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Tuesday, 12 August, 2025
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प्रियंका से शर्मिला और कनिमोझी से मीसा तक — कविता एक बड़ी लड़ाई लड़ रही हैं

BRS नेता कविता तब से आहत हैं जब से उनकी वह चिट्ठी ‘लीक’ हुई, जिसमें उन्होंने अपने पिता से बीजेपी पर नरम रुख अपनाने पर सवाल किया था.

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पूर्व तेलंगाना मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता परेशान हैं. उन्होंने सोमवार को 72 घंटे का अनशन शुरू किया, जिसमें नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों और स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्गों के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण की मांग की. उनकी पार्टी भारत राष्ट्र समिति इसमें शामिल नहीं हो रही है.

उन्हें राजनीतिक विरोधियों के साथ-साथ पार्टी सहयोगियों द्वारा ट्रोल और मज़ाक बनाया जा रहा है, लेकिन कोई भी उनके बचाव में नहीं आया है. यहां तक कि उनके भाई और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने भी कुछ नहीं कहा. हालात और बिगड़ गए जब उन्हें भारत राष्ट्र समिति से जुड़ी ट्रेड यूनियन तेलंगाना बोग्गु घनी कर्मिका संगम (टीबीजीकेएस) के मानद अध्यक्ष पद से हटा दिया गया.

बीआरएस नेता कविता ने “पार्टी के अंदरूनी लोगों” पर उनके खिलाफ हमले करने वालों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है और बीआरएस “भाइयों” की चुप्पी पर सवाल उठाया है.

तो, बीआरएस के ‘पहले परिवार’ में क्या हो रहा है? पिछले साल अगस्त में जब वह कथित शराब घोटाले में तिहाड़ जेल से जमानत पर बाहर आईं, तो उनका परिवार बाहर इंतज़ार कर रहा था. आंखों में आंसू लिए उन्होंने अपने भाई के. टी. रामाराव का हाथ चूमा था. एक साल बाद, वह परिवार से अलग-थलग और उपेक्षित दिख रही हैं.

उनके ‘लेटर बम’ से जुड़ा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इसकी वजह यह नहीं है कि उनके पिता उस पत्र से नाराज़ हैं, जिसमें उन्होंने उनके काम करने के तरीके से असहमति जताई थी, बल्कि यह है कि उनकी पार्टी ने कैसे प्रतिक्रिया दी — लगभग उन्हें छोड़ दिया. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पिता ने बेटी को “तीन या चार बार” फोन किया, लेकिन भाई ने उनसे पूरी तरह संपर्क तोड़ लिया है.

BRS में उत्तराधिकार की जंग?

इन घटनाक्रमों को राजनीतिक हलकों में कविता और केटीआर के बीच खुली उत्तराधिकार की जंग के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें चचेरे भाई हरीश राव अपनी महत्वाकांक्षाओं को रोककर केटीआर के प्रति निष्ठा जता रहे हैं.

लेकिन मामला इतना आसान नहीं है. बीआरएस के पहले परिवार के करीबी सूत्रों का कहना है कि कविता की मौजूदा मुश्किलों के पीछे उनके भाई नहीं हैं. इस तूफान को भड़काने वाला शख्स वह है जिसे पार्टी हलकों में ‘तेलंगाना का वी.के. पंडियन’ कहा जा रहा है — ओडिशा के पूर्व आईएएस अफसर का संदर्भ, जिनके “नियंत्रण” ने पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को बीजू जनता दल (बीजेडी) नेताओं से दूर कर दिया और आखिरकार, पटनायक की सत्ता चली गई.

बीआरएस के पारिवारिक विवाद में यह कोई पूर्व आईएएस अफसर नहीं, बल्कि एक नज़दीकी रिश्तेदार और केसीआर के भरोसेमंद साथी हैं, जिनके बारे में सूत्रों का कहना है कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री पर ‘नियंत्रण’ हासिल कर लिया है. और यही वह व्यक्ति है जिसके खिलाफ कविता ने मोर्चा खोला है.

कविता तब से आहत हैं जब से उनका केसीआर को लिखा पत्र “लीक” हो गया — एक पत्र जिसमें उन्होंने पार्टी की 25वीं वर्षगांठ के भाषण में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रति नरमी बरतने पर अपने पिता से सवाल किया था. उन्होंने कहा था कि इससे यह धारणा बनती है कि भविष्य में बीआरएस और बीजेपी साथ काम कर सकते हैं.

पत्र में पार्टी नेतृत्व के कामकाज को लेकर अन्य चिंताएं भी जताई गई थीं. यह ‘लीक’ तब हुआ जब वह अमेरिका में अपने बड़े बेटे से मिलने गई हुई थीं. हालांकि उन्होंने रवाना होने से पहले ही पत्र भेज दिया था, कई लोगों को यह अजीब लग सकता है कि उन्होंने पिता से सीधे बात करने के बजाय पत्र लिखा, जो शायद दरार का संकेत था. लेकिन सच यह है कि वह सालों से हाथ से लिखे पत्र ही भेजती रही हैं — ईमेल नहीं, क्योंकि केसीआर ईमेल इस्तेमाल नहीं करते. आमतौर पर वह मुलाकात के दौरान पत्र देती थीं, जिसे वह बाद में पढ़कर जवाब देते थे. इस बार, कविता ने पत्र अपनी मां के जरिए भेजा क्योंकि वह बीमार थीं और अपने बुजुर्ग पिता को संक्रमित करने का जोखिम नहीं लेना चाहती थीं.

लेकिन जब पत्र उनके भारत लौटने से ठीक पहले सामने आया, तो वह बेहद नाराज़ हो गईं. उन्हें इसमें एक पैटर्न दिखा — और एक परिचित हाथ, जिस पर उन्हें हमेशा शक था. सूत्रों का कहना है कि उन्हें शक है कि उनके चचेरे भाई जोगिनापल्ली संतोष कुमार इस लीक के पीछे हैं. संतोष, कविता की मां शोभा की बहन का बेटा है, जो केसीआर के “नर्स और पीए” की तरह 24×7 उनके साथ रहता है, उनकी देखभाल करता है — ठीक वैसे ही जैसे पंडियन पटनायक के साथ करते थे. एकांतप्रिय और मुश्किल से मिलने वाले केसीआर तक इस तरह की पहुंच ने उन्हें अपार ताकत दी है. बीआरएस प्रमुख ने 2018 में उन्हें राज्यसभा की सीट भी दी. संतोष ने, अपनी तरफ से, दिप्रिंट से बातचीत में इन आरोपों से सख्ती से इनकार किया. लेकिन कविता, उनके सहयोगियों का कहना है, तब तक शांत नहीं होंगी जब तक उनके पिता संतोष को नहीं हटाते.

सूत्रों का कहना है कि कविता का गुस्सा सीधे संतोष पर है. उन्होंने यह बात सार्वजनिक रूप से नहीं कही, लेकिन भाई केटीआर की चुप्पी — और बीआरएस से जुड़े हैंडल्स द्वारा ऑनलाइन ट्रोलिंग — ने उन्हें किसी बड़े खेल की आशंका में डाल दिया है. पार्टी में तीन भाईयों — केटीआर, हरीश राव और संतोष कुमार — का दबदबा है.

कविता के लिए आगे क्या?

एक दशक से भी पहले, जब केसीआर ने उन्हें निज़ामाबाद से चुनाव लड़ने के लिए कहा, तो उन्होंने साफ कर दिया था कि केटीआर उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी होंगे. बीआरएस नेताओं का कहना है कि कविता को इससे “पूरी तरह कोई दिक्कत” नहीं थी. वह जानती थीं कि भारतीय राजनीति में बेटों को ही पिता — और ज्यादातर माताएं — प्राथमिकता देते हैं, चाहे बेटियां कितनी भी सक्षम क्यों न हों.

ऐसी बहुत मिसालें हैं. प्रियंका गांधी वाड्रा शायद अधिक प्रभावशाली हों, अधिक जनप्रिय हों, और अपने भाई से बेहतर राजनीतिक समझ और नेतृत्व क्षमता रखती हों, लेकिन उन्हें राहुल गांधी के पीछे ही रहना पड़ता है. क्योंकि यही सोनिया गांधी चाहती हैं. राहुल ही उनका पसंदीदा प्रधानमंत्री पद का चेहरा हैं, चाहे कांग्रेस को इसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े.

लेकिन दोष सिर्फ सोनिया गांधी को क्यों दें? कनिमोझी कितनी भी अच्छी नेता क्यों न हों, उन्हें कभी करुणानिधि की विरासत का दावेदार नहीं माना गया. यहां तक कि मातृसत्तात्मक समाज मेघालय में भी हालात अलग नहीं हैं. मुझे याद है कि पीए संगमा कितने स्नेह से अपनी बेटी अगाथा के बारे में बात करते थे. उन्होंने 1999 के अपने विद्रोह के लिए सोनिया से माफी भी मांगी थी और बाद में अगाथा को मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में जगह मिली थी. लेकिन राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में नाम हमेशा उनके बेटे कॉनराड का ही होना था.

वाईएस शर्मिला, दिवंगत वाई.एस. राजशेखर रेड्डी की बेटी, ने अपने जेल में बंद भाई जगन मोहन रेड्डी के लिए माहौल बनाने के लिए 3,000 किलोमीटर की पदयात्रा की. जब वह सत्ता में आए, तो उन्हें किनारे कर दिया गया और पार्टी छोड़नी पड़ी. श्रेय उनकी मां वाई.एस. विजयम्मा को जाता है, जिन्होंने बेटे को छोड़ बेटी का साथ चुना. बाद में उन्होंने कहा कि यह देखना “बेहद तकलीफदेह” था कि एक बच्चे को दूसरे ने नुकसान पहुंचाया. लालू प्रसाद यादव ने खुशी-खुशी अपनी बेटी मीसा भारती को संसद भेजा, लेकिन बिहार में उनकी राजनीतिक विरासत बेटे तेजस्वी यादव को ही मिली.

सभी माताएं वह साहस नहीं दिखातीं

इधर-उधर देखिए. हर राजनीतिक दल, हर राजनीतिक परिवार में यही कहानी है — जब तक बेटे मौजूद हैं, बेटियों को शायद ही कभी विरासत मिलती है. कुछ अपवाद हैं, जैसे सुप्रिया सुले. क्या शरद पवार ने अपनी बेटी को अपनी राजनीतिक विरासत का वारिस बनाने के लिए अपने भतीजे अजित से टकराव नहीं किया और यहां तक कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दो हिस्से होने दे दिए? सही है. लेकिन हम यह नहीं जानते कि अगर उनके पास बेटा होता, भतीजा नहीं, जो गद्दी के लिए दावा कर रहा होता, तो वह क्या करते.

तो नहीं, कविता अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत में ही अपने पिता द्वारा उत्तराधिकार की योजना साफ करने से निराश नहीं हुई होंगी. वह दिल्ली में बीआरएस का चेहरा बनने से संतुष्ट थीं. आज, वह घिरी हुई हैं. उनके पिता संतोष के खिलाफ उनकी शिकायत सुनने के इच्छुक नहीं लगते. और जानबूझकर या यूं ही, उनके भाई भी खास चिंतित नहीं दिखते.

केटीआर की सहमति के बिना उन्हें ट्रेड यूनियन से नहीं हटाया जा सकता था. अब उनकी चुप्पी किसी भी बयान से ज्यादा असरदार है.

उधर, बीजेपी और कांग्रेस बीआरएस में हो रही इन घटनाओं को बड़ी दिलचस्पी से देख रहे हैं. पिछले हफ्ते मेरी मुलाकात मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और राज्य बीजेपी अध्यक्ष रामचंदर राव से हुई. दोनों बीआरएस को अपना दुश्मन नंबर 1 मानते हैं, हालांकि अलग-अलग कारणों से. रेवंत इस क्षेत्रीय पार्टी को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानते हैं. राव कहते हैं कि बीजेपी पहले बीआरएस को खत्म करेगी और फिर कांग्रेस को सत्ता से हटाएगी.

कविता के करीबी बीआरएस नेताओं का कहना है कि वह “स्वाभिमान” के लिए लड़ रही हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं. यह उत्तराधिकार की जंग नहीं है. कम से कम अभी तक तो नहीं. उनके भैय्या — भाई — जाहिर है अलग सोचते हैं.

कविता इस हफ्ते अपने रामा भैय्या (केटीआर) से मिलने जाएंगी ताकि उनके हाथ पर राखी बांध सकें. देखते हैं बदले में उन्हें क्या तोहफा मिलता है.

डीके सिंह दिप्रिंट के पॉलिटिकल एडिटर हैं. उनका एक्स हैंडल @dksingh73 है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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