गुरुग्राम: ‘रिसॉर्ट पॉलिटिक्स’ अब अंतरराष्ट्रीय हो गई है, वह भी निकाय चुनावों के साथ. भाजपा अपने मानेसर के पार्षदों को देश की सीमाओं से बाहर—नेपाल भेज रही है. यह मानेसर नगर निगम में 5 अगस्त को वरिष्ठ उपमहापौर और उपमहापौर के चुनाव से पहले हो रहा है.
क्रॉस वोटिंग रोकने के लिए पार्टी ने 12 पार्षदों को नेपाल भेजा है. इससे पहले इन्हें गोवा और गुवाहाटी भी भेजा जा चुका है.
यह हाई-वोल्टेज ड्रामा बीजेपी के भीतर उभरी गुटबाजी की पृष्ठभूमि में हो रहा है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का गुट—जिसे राज्य मंत्री राव नरबीर सिंह का समर्थन है—केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के खिलाफ खड़ा है, जिन्हें अहीरवाल क्षेत्र में काफी समर्थन है.
क्षेत्रीय और जातीय कारकों से भरी यह प्रतिद्वंद्विता मानेसर निकाय चुनाव को हरियाणा भाजपा में वर्चस्व की लड़ाई में बदल चुकी है.
मानेसर भाजपा अध्यक्ष अजीत सिंह यादव ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार किया. उन्होंने दिप्रिंट से कहा कि उनके पास बहुत संगठनात्मक जिम्मेदारियां हैं और वह इसमें नहीं पड़ना चाहते.
गुरुग्राम जिले के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने, नाम न बताने की शर्त पर, पुष्टि की कि पार्षद नेपाल में हैं. मीडिया की एक तस्वीर में पार्षद काठमांडू के एक रेस्टोरेंट से निकलते दिखे.
बीजेपी नेता ने बताया कि चुनाव के दिन पार्षदों को सीधे मानेसर के कॉन्फ्रेंस हॉल में ले जाया जाएगा, बीच में कहीं रुकने नहीं दिया जाएगा ताकि बाहरी प्रभाव न पड़े.
बीजेपी की ‘रिसॉर्ट पॉलिटिक्स’ इस साल की शुरुआत में मानेसर महापौर चुनाव में हार के बाद आई है, जब निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. इंद्रजीत कौर—जो राव इंद्रजीत की समर्थक हैं—महापौर बनीं.
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, खट्टर और राव नरबीर के जोरदार प्रचार के बावजूद पार्टी महापौर की सीट नहीं जीत सकी और 20 सदस्यीय निकाय में उसके सात पार्षद चुने गए.
हार के बाद राव नरबीर ने तेजी से कदम उठाया और सात निर्दलीयों को भाजपा में शामिल कर संख्या 14 कर दी.
लेकिन क्रॉस वोटिंग के डर से भाजपा कोई जोखिम नहीं ले रही है.
नेपाल में पार्षदों को रखने का फैसला इस दृढ़ संकल्प को दिखाता है कि पार्टी एक और झटके से बचना चाहती है, खासकर महापौर चुनाव की हार के बाद.
बीजेपी की ‘रिसॉर्ट पॉलिटिक्स’ हरियाणा की उस राजनीति की याद दिलाती है जब 1985 में दलबदल विरोधी कानून लागू होने से पहले पार्टियां अपने विधायकों को दूर-दराज़ के रिसॉर्ट्स में भेजती थीं, ताकि उन्हें दूसरी पार्टी में जाने से रोका जा सके.
2019 में, एनसीपी नेता सोनिया दूहन ने अपने दल के चार विधायकों को भाजपा शासित हरियाणा के गुरुग्राम के एक होटल से “बचाया” था, जब देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार की मदद से महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कोशिश कर रहे थे.
हाल ही में, हरियाणा बीजेपी ने फरवरी 2024 में राज्यसभा चुनाव से पहले हिमाचल प्रदेश के छह कांग्रेस विधायकों को सरकारी रेस्ट हाउस और बाद में पंचकूला के होटल में रखा था.
इस ‘रिसॉर्ट पॉलिटिक्स’ के केंद्र में खट्टर और राव इंद्रजीत के बीच पुरानी प्रतिद्वंद्विता है. गुरुग्राम से छह बार के सांसद और रेवाड़ी के पूर्व शाही परिवार के सदस्य राव इंद्रजीत ने खट्टर की नेतृत्व शैली की आलोचना करने से कभी परहेज नहीं किया.
गुटबाजी राज्य स्तर तक फैली है, जहां खट्टर समर्थक राव नरबीर का राव इंद्रजीत से टकराव रहा है. 2019 में, राव नरबीर को विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं मिला, जिसे राव इंद्रजीत के प्रभाव का नतीजा माना गया. हालांकि 2024 में उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद टिकट पाया, बादशाहपुर से जीते और मंत्री बने ताकि अहीरवाल में शक्ति संतुलन हो सके. लेकिन मानेसर महापौर चुनाव में हार राव नरबीर के लिए व्यक्तिगत झटका थी, जिन्होंने बीजेपी प्रत्याशी सुंदर लाल के लिए जोरदार प्रचार किया था. डॉ. कौर की जीत, जिसे राव इंद्रजीत के गुट का समर्थन था, ने विभाजन को और बढ़ा दिया.
राव नरबीर सिंह ने अपने मोबाइल पर किए गए कॉल का जवाब नहीं दिया.