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Tuesday, 29 July, 2025
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पहलगाम में मारे गए लोग ‘भारतीय’ थे या ‘हिंदू’? प्रियंका बनाम बीजेपी, संसद में तीखी बहस

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने पहलगाम हत्याकांड को ‘भारतीय एजेंसियों की बड़ी विफलता’ बताया. उन्होंने अमित शाह के उस बयान का भी जवाब दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सोनिया गांधी बाटला हाउस के आतंकियों के लिए रोई थीं.

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नई दिल्ली: लोकसभा में मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान उस वक्त माहौल गरमा गया जब कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए 25 लोगों के नाम पढ़े और उन्हें “भारतीय” कहा. इस पर सत्ता पक्ष के कुछ सांसदों ने बीच में टोकते हुए “हिंदू” कहकर शोर मचाया.

प्रियंका गांधी ने इस हमले को “भारतीय एजेंसियों की बड़ी विफलता” बताया और कहा कि सरकार चाहे जितने भी सैन्य अभियान चला ले, वह इस सच्चाई से नहीं बच सकती कि वह भारतीयों की जान नहीं बचा पाई.

उन्होंने कहा, “इस सदन में मौजूद लगभग हर व्यक्ति के साथ कहीं भी जाने पर सुरक्षा बल मौजूद रहते हैं, लेकिन उस दिन पहलगाम में 26 परिवार तबाह हो गए. 26 बेटे, पति और पिता मारे गए. उनमें से 25 भारतीय थे.”

जैसे ही उन्होंने यह कहा, सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों ने टोकते हुए “हिंदू” कहा. प्रियंका कुछ सेकंड रुकीं, फिर सिर उठाकर जवाब दिया, “भारतीय थे.”

विपक्ष की बेंच से इस पर जोरदार मेज़ थपथपाई गई.

उन्होंने आगे कहा, “जो लोग बैसरन घाटी में थे और जिन 25 भारतीयों की हत्या हुई—उनके लिए कोई सुरक्षा नहीं थी. आप चाहे जितने ऑपरेशन चला लें, इस सच्चाई से नहीं भाग सकते कि आप उन्हें सुरक्षित नहीं रख पाए.”

प्रियंका ने उन 25 मृतकों के नाम भी पढ़े और कहा, “मैं उनके नाम पढ़ना चाहती हूं ताकि इस सदन में बैठे हर सदस्य को यह एहसास हो कि वे भी हमारी तरह इंसान थे, कोई राजनीतिक मोहरे नहीं. वे भी इस देश के शहीद हैं. उनके परिवारों को सच्चाई जानने का हक है.”

इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में कहा था कि बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद सोनिया गांधी रो पड़ी थीं. उन्होंने कहा, “वे शहीद मोहन शर्मा के लिए रोईं थीं, आतंकियों के लिए नहीं.”

प्रियंका ने शाह के इस तंज का जवाब देते हुए कहा, “उन्होंने मेरी मां की आंखों के आंसुओं की बात की. मेरी मां उस वक्त 44 साल की थीं, जब आतंकियों ने उनके पति की हत्या कर दी थी. मैं परिवारों के दर्द की बात करती हूं, क्योंकि मैं उसे महसूस कर सकती हूं.”

शाह ने अपने भाषण में कांग्रेस सरकारों के वक्त हुए आतंकी हमलों का ज़िक्र किया था. इसके जवाब में प्रियंका ने कहा, “2008 के मुंबई हमलों के बाद तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने इस्तीफा दे दिया था.”

प्रियंका ने पूछा, “आज गृह मंत्री के रहते मणिपुर जल रहा है, दिल्ली में दंगे हुए, पहलगाम में हमला हो गया, फिर भी वह पद पर बने हुए हैं—क्यों? बैसरन घाटी में कोई सुरक्षा क्यों नहीं थी? न फर्स्ट एड, न कोई मदद. लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया. क्या प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और एनएसए जिम्मेदार नहीं हैं?”

जब शाह ने पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की विदेश नीति और सैन्य फैसलों को देश के हितों के खिलाफ बताया, तो प्रियंका ने पलटवार करते हुए कहा, “आप हर बार इतिहास में चले जाते हैं. मैं आज की बात कर रही हूं. आपको तो बस मेरे परिवार को कोसने का बहाना चाहिए. आप 11 साल से सत्ता में हैं, अब अपनी जिम्मेदारी लीजिए.”

प्रियंका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए कहा, “वो ऑपरेशन सिंदूर का श्रेय लेना चाहते हैं, जैसे ओलंपिक में खिलाड़ियों की जीत का श्रेय ले लेते हैं.”

उन्होंने कहा कि असली नेतृत्व वही होता है जो जिम्मेदारी ले. इसके साथ ही उन्होंने 10 मई को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच ‘सीज़फायर’ की घोषणा का ज़िक्र किया और कहा कि यह इस बात का सबसे बड़ा संकेत है कि मोदी “गैरजिम्मेदार” प्रधानमंत्री हैं.

प्रियंका ने शाह के उस बयान का भी ज़िक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान ने भारत से सैन्य कार्रवाई रोकने की गुहार लगाई थी.

प्रियंका ने कांग्रेस नेता गौरव गोगोई की सोमवार को कही बातों को दोहराते हुए सवाल उठाए, “गृह मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत से शरण मांगी क्योंकि उसके पास कोई चारा नहीं बचा था, लेकिन आपने शरण क्यों दी? सीज़फायर क्यों हुआ? युद्ध क्यों खत्म हुआ?”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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