गुरुग्राम: हरियाणा को ग्लोबल टूरिज्म हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार ने दिल्ली-एनसीआर, खासकर गुरुग्राम में ‘डिज्नीलैंड’ थीम पार्क बनाने की योजना का ऐलान किया है.
बुधवार को मुख्यमंत्री सैनी ने नई दिल्ली में केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात की. इस दौरान हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत को संजोने और पर्यटन को बढ़ावा देने की रणनीति पर चर्चा हुई.
मुलाकात का मुख्य मुद्दा डिज्नीलैंड प्रोजेक्ट रहा, जिसे सैनी ने “गेम-चेंजर” यानी बदलाव लाने वाला कदम बताया.
यह एम्यूजमेंट पार्क (मनोरंजन पार्क) गुरुग्राम के मानेसर के पास पचगांव चौक के करीब 500 एकड़ ज़मीन पर बनाने की योजना है. यह जगह कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे और हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर के पास है, जिससे इसकी कनेक्टिविटी काफी अच्छी रहेगी.
सैनी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट न सिर्फ हरियाणा, बल्कि पूरे भारत के लिए आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से काफी फायदेमंद होगा.
उन्होंने कहा, “डिज्नीलैंड प्रोजेक्ट गुरुग्राम के मार्केट की ताकत और शानदार कनेक्टिविटी का फायदा उठाएगा, जिससे एक वर्ल्ड-क्लास मनोरंजन केंद्र बनेगा. यह हज़ारों लोगों को सीधी और अप्रत्यक्ष नौकरियां देगा, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करेगा और आसपास के इलाकों को बदल देगा.”
गुरुग्राम, जहां कई फॉर्च्यून 500 कंपनियां और ग्लोबल सिटी प्रोजेक्ट पहले से मौजूद हैं, उसे इस प्रोजेक्ट के लिए सबसे सही जगह बताया गया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रोजेक्ट अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करेगा, टूरिज्म से कमाई बढ़ाएगा और हरियाणा को दुनियाभर के टूरिज्म मैप पर प्रमुख जगह दिलाएगा.
1989 की यादें: चौटाला का फेल हुआ ‘डिज्नीलैंड’ प्लान
हरियाणा की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और हज़ारों नौकरियां देने के दावे के साथ आए इस नए ‘डिज्नीलैंड’ प्रोजेक्ट ने 1989 की उस पुरानी योजना की चर्चा फिर से शुरू कर दी है, जिसे उस वक्त के मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने शुरू किया था.
हालांकि, उस वक्त योजना का भारी विरोध हुआ था और आखिरकार उसे रद्द कर दिया गया था.
इनेलो (INLD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि बीजेपी ने न सिर्फ 1989 में उनके पिता की ‘डिज्नीलैंड’ योजना का विरोध किया था, बल्कि 2000 में गुरुग्राम (तब गुड़गांव) में कैसीनो लाने के उनके प्रयासों का भी विरोध किया था.
उन्होंने कहा, “बीजेपी और कांग्रेस कभी भी हरियाणा के विकास में विश्वास नहीं रखते. अगर 1989 में इनेलो सरकार का प्रोजेक्ट रोका नहीं गया होता, तो आज हरियाणा देश का टैक्स-फ्री राज्य होता और दूसरी सरकारों को भी कर्ज़ दे सकता था. 1989 और 2000 में बीजेपी इनेलो सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी, मगर जब ऐसे बड़े प्रोजेक्ट आए तो बीजेपी कांग्रेस के साथ जा खड़ी हुई.”
उन्होंने कहा, “बीजेपी को अब जवाब देना चाहिए कि इन सालों में ऐसा क्या बदल गया?”
अभय चौटाला ने कहा कि अगर 1999 से 2005 तक ओम प्रकाश चौटाला ने गुरुग्राम के विकास के लिए मेहनत न की होती, तो आज गुरुग्राम इंटरनेशनल मैप पर नहीं होता.
1989 की योजना के तहत फ्लोरिडा के डिज्नी वर्ल्ड की तर्ज पर एक बहुत बड़ा एम्यूजमेंट पार्क बनाने का सपना था. इसके लिए 28,341 एकड़ ज़मीन की ज़रूरत थी, जिसमें से 14,000 एकड़ ज़मीन तो गुरुग्राम (तब गुड़गांव) की उपजाऊ खेती की ज़मीन थी.
चौटाला सरकार ने इस विशाल ज़मीन को भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अधिसूचित तक कर दिया था. इसका मकसद था गुरुग्राम के साथ-साथ हरियाणा को भी एक बड़ा एंटरटेनमेंट हब बनाना और राज्य की अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदलना.
मगर इस योजना का जबरदस्त विरोध हुआ. किसानों ने अपनी कृषि भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ज़ोरदार आंदोलन छेड़ दिया था. भले ही उस समय बीजेपी बड़ी ताकत नहीं थी, मगर वह अन्य विरोधी दलों के साथ किसानों के समर्थन में खड़ी थी और इनेलो के खिलाफ मोर्चा बना चुकी थी.
राजनीतिक विश्लेषक योगिंदर गुप्ता ने कहा, “1989 के विरोध प्रदर्शन गुरुग्राम और एनसीआर तक सीमित थे, लेकिन जब सभी विपक्षी पार्टियों, खासकर बीजेपी ने साथ दिया तो इसे ताकत मिली. यह 1999 के मुफ्त बिजली आंदोलन जितना बड़ा तो नहीं था, लेकिन फिर भी असरदार था.”
जब 1991 में भजन लाल मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने चुनावी वादे के तहत इस डिज्नीलैंड प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया और किसानों की ज़मीन लौटा दी.
यह फैसला विपक्ष की साझा जीत माना गया. हालांकि, इसमें सबसे बड़ा रोल कांग्रेस का ही रहा.
‘दोहरेपन’ के आरोप और राजनीतिक बयानबाज़ी
‘डिज्नीलैंड’ प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू करने की घोषणा के बाद विपक्षी नेताओं ने इस पर तीखा हमला बोला है, खासकर इनेलो (INLD) के रानियां से विधायक अर्जुन सिंह चौटाला ने. गुरुवार को दिप्रिंट से बातचीत में अर्जुन चौटाला ने बीजेपी पर ‘दोहरेपन’ का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, “बीजेपी की आदत है कि जब विपक्ष कोई योजना लाता है तो उसका विरोध करती है, लेकिन सत्ता में आने पर खुद उसी योजना को आगे बढ़ाती है. अगर 1989 वाली योजना लागू हो जाती, तो आज हरियाणा में बड़ा विकास होता और टूरिज्म से राज्य को अच्छी कमाई भी होती.”
वहीं, इस पर बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर पार्टी का बचाव किया. उन्होंने कहा, “1989 में हमारा विरोध विकास के खिलाफ नहीं था, बल्कि किसानों की ज़मीन जबरन छीने जाने के खिलाफ था. बीजेपी हमेशा किसानों के साथ रही है. इस बार का प्रोजेक्ट किसानों के हितों से समझौता किए बिना विकास करेगा.”
इस बार का ‘डिज्नीलैंड’ प्रोजेक्ट पहले के मुकाबले काफी छोटा है, जहां 1989 में 28,341 एकड़ ज़मीन ली जानी थी, वहीं अब सिर्फ 500 एकड़ ज़मीन की ज़रूरत है. सरकार का कहना है कि यह योजना आज के आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और आर्थिक लक्ष्यों के अनुरूप है और गुरुग्राम के कॉरपोरेट हब होने का पूरा फायदा उठाया जाएगा.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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