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Wednesday, 30 July, 2025
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छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी से केरल में सियासत गरमाई, BJP नेता बरत रहे हैं सावधानी

छत्तीसगढ़ में जबरन धर्म परिवर्तन और मानव तस्करी के आरोप में हुई गिरफ्तारी ने केरल में सियासी हलचल मचा दी है, जहां बीजेपी ईसाई वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही है.

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तिरुवनंतपुरम: बीजेपी शासित छत्तीसगढ़ में जबरन धर्म परिवर्तन और मानव तस्करी के आरोप में दो मलयाली कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी ने चुनावी राज्य केरल में एक राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है, जिससे बीजेपी की चुनावी महत्वाकांक्षाएं पिछड़ गई हैं.

चर्च नेताओं और प्रमुख राजनीतिक मोर्चों द्वारा निंदा किए गए इस घटनाक्रम ने अल्पसंख्यक समुदाय को लुभाने और केरल में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के पार्टी के प्रयासों पर असर डाला है.

45 वर्षीय सिस्टर प्रीति मैरी और 50 वर्षीय सिस्टर वंदना फ्रांसिस को 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन से एक तीसरे व्यक्ति, सुकामन मंडावी के साथ गिरफ्तार किया गया. यह गिरफ्तारी बजरंग दल के एक स्थानीय कार्यकर्ता की शिकायत के बाद हुई.

शिकायत में आरोप लगाया गया कि वे बस्तर के नारायणपुर की तीन लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन करवा रही थीं. प्रीति एर्नाकुलम के अंगमाली स्थित एलावूर पैरिश से हैं, जबकि वंदना फ्रांसिस कन्नूर के थालास्सेरी स्थित उदयगिरी पैरिश से हैं. दोनों असिसी सिस्टर्स ऑफ मैरी इमैक्युलेट (ASMI) संगठन से जुड़ी हैं.

उन पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 143 के तहत मानव तस्करी और छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 4 के तहत जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया गया है.

केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल (KCBC) के फादर माइकल पुलिक्कल ने दिप्रिंट से कहा कि गिरफ्तारी बजरंग दल के सदस्यों द्वारा लगाए गए “झूठे और बेबुनियाद” आरोपों के आधार पर की गई है. उन्होंने बताया कि कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) और KCBC दोनों ने इस मामले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है.

उन्होंने कहा, “जबरन धर्म परिवर्तन कैथोलिक चर्च का एजेंडा नहीं है. जब लोग खुद हमारे पास धर्म परिवर्तन के लिए आते हैं, तब भी हम एक लंबी और विस्तृत प्रक्रिया अपनाते हैं. यह सिर्फ एक आरोप हैं. लड़कियां 18 साल से ऊपर और एडल्ट हैं, तो अगर वे सार्वजनिक परिवहन में यात्रा कर रही हैं, तो यह मानव तस्करी कैसे हुई?”

पादरी ने कहा कि यह मुद्दा गहरे सांप्रदायिक पूर्वाग्रह से उपजा है, क्योंकि लड़कियां सिर्फ ईसाई ननों के साथ यात्रा कर रही थीं.

केरल के राजनीतिक विश्लेषक सी.आर. नीलकंठन ने कहा कि यह घटना राज्य में भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है.

उन्होंने कहा, “सिर्फ केरल में ही ईसाई समुदाय भाजपा का स्वागत करता है. बाहर की बात अलग है. यहां तक कि चर्च ने भी देश के अन्य हिस्सों में इसी तरह की घटनाओं पर चुप्पी साधी थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.”

राजनीतिक मोड़

हालांकि, यह मुद्दा राजनीतिक रूप ले चुका है क्योंकि सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) और विपक्षी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) ने बीजेपी शासित राज्यों में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को उजागर किया है.

मंगलवार को वरिष्ठ CPI(M) नेता के. राधाकृष्णन, राज्यसभा सांसद ए.ए. रहीम, पी.पी. सुनीर और जोस के. मणि समेत LDF सांसद दिल्ली से छत्तीसगढ़ रवाना हुए. उनके साथ CPI(M) पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात और सीपीआई की राष्ट्रीय नेता एनी राजा भी थीं. UDF से, विधायक रोजी एम. जॉन, साजी जोसेफ, एन.के. प्रेमचंद्रन, बेनी बेहनन और फ्रांसिस जॉर्ज भी राज्य का दौरा कर रहे हैं.

केरल में, पर्यटन और लोक निर्माण मंत्री पी.ए. मुहम्मद रियास ने मंगलवार को एक राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन की मांग की और कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार में संविधान को “कैद” कर दिया गया है.

उन्होंने कहा, “मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ईसाइयों और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हुए हैं. देश ने पहले कभी ऐसी मानवविरोधी नीतियां नहीं देखीं. गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई बढ़ी है.”

“इससे ध्यान भटकाने के लिए नफरत फैलाई जा रही है और सांप्रदायिकता लागू की जा रही है. इसे मोदी और भाजपा ही आगे बढ़ा रहे हैं. डर का माहौल बनाया जा रहा है. वास्तव में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं हैं. प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र डर. नरेंद्र डर आज भारत पर राज कर रहा है.”

चुनाव केरल में बीजेपी पर असर

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब दक्षिणी राज्य में अहम स्थानीय निकाय चुनाव और विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिससे बीजेपी दबाव में आ गई है.

बीजेपी ने ईसाई समुदाय तक पहुंचने के लिए संगठित प्रयास किए हैं—राज्य और केंद्र स्तर के नेता चर्च प्रमुखों से लगातार मिलते रहे हैं, 2023 से क्रिसमस और ईस्टर जैसे त्योहारों के दौरान ‘स्नेह यात्रा’ अभियान चलाया गया है, और ईसाई नेताओं को अहम पदों पर नियुक्त किया गया है, जिनमें 2024 में जॉर्ज कुरियन को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में राज्य मंत्री बनाए जाने की बात शामिल है.

12 जुलाई को पार्टी के नए अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर के नेतृत्व में बीजेपी ने अपने नेतृत्व में बदलाव किया. पार्टी ने अपनी राज्य समिति में तीन ईसाइयों–शोन जॉर्ज, अनुप एंटनी जोसफ और जिजी जोसफ–को नियुक्त किया.

2011 की जनगणना के अनुसार, केरल की आबादी में 54.73 प्रतिशत हिंदू, 26.56 प्रतिशत मुस्लिम और 18.38 प्रतिशत ईसाई हैं.

राज्य में हिंदू वोट बैंक सभी राजनीतिक मोर्चों में बंटा हुआ है, इसलिए बीजेपी के लिए अल्पसंख्यक समुदाय, जिसका सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभाव काफी है, का समर्थन हासिल करना जरूरी है.

बीजेपी के शोन जॉर्ज ने दिप्रिंट से कहा कि यह घटना पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित नहीं करेगी. “हम हर संगठन को नियंत्रित नहीं कर सकते. ऐसी घटनाएं होती रहेंगी। हम जो करने की कोशिश कर रहे हैं वो यह है कि हम उन्हें बचा सकें. इसका अल्पकालिक असर नकारात्मक हो सकता है, लेकिन अंत में हम जनता और समुदाय को दिखा पाएंगे कि हमने क्या किया है.”

उन्होंने यह भी कहा कि एलडीएफ और यूडीएफ की दखलअंदाजी से मामला और खराब ही होगा.

पार्टी ने मंगलवार को अपने महासचिव अनुप एंटनी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल को छत्तीसगढ़ भी भेजा. इस समूह ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उप मुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री विजय शर्मा से मुलाकात की.

बैठक के बाद अनुप ने कहा कि सरकार और मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे “ईसाई समुदाय की मदद के लिए प्रतिबद्ध” हैं और उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही कोई समाधान निकलेगा.

उन्होंने कहा, “इन मामलों पर गंभीरता से चर्चा हो रही है और आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी.”

अनुप ने यह भी कहा कि यह घटना उस समय शुरू हुई जब एक लड़की, जो एक युवक के साथ थी, परेशान दिख रही थी, इसके बाद नन वहां पहुंचीं. उन्होंने दावा किया कि बाद में राज्य में इस स्थिति को चुनावी लाभ के लिए राजनीतिक रंग दे दिया गया.

“मैं बस इतना कहना चाहूंगा कि उत्तर भारत एक बहुत बड़ा क्षेत्र है—विभिन्न लोग, संस्कृतियां, कानून… बहुत कुछ. अक्सर, इस तरह के मामलों की संवेदनशीलता को केरल के लोग ठीक से नहीं समझ पाते. लेकिन शुरुआत से ही राजीव और बीजेपी की टीम ने हस्तक्षेप किया और जो ज़रूरी था वो किया,” उन्होंने कहा. “हम इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं मानते. जैसा पहले भी कहा गया, अगर दुनिया के किसी भी कोने में कोई परेशानी में है, तो मोदी जी की राजनीति यही है कि जाकर उसे बचाया जाए.”

गौरतलब है कि कैथोलिक चर्च ने हाल ही में देश में ईसाइयों पर हो रहे हमलों पर बीजेपी के “दोहरे रवैये” की आलोचना की है.

14 जुलाई को कैथोलिक चर्च के आधिकारिक मुखपत्र दीपिका में प्रकाशित एक संपादकीय में देशभर में ईसाइयों पर हो रहे बढ़ते हमलों की ओर ध्यान दिलाया गया.

‘शिकारी को ताली, शिकार को थपकी?’ शीर्षक वाले इस लेख में बीजेपी के रवैये को “गहराई से अपमानजनक” बताया गया और आरोप लगाया गया कि पार्टी जहां गोवा और केरल जैसे राज्यों में खुद को ईसाइयों की सहयोगी बताती है, वहीं उत्तरी राज्यों में समुदाय पर हमले होने देती है.

फादर माइकल ने कहा, “हम राजनीतिक नहीं हैं. चर्च के लिहाज से देखें तो जब तक व्यक्तिगत राजनीतिक झुकाव हमारे विश्वासों और नैतिक मूल्यों के अनुरूप है, हम उसमें दखल नहीं देते. सभी पार्टियां हमारे पास आती हैं क्योंकि हम एक समुदाय हैं और हम किसी को दूर नहीं करते. लेकिन हम विभाजनकारी ताकतों का विरोध करते हैं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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