नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने रविवार को पार्टी के विदेश मामलों के विभाग के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि अब यह ज़िम्मेदारी युवा नेताओं को सौंपी जानी चाहिए.
शर्मा को अगस्त 2018 में इस पद पर नियुक्त किया गया था, उस समय राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष थे. वे अब भी पार्टी की कार्यसमिति के सदस्य हैं, जो कांग्रेस का सबसे बड़ा निर्णय लेने वाला मंच है.
अपने इस्तीफे में शर्मा ने लिखा, “मैं पहले भी कांग्रेस अध्यक्ष और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष को यह राय दे चुका हूं कि समिति को फिर से गठित किया जाए, ताकि इसमें योग्य और उम्मीद से भरे युवा नेताओं को जगह मिले. इससे कामकाज में निरंतरता बनी रहेगी.”
फिलहाल मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस अध्यक्ष हैं और सोनिया गांधी कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष हैं.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बने केंद्र सरकार के बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों में कांग्रेस नेतृत्व ने विदेश मामलों में पार्टी का प्रतिनिधित्व करने के लिए सिर्फ शर्मा को चुना था.
हालांकि, पिछले कुछ सालों में शर्मा कई मुद्दों पर पार्टी नेतृत्व, खासकर राहुल गांधी से असहमत रहे हैं.
इस महीने की शुरुआत में जब लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस आकलन से सहमत हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था “मरी हुई” है, तो शर्मा ने अलग राय रखी.
उन्होंने 4 अगस्त को एक्स पर लिखा, “राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने बयानों और कामों से दुनिया के समीकरण में भारी हलचल और अभूतपूर्व व्यवधान पैदा किया है. भारत और उसकी अर्थव्यवस्था पर उनकी टिप्पणियां अपमानजनक और अस्वीकार्य हैं. भारत पहले भी दबावों और ख़तरों का सामना कर मज़बूत होकर निकला है. ट्रंप गलत हैं कि भारत के पास विकल्प नहीं हैं. चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर भारत में मजबूती और क्षमता है कि वह बराबरी और आपसी सम्मान के आधार पर दुनिया से संवाद कर सके…”
President Trump has triggered an upheaval and caused unprecedented disruption in the world order by his utterances and actions. His comments on India and its Economy are belittling and unacceptable. (1/4)
— Anand Sharma (@AnandSharmaINC) August 4, 2025
यूपीए-2 सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्री रहे शर्मा अप्रैल 2022 तक राज्यसभा में थे. साल 2021 में वे पार्टी के ‘जी-23’ समूह का हिस्सा थे, जिसने संगठन में बड़े बदलाव की मांग की थी.
पिछले साल हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा के लिए दोबारा नामांकन न मिलने से वे कथित तौर पर नाराज़ हुए थे. मार्च 2024 में उन्होंने खरगे को पत्र लिखकर कांग्रेस की जातिगत जनगणना की मांग पर सवाल उठाए थे, जो राहुल गांधी की राजनीति का मुख्य मुद्दा है.
उन्होंने लिखा था कि जाति जनगणना पार्टी की पुरानी नीति से “मूलभूत बदलाव” होगा और इसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की विरासत के प्रति “अनादर” के रूप में भी देखा जा सकता है.
शर्मा के इस्तीफे की खबर पर विदेश मामलों के विभाग में उनके सहयोगी और चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि अफ्रीका पर शर्मा की समझ गहरी और सटीक है.
उन्होंने एक्स पर लिखा, “हम मई के अंत और जून 2025 की शुरुआत में एक ही राजनीतिक-रणनीतिक प्रतिनिधिमंडल में साथ थे और उनके विचारों से हमें बहुत लाभ हुआ. उन्होंने अपना लगभग साढ़े पांच दशक का जीवन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सेवा में लगाया है. उन्हें स्वस्थ और संतोषपूर्ण जीवन की शुभकामनाएं.”
Had the pleasure and honour of working with @AnandSharmaINC for over four decades.
His understanding of Foreign Affairs is astute. Especially on Africa the depth of his knowledge is incisive.
As we were together on the same politico- strategic delegation together in End May -… https://t.co/AVKVGe8YFR
— Manish Tewari (@ManishTewari) August 10, 2025
अपने इस्तीफे में शर्मा ने यह भी कहा कि कांग्रेस के विदेश मामलों के विभाग ने “मित्र राजनीतिक दलों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ नेतृत्व प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान की एक संस्थागत व्यवस्था” बनाई है.
उन्होंने लिखा, “मुझे 1980 के दशक के मध्य से, भारतीय युवा कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में, कांग्रेस की सभी बड़ी अंतरराष्ट्रीय पहलों में सक्रिय रूप से जुड़ने का सौभाग्य मिला. इनमें 1985 का गुटनिरपेक्ष देशों का युवा सम्मेलन और 1987 का ऐतिहासिक ‘एंटी अपार्थाइड कॉन्फ्रेंस’ शामिल है, जिन्हें विश्व स्तर पर सराहा गया.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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