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Wednesday, 16 July, 2025
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बिहार में अब बनेगा सुपारी किलरों का पूरा डाटाबेस, STF ने बनाई निगरानी सेल

राज्य में नशे के कारोबार पर रोक लगाने के लिए नॉरकोटिक्स सेल का गठन किया गया है, जो स्थानीय थानों के साथ मिलकर कार्रवाई करेगी. इस सेल की संसाधन क्षमता और स्टाफ बढ़ाया जा रहा है.

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पटना: बिहार में अब सुपारी लेकर हत्या करने वाले अपराधियों पर कड़ी नज़र रखी जाएगी. इसके लिए एसटीएफ (विशेष कार्यबल) ने ‘सुपारी किलर निगरानी सेल’ बनाया है. यह सेल सभी सुपारी किलरों का पूरा डाटा – नाम, फोटो, पता, आपराधिक इतिहास आदि इकट्ठा करके एक डोजियर तैयार करेगी, जिससे अपराध होने पर ऐसे लोगों की पहचान जल्दी की जा सके.

एडीजी (मुख्यालय) सह एसटीएफ प्रमुख कुंदन कृष्णन ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कई युवा पैसे के लालच में भटककर सुपारी किलर बनते जा रहे हैं, ऐसे युवाओं को सही रास्ते पर लाने के लिए सामूहिक प्रयास की ज़रूरत है.

कोढ़ा गैंग और तिवारी गैंग जैसे कुख्यात गिरोहों पर लगाम कसने के लिए कोढ़ा सेल बनाई गई है. यह सेल विशेष रूप से बेगूसराय और आसपास के इलाकों में सक्रिय गैंगस्टरों को पकड़ने पर फोकस कर रही है.

राज्य में नशे के कारोबार पर रोक लगाने के लिए नॉरकोटिक्स सेल का गठन किया गया है, जो स्थानीय थानों के साथ मिलकर कार्रवाई करेगी. इस सेल की संसाधन क्षमता और स्टाफ बढ़ाया जा रहा है.

गंभीर अपराधों में जल्दी सज़ा दिलाने के लिए फिर से फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाएंगे. इसके लिए गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है. पहले जहां सालाना 2,000 से 3,000 अपराधियों को उम्रकैद जैसी सजा दी जाती थी, अब यह संख्या घटकर 500-600 रह गई है.

एसटीएफ ने ऐसे 1290 अपराधियों की पहचान की है, जिन्होंने अपराध के पैसे से संपत्ति बनाई है. अब इनकी जमीन-जायदाद जब्त की जाएगी. अगर किसी नाबालिग के पास अवैध हथियार या लाइसेंसी हथियार पाया गया तो उसके पिता या अभिभावक को भी जेल भेजा जाएगा.

एडीजी ने दावा किया कि राज्य में अपराध की घटनाओं में कमी आई है. उन्होंने कहा कि इस साल मई-जून में पिछले साल के मुकाबले कम घटनाएं हुई हैं. दानापुर की ज्वेलरी लूट, आरा का तनिष्क लूट और समस्तीपुर का बैंक लूट कांड जैसे मामलों में अपराधियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. एसटीएफ ने 700 से ज्यादा कुख्यात अपराधी इस साल अब तक पकड़े हैं.

राज्य में नक्सलवाद अब लगभग खत्म हो गया है. गया, औरंगाबाद, मुंगेर और जमुई जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में अब हथियारबंद दस्ते खत्म हो चुके हैं. इस साल सिर्फ 6 महीने में 82 नक्सली गिरफ्तार किए जा चुके हैं. जमुई और खड़गपुर में कुछ गुट बचे हैं, जिन्हें जल्द खत्म कर दिया जाएगा.

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