नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में करीब 15 साल पहले करीमुल्ला शाह नाम का एक व्यक्ति अंगूठी और ताबीज़ बेचकर गुज़ारा करता था जो धीरे-धीरे खुद को पीर बाबा बताने लगा. हाजी पीर का नाम रखकर उसने इलाके में कई दरगाहें बनवानी शुरू कर दीं.
कुछ ही वक्त में वह ‘छांगुर बाबा’ के नाम से मशहूर हो गया. दरगाहों पर बड़े आयोजन करता था और उसकी इतनी बड़ी फॉलोइंग बन गई कि स्थानीय बड़े पुलिस अधिकारी भी उसके पास आने लगे.
अब छांगुर बाबा, उर्फ जमालुद्दीन, पर जबरन धर्मांतरण कराने, पाकिस्तान, दुबई, सऊदी अरब और तुर्की से पैसे मंगवाकर नेपाल के रास्ते कई बैंक खातों में घुमाने और यूपी, महाराष्ट्र, बिहार समेत कई राज्यों में एजेंटों का नेटवर्क चलाने का आरोप है.
यूपी एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) ने पिछले हफ्ते छांगुर बाबा और उसके साथियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार लोगों में उसका बेटा मेहबूब भी शामिल है. उसके साथी नीतू उर्फ नसरीन और नवीन—जो खुद भी धर्म बदल चुके हैं—भी पकड़े गए हैं.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, छांगुर बाबा के पास अक्सर स्थानीय पुलिस अधिकारी आते थे, जिनमें एसपी रैंक के अफसर भी शामिल थे. एक पुलिस सूत्र ने दिप्रिंट से कहा, “ऐसा नहीं था कि किसी को पता नहीं था कि वह धर्म परिवर्तन का रैकेट चला रहा है. उसके खिलाफ कई शिकायतें भी आई थीं, लेकिन वह उन्हें दबवाना अच्छे से जानता था. स्थानीय लोग भी उससे डरे रहते थे. वह दरगाहों के जरिए धर्मांतरण का बड़ा नेटवर्क चलाता था, जिसमें कई एजेंट उसके लिए काम करते थे.”
सूत्रों ने बताया, “उसकी इतनी पकड़ थी कि नीतू (उर्फ नसरीन) उसकी सबसे करीबी बन गई थी और वह उसे मिडिल ईस्ट (खाड़ी देशों) तक ले जाती थी.”
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने भी छांगुर बाबा के खिलाफ केस दर्ज किया है, जांच में अब तक 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के लेन-देन का पता चला है.
ईडी ने अपने बयान में कहा, “छांगुर बाबा पर आरोप है कि उसने चांद औलिया दरगाह से एक बड़ा नेटवर्क खड़ा किया, जहां वह नियमित रूप से बड़े कार्यक्रम करता था. इन कार्यक्रमों में भारतीय और विदेशी नागरिक शामिल होते थे. अपने प्रवचनों, ‘शिजरा-ए-तय्यबा’ नाम की किताब और मनोवैज्ञानिक प्रभाव के ज़रिए वह इस्लाम का प्रचार करता था और खासकर हिंदू, अनुसूचित जाति और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए उकसाता, दबाव बनाता और गुमराह करता था. यह सब बड़े पैमाने पर धर्मांतरण और धोखाधड़ी से पैसा कमाने की संगठित साजिश का हिस्सा था.”
यूपी पुलिस के सूत्रों ने बताया कि पिछले 6-7 साल में छांगुर बाबा से जुड़े करीब 100 करोड़ रुपये के लेन-देन मिले हैं. एक सूत्र ने बताया, “उसने पुणे में 16 करोड़ रुपये की ज़मीन भी खरीदी थी, जहां वह एक नया केंद्र खोलने वाला था.” सूत्रों के मुताबिक, चांद औलिया दरगाह के अलावा वह लाकर शाह दरगाह से भी अपना रैकेट चलाता था.
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धर्मांतरण का जाल
सूत्रों के मुताबिक, छांगुर बाबा ने अपने नेटवर्क की शुरुआत उसी वक्त कर दी थी, जब वह अंगूठी और ताबीज़ बेचता था. एक सूत्र ने बताया, “वह महिलाओं से कहता था कि वह उनकी शादी करा सकता है, उनके पति की शराब छुड़वा सकता है. परिवारों से कहता था कि वह उन्हें संतान दिला सकता है. इस तरह वह लोगों पर गहरा असर डालता था और कमजोर लोगों को धर्म बदलने के लिए मजबूर करता था.”
सूत्रों के अनुसार, उसके नेटवर्क में देश-विदेश में फैले एजेंट शामिल थे — कुछ का काम धर्मांतरण कराना था, तो कुछ बैंक खातों के लेन-देन संभालते थे. ये एजेंट हर धर्मांतरण पर कमीशन पाते थे.
हालांकि, अब तक जांच एजेंसियों ने यह साफ नहीं किया है कि कुल कितने लोगों का धर्मांतरण करवाया गया.
एक सूत्र ने बताया, “अभी तक डेटा नहीं मिला है, लेकिन जांच में पता चला है कि वह मिडिल ईस्ट (खाड़ी देशों) जाता था और वहां के लोगों व संगठनों को बताता था कि उसने कितने लोगों का धर्मांतरण कराया है, ताकि उसे ज्यादा पैसा मिल सके. उसने इन्हीं दान से कई संपत्तियां भी खरीदीं.”
सूत्रों का कहना है कि भले ही धर्म बदलवाने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा मानी जा रही हो, लेकिन अब तक कम से कम 3-4 लोगों के बयान कोर्ट में दर्ज कराए जा चुके हैं.
अब तक जांच में करीब 40 बैंक खातों का पता चला है, जिनके जरिए इस कथित रैकेट का पैसा घुमाया जाता था.
ATS के मुताबिक, नेपाल से पैसा बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच और लखीमपुर जैसे जिलों में आता था और फिर नेपाली मुद्रा को रुपये में बदल दिया जाता था. सूत्रों ने यह भी बताया कि छांगुर बाबा के दरगाहों में होने वाले कार्यक्रमों में नेपाल के नागरिक भी शामिल होते थे.
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