नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश की तर्ज पर अब हरियाणा में भी हिसार के एक पत्रकार पर फूड एंड सप्लाई डिपार्टमेंट को बदनाम करने और विभाग में जबर्दस्ती घुसने के आरोप को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है. गौरतलब है कि पत्रकार ने दो महीने पहले उकलाना मंडी के फूड एंड सप्लाई डिपार्टमेंट के गोदाम में सड़ रहे गेहूं पर रिपोर्ट की थी.
8 सितंबर को हरियाणा पुलिस ने पत्रकार अनूप कुंडू पर राज्य के फूड एंड सिविल सप्लाइज डिपार्टमेंट के अधिकारियों की शिकायत पर केस दर्ज किया है. इस शिकायत में आरोप लगाया गया है कि एसटीवी हरियाणा चैनल पर 18 जुलाई का गोदाम में सड़ रहे गेहूं का वीडियो फेक है.
दिप्रिंट से बात करते हुए कुंडू ने इन आरोपों को खारिज किया है. वो कहते हैं, ‘मेरी खबर प्रकाशित होने के बाद मंत्री करण देव कंबोज ने इस मामले पर एक्शन लेने की बात कही थी.’
वहीं फूड एंड सप्लाइज डिपार्टमेंट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये सारे एक्शन मंत्री जी के इशारों पर हो रहे हैं.
वो आगे बताते हैं, ‘हम भी इस मामले में नहीं पड़ना चाहते हैं. एक अन्य अधिकारी ने सीनियर पत्रकार से मामला रफा-दफा करने की बात भी कही है. आगे की कार्रवाई मंत्री जी के ऑफिस से ही तय की जाएगी. अब मामला हमारे हाथों में नहीं है.’
गौरतलब है कि एफआईआर में मंत्री के एक बयान का हवाला दिया गया है कि डीसी न्यूज चैनल पर कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं. वहीं मंत्री के ऑफिस ने दिप्रिंट को बताया कि करण देव कंबोज ने डिपार्टमेंट को जांच करने के लिए कहा था. ऑफिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमें पता चला कि पत्रकार ने डिपार्टमेंट को बदनाम करने की कोशिश की है. हम इस एफआईआर को लेकर आश्वस्त हैं.’
क्या था पूरा मामला?
दिप्रिंट से बात करते हुए अनूप कुंडू कहते हैं, ‘मुझे 17 जुलाई को गोदाम में गेहूं के अंकुरित होने की बात पता चली थी. मैं वहां गया और गार्ड के बयान का भी वीडियो बनाया. लेकिन शाम को ही मेरे पास किसी खाद्य विभाग के इंस्पेक्टर रामफल का धमकी भरा फोन आया कि मैं गोदाम के अंदर कैसे घुसा. इस बातचीत का ऑडियो भी वायरल हुआ. उसके अगले दिन मेरे चैनल एसटीवी हरियाणा ने खबर चला दी.’
वीडियो में गेहूं के अंकुरित होने की फुटेज दिखाई गई. वो आगे जोड़ते हैं, ‘ये खबर फूड एंड सप्लाई मिनिस्टर करण सिंह कंबोज तक भी पहुंची. उन्होंने कहा था कि उचित कार्रवाई की जाएगी. उसके बाद कुछ भाजपा नेता और संबंधित अधिरकारी गोदाम गए. उन्होंने मेरी खबर को सही पाया. 19 जुलाई को करनाल में मंत्री जी से किसी ने इस खबर को लेकर सवाल किया. इसके बाद से ही मुझे झूठा साबित करने की साजिश शुरू हो गई.’
अधिकारियों का पक्ष
फूड एंड सप्लाई विभाग के रामफल ने पत्रकार को धमकाने जैसी बात से इनकार करते हुए कहा, वीडियो फर्जी था. उसके साथ छेड़छाड़ की गई थी. उसमें बोर्ड तो हमारा था लेकिन गेहूं किसी और गोदाम का. अब मामला उच्च अधिकारियों के पास पहुंच गया है. जांच में वीडियो का सच भी सामने आ जाएगा.
लेकिन एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इस तरह की खबरें छापी जाती रही हैं और इसमें कोई बड़ी बात नहीं है. वो कहते हैं, ‘ये मामला भी उतना बड़ा नहीं था. बस बढ़ गया है.’ हालांकि कई अन्य अधिकारियों ने इस पर बात करने से मना कर दिया.
प्रदेशभर में विरोध
मामले के अगले दिन ही प्रदेश के पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ लिखना शुरू कर दिया. पिछले हफ्ते कम से कम 50 पत्रकार हिसार मीडिया सेंटर पर इकट्ठा हुए और इस एफआईआर का विरोध करते हुए डीसी अशोक मीणा को ज्ञापन सौंपा. साथ ही उन्होंने जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी सुभाष सिहाग के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग उठाई है. सिहाग डीसी द्वारा इस मामले की तहकीकात करने वाली टीम का हिस्सा रहे हैं. पत्रकारों ने उन पर रामफल को क्लीन चिट देने और पत्रकार पर एफआईआर कराने के आरोप लगाए हैं.
हालांकि सुभाष सिहाग ने इस मुकदमे को लेकर दिप्रिंट को बताया कि ये वीडियो फेक तो नहीं है लेकिन छेड़छाड़ करके बनाया गया है. मामला दर्ज हो गया है. वीडियो की सत्यता के बाद सच्चाई सामने आएगी. डीसी अशोक मीणा ने पत्रकारों को निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है.
अधिकारियों के रवैये को लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार विजेंद्र सिंह का कहना है, ‘अगर मामला आगे बढ़ता है तो हम अनूप के साथ हैं. प्रदेशभर में धरने किए जाएंगे.’
इस मामले को शुरू से सोशल मीडिया पर उजागर कर रहे स्थानीय पत्रकार रुद्र राजेश कुंडू का कहना है, ‘अनूप को मैं पिछले कई सालों से जानता हूं. उसने कई खबरें ब्रेक की हैं. सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के नेक्सस को लेकर मुख्यमंत्री तक ने उसकी खबरों का संज्ञान लिया है. हम सब पत्रकारों ने वो वीडियो देखा है. वो कहीं से भी भ्रामक नहीं है. हमारी सबसे पहली कोशिश यही है कि एफआईआर रद्द हो.’
दिप्रिंट से बात करते हुए अनूप ने बताया, ‘मैं एक किसान परिवार से आता हूं. मैंने सात साल पहले पत्रकारिता शुरू की थी. जब पुलिस केस हुआ तो मेरा परिवार डर गया. सच बताऊं तो मुझे भी डर लगा लेकिन पत्रकारों से मिले समर्थन के बाद मैं थोड़ा ठीक महसूस कर रहा हूं.’
वहीं इस महीने की शुरुआत में यूपी सरकार ने पत्रकार पवन कुमार जायसवाल पर मिर्जापुर के एक स्कूल मे बच्चों को मि-डे-मील में नमक-रोटी परोसने की खबर को लेकर मामला दर्ज किया था.