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Wednesday, 16 July, 2025
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शरद पवार की NCP के नए प्रदेश अध्यक्ष बने पवार समर्थक और मराठा नेता शशिकांत शिंदे

पार्टी को 1999 में स्थापित होने के बाद से पिछले साल के विधानसभा चुनावों में सबसे शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे समय में शिंदे की नियुक्ति हुई है. उन्होंने जयंत पाटिल की जगह ली है.

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मुंबई: पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अब तक की सबसे शर्मनाक हार झेलने के बाद, शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने मंगलवार को पार्टी के वफादार नेता शशिकांत शिंदे को महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. शिंदे को यह जिम्मेदारी स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारियों को दिशा देने के लिए सौंपी गई है.

एनसीपी (शरदचंद्र पवार गुट) ने मुंबई में मंगलवार को हुई एक राज्य स्तरीय बैठक में सर्वसम्मति से शिंदे को महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष चुना.

शिंदे ने जयंत पाटिल की जगह ली है, जिन्हें 2018 में यह पद दिया गया था. पिछले महीने पार्टी के स्थापना दिवस पर पाटिल ने सार्वजनिक रूप से यह कहा था कि उन्हें इस जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए.

नियुक्ति के बाद पत्रकारों से बात करते हुए शिंदे ने कहा कि वे अगले एक महीने में महाराष्ट्र का दौरा करेंगे और पार्टी की हर इकाई से मिलकर उसे मजबूत करेंगे और नए लोगों को जोड़ेंगे.

उन्होंने कहा, “अब राजनीति बदल गई है. पहले सरकार की नाकामी उजागर करके सत्ता बदली जा सकती थी. अब ताकत के इस्तेमाल और धमकियों से सरकारें बदली जाती हैं. पहली चुनौती यही होगी—लोगों को इस नई राजनीति के तौर-तरीकों के बारे में जागरूक करना.”

उन्होंने आगे कहा, “महाराष्ट्र में विपक्ष के लिए जगह है, अगर हम उस जगह को भरने की कोशिश करें तो हमें ज़रूर सफलता मिलेगी.”

शिंदे की यह नियुक्ति ऐसे समय हुई है जब राज्यभर में पंचायत समितियों, जिला परिषदों, नगर परिषदों और नगर निगमों के चुनाव इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत में होने की संभावना है. यह फैसला ऐसे वक्त में भी आया है जब पार्टी सबसे कमजोर दौर से गुज़र रही है. 1999 में पार्टी की स्थापना के बाद से पिछले साल का विधानसभा चुनाव उसका सबसे खराब प्रदर्शन रहा—एनसीपी ने 86 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ 10 सीटें जीतीं.

पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस कमज़ोर प्रदर्शन के बाद नेतृत्व में बदलाव की मांग उठने लगी थी. यह भी चर्चा थी कि जयंत पाटिल शरद पवार गुट से बाहर अन्य विकल्प तलाश रहे हैं. हालांकि, उन्होंने मंगलवार की बैठक में इन अटकलों को खारिज कर दिया.

पाटिल ने कहा, “मैं जा रहा हूं, लेकिन कहीं और नहीं. मैं पीछे हटा हूं, लेकिन मेरा मकसद अब भी साफ है.”

 

एक बार फिर, मराठा नेता को मिली पार्टी की कमान

शशिकांत शिंदे शरद पवार के कट्टर समर्थक माने जाते हैं, ठीक वैसे ही जैसे जयंत पाटिल रहे हैं, जो उम्रदराज पवार के करीबी विश्वासपात्रों में से एक हैं.

पार्टी नेता विद्या चव्हाण ने दिप्रिंट से कहा, “शशिकांत शिंदे शरद पवार के अंधभक्त हैं. उन्होंने पवार साहेब की हर बात बिना सवाल माने हैं. उनका तेज़ और आक्रामक स्वभाव स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान पार्टी को मजबूती देगा. जयंत पाटिल भी अपनी जगह ठोस नेता थे. वे शांत स्वभाव के थे, लेकिन विरोधियों पर कटाक्ष के जरिए निशाना साधते थे.”

जातिगत संतुलन की बात करें तो शिंदे, पाटिल जैसे ही हैं. दोनों मराठा समुदाय से आते हैं और पश्चिमी महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते हैं, जहां एनसीपी की सबसे मजबूत पकड़ है. पाटिल जहां सांगली जिले से हैं, वहीं शिंदे पास के सातारा जिले से हैं.

शिंदे चार बार विधायक रह चुके हैं और फिलहाल महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य (MLC) हैं. वे एक ज़मीनी नेता माने जाते हैं, जिनके मज़दूर वर्ग खासकर माथाडी (सिर पर बोझ उठाने वाले) समुदाय से अच्छे संबंध हैं. वे महाराष्ट्र राज्य माथाडी, ट्रांसपोर्ट और जनरल कामगार यूनियन के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके हैं और एक समय एपीएमसी (कृषि उपज मंडी समिति) के निदेशक भी थे.

विद्या चव्हाण ने बताया, “शशिकांत शिंदे ने हमेशा मज़दूरों के साथ काम किया है, उनकी समस्याएं समझते हैं और ज़रूरत पड़ी तो आक्रामक रुख भी अपना सकते हैं. उनमें पूरे महाराष्ट्र में दौरा करने की क्षमता है. पार्टी में विभाजन के बाद वे हर दौरे पर पवार साहेब के साथ रहे.”

शिंदे ने 1999 में सातारा जिले की जावली विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे. वे 2009 तक लगातार दो बार इस क्षेत्र से विधायक रहे. 2009 में परिसीमन के बाद यह सीट खत्म हो गई.

इसके बाद उन्होंने 2009 से 2019 तक सातारा की कोरेगांव विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया. 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें बंटवारे से पहले की शिवसेना के हाथों हार का सामना करना पड़ा. जून 2013 से सितंबर 2014 तक वे महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे.

2020 में वे महाराष्ट्र विधान परिषद में पहुंचे और तब से MLC हैं.

पिछले साल लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रमुख शरद पवार ने उन्हें सातारा सीट से उदयनराजे भोसले के खिलाफ उम्मीदवार बनाया. उदयनराजे छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज हैं और 2019 तक एनसीपी में ही थे, लेकिन उसी साल विधानसभा चुनाव से पहले वे बीजेपी में शामिल हो गए.

हालांकि, शिंदे इस चुनाव में भोसले से हार गए। इसके बाद वे कोरेगांव सीट से विधानसभा चुनाव भी हार गए—उसी उम्मीदवार महेश शिंदे से, जिन्होंने उन्हें 2019 में भी हराया था. महेश शिंदे अब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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