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Monday, 15 September, 2025
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‘घुसपैठियों’ को खत्म करने के लिए मोदी ने किया जनसंख्या मिशन का ऐलान—बाहरी लोगों पर BJP की पुरानी राजनीति

प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस भाषण में कहा, ‘ये घुसपैठिए देश के युवाओं की रोज़ी-रोटी छीन रहे हैं और देश की बहनों-बेटियों को निशाना बना रहे हैं. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.’

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार एक हाई-पावर्ड मिशन बनाने जा रही है, जो देश की जनसंख्या में बदलाव लाने की “सुनियोजित साज़िश” से निपटेगा.

मोदी ने कहा, “आज मैं देश को एक चिंता और चुनौती के बारे में चेतावनी देना चाहता हूं. एक सोची-समझी साज़िश के तहत देश की जनसंख्या का ढांचा बदला जा रहा है. एक नई समस्या के बीज बोए जा रहे हैं. ये घुसपैठिए देश के युवाओं की रोज़ी-रोटी छीन रहे हैं और देश की बहनों-बेटियों को निशाना बना रहे हैं. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”

उन्होंने आगे कहा, “ये घुसपैठिए आदिवासियों को गुमराह करते हैं और उनकी ज़मीन छीन लेते हैं. यह देश इसे बर्दाश्त नहीं करेगा.” प्रधानमंत्री के मुताबिक, देश और सीमा क्षेत्रों में जनसंख्या में बदलाव से राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता, अखंडता और प्रगति को खतरा है, साथ ही सामाजिक तनाव भी पैदा होता है. उन्होंने कहा, “कोई भी देश अपने देश को घुसपैठियों को नहीं सौंप सकता…दुनिया का कोई भी देश नहीं कर सकता. तो भारत कैसे कर सकता है?”

उन्होंने कहा, इसीलिए सरकार तय समय सीमा के भीतर इस संकट से निपटने के लिए एक हाई-पावर्ड मिशन बनाएगी.

यह घोषणा ऐसे समय हुई है जब बिहार में चुनाव आयोग के स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न (SIR) को लेकर राजनीतिक विवाद जारी है. विपक्ष का कहना है कि इस प्रक्रिया में हाशिये पर खड़े तबकों और समुदायों के लाखों लोगों को मतदाता सूची से बाहर किया जा रहा है.

इससे पहले, इस हफ्ते की शुरुआत में बिहार में मताधिकार छीने जाने के आरोपों पर चुनाव आयोग का बचाव करते हुए बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी “घुसपैठिया वोटरों” को बचाने और SIR प्रक्रिया को कमज़ोर करने के लिए झूठ फैला रहे हैं.

ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “राहुल गांधी अपने घुसपैठिया वोटरों को बचाना चाहते हैं. ये लोग अफवाहें फैलाते हैं और घुसपैठियों को बचाते हैं. SIR असली भारतीय वोटरों के अधिकारों की रक्षा के लिए है.”

‘घुसपैठिया’ की राजनीति

यह पहली बार है जब मोदी ने पूरे देश में फैल रहे “जनसांख्यिकीय खतरे” पर विस्तार से बात की है, लेकिन “घुसपैठिया” की राजनीति पिछले कुछ सालों से भारतीय जनता पार्टी का लगातार उठाया जाने वाला मुद्दा रही है.

पिछले साल झारखंड चुनाव के दौरान, यह बीजेपी का मुख्य चुनावी एजेंडा था. मोदी ने एक रैली में कहा था, “झारखंड में तुष्टिकरण की राजनीति चरम पर है, जहां झामुमो-नेतृत्व वाला गठबंधन बांग्लादेशी घुसपैठियों का समर्थन करने में लगा है. अगर यह चलता रहा तो राज्य की आदिवासी आबादी घट जाएगी. यह आदिवासी समाज और देश—दोनों के लिए खतरा है. यह गठबंधन ‘घुसपैठिया बंधन’ और ‘माफिया का गुलाम’ बन चुका है.”

लोकसभा चुनाव में भी मोदी ने कहा था कि कांग्रेस, जो मानती है कि देश के संसाधनों पर मुसलमानों का पहला हक है, अगर सत्ता में आई तो गैर-मुसलमानों की संपत्ति और धन “घुसपैठियों” को दे देगी. उन्होंने राजस्थान की एक रैली में कहा था, “क्या आपकी मेहनत की कमाई घुसपैठियों को जानी चाहिए? क्या आप इसे मंजूर करते हैं?”

2018 में, उस समय के बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पहली बार “घुसपैठिये” शब्द का इस्तेमाल किया था और “बांग्लादेशी प्रवासियों” को “दीमक” बताया था. उन्होंने असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के ड्राफ्ट का ज़िक्र करते हुए कहा था, “बीजेपी सरकार एक-एक घुसपैठिये को चुन-चुनकर मतदाता सूची से हटाने का काम करेगी.”

2019 में, हरियाणा की एक चुनावी रैली में गृहमंत्री के तौर पर शाह ने कहा था, “70 सालों से अवैध प्रवासी इस देश में घुसपैठ कर रहे हैं और हमारी सुरक्षा को कमजोर कर रहे हैं. बीजेपी की सरकार और मोदी जी का संकल्प है कि एनआरसी बनाकर हम सभी घुसपैठियों को देश से बाहर निकालेंगे.”

पिछले कुछ महीनों में, सरकार ने पूरे देश में “बांग्लादेशी प्रवासियों” को चिन्हित करने के प्रयास तेज कर दिए हैं और इसी आधार पर कई लोगों को बांग्लादेश भेजा भी गया है.

आरएसएस का रुख

पिछले कई सालों से जनसंख्या और जनसंख्या नियंत्रण, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लिए एक अहम मुद्दा रहा है.

पिछले साल ही, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि भारत को एक “सोच-समझकर बनाई गई जनसंख्या नीति” की ज़रूरत है. हालांकि, उन्होंने किसी भी धार्मिक समुदाय का नाम नहीं लिया था. उन्होंने तीन बच्चे होने की बात भी कही, लेकिन इसे केवल हिंदुओं तक सीमित नहीं किया.

साल 2022 में अपने दशहरा भाषण में, भागवत ने “धर्म आधारित असंतुलन” और “जबरन धर्मांतरण” पर चिंता जताई थी और चेतावनी दी थी कि ऐसे असंतुलन के कारण भारत समेत कई देशों के टूटने का खतरा रहता है.

उन्होंने कहा था, “जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाएं बदल सकती हैं…जनसंख्या नियंत्रण और धर्म आधारित संतुलन अब नज़रअंदाज़ करने वाला विषय नहीं है. इसलिए एक समग्र जनसंख्या नीति बननी चाहिए और वह सब पर समान रूप से लागू होनी चाहिए.”

इससे पहले 2013 में, अब आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय ने कहा था कि “बड़े हिंदू परिवार” होने से कुछ इलाकों में अल्पसंख्यकों को जनसंख्या में “हावी” होने से रोका जा सकेगा.

विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) इस मुद्दे पर और भी स्पष्ट रही है. 2015 में, वीएचपी नेता चंपत राय ने कहा था कि परिवार नियोजन अब “हिंदुओं का केवल निजी मामला नहीं रहा” और अगर वे एक ही बच्चे पर संतुष्ट रहे, तो “मुसलमान देश पर कब्ज़ा कर लेंगे.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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