल हो गया. जांच में पाया गया कि दोनों फ्यूल वॉल्व बंद थे और ध्यान नहीं दिया गया, जिससे फ्यूल की कमी हो गई. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि उड़ान जल्दबाज़ी में शुरू की गई थी, इसलिए प्री-फ्लाइट इंस्पेक्शन नहीं हुआ. इसके अलावा, पायलट में “स्थिति की समझ” की कमी थी और उसने इंजन फेल्योर की स्थिति में प्रोटोकॉल के अनुसार प्रतिक्रिया नहीं दी.

एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान की क्षतिग्रस्त बेली | फोटो क्रेडिट: AAIB
एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान की क्षतिग्रस्त बेली | फोटो क्रेडिट: AAIB

अन्य उदाहरणों में सितंबर 2021 का इंडिगो विमान हादसा और अक्टूबर 2018 का एयर इंडिया एक्सप्रेस हादसा शामिल हैं, जिसमें विमान तिरुचिरापल्ली एयरपोर्ट की बाउंड्री वॉल से टकरा गया था.

पहले मामले में AAIB रिपोर्ट ने कहा कि “PIC अपने कागज़ात में व्यस्त था और उसने कैबिन क्रू को आगे आने वाले टर्बुलेंट मौसम की जानकारी नहीं दी.” रिपोर्ट में “गंभीर संचार विफलता” का भी ज़िक्र किया गया, जिसके चलते कॉकपिट और कैबिन क्रू SOPs का पालन नहीं कर पाए.

इसका नतीजा यह हुआ कि कैबिन क्रू की एक सदस्य का पैर टूट गया जब विमान, जिसमें 52 यात्री तिरुचिरापल्ली से बेंगलुरु जा रहे थे, खराब मौसम में फंस गया.

एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान के मामले में, AAIB ने कहा कि दोनों पायलट “महत्वपूर्ण चरण में इंजन थ्रस्ट गिरने को पकड़ नहीं पाए और न ही किसी ने समय पर थ्रस्ट बढ़ाने की कार्रवाई की.”

इसके अलावा, टेकऑफ़ के दौरान PIC की सीट रिक्लाइन मैकेनिज़्म भी खराब हो गया था. भले ही किसी को चोट नहीं लगी, लेकिन विमान की बेली को गंभीर नुकसान हुआ.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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