नई दिल्ली: पाकिस्तान में स्थित सिख श्रद्धालुओं का धार्मिक स्थल करतारपुर कॉरिडोर पर बुधवार को तीसरे चरण की बैठक बेनतीजा रही. कुछ मुद्दों के कारण अटारी वाघा बॉर्डर पर हुई भारत-पाकिस्तान की बैठक को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका. पाकिस्तान ने तीर्थयात्रियों को गुरुद्वारा करतारपुर साहिब जाने की अनुमति देने के लिए ‘सेवा शुल्क’ लेने पर जोर दिया जिसे भारतीय अधिकारियों ने सिरे से खारिज करते हुए कहा यह समझौते की भावना के खिलाफ है. वहीं पाकिस्तानी अधिकारियों ने करतारपुर में भारतीय दूतावास ऑफिस खोले जाने पर भी सहमति नहीं दिखाई.
करतारपुर कॉरिडोर पर भारत-पाक की तीसरी बैठक पर मीडिया से बात करते हुए विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने बताया, ‘पाकिस्तान ने गुरुद्वारा परिसर में भारतीय वाणिज्यदूत या प्रोटोकॉल अधिकारियों की उपस्थिति की अनुमति नहीं दी. जिसके बाद यह बैठक बेनतीजा ही खत्म हो गई.
बता दें कि यह गलियारा पाकिस्तान के करतारपुर स्थित दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक साहिब से जोड़ेगा.
Sources on India-Pak's 3rd meeting on Kartarpur corridor: Pakistan has also shown its unwillingness to allow the presence of Indian Consular or Protocol officials at the Gurdwara premises. Pakistan side was urged to reconsider its position. https://t.co/psqVwqLa0W
— ANI (@ANI) September 4, 2019
बता दें कि करतारपुर कॉरिडोर के जरिए भारतीय सिख तीर्थयात्री बिना वीजा के करतारपुर जा सकेंगे. उन्हें इसके लिए सिर्फ परमिट या इजाजत लेनी होगी.
करतारपुर स्थित दरबार साहिब की स्थापना 1522 में सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानक देव ने की थी. भारतीय पासपोर्ट धारकों और ओसीआई कार्ड धारकों के लिए सप्ताह में सात दिन वीजा मुक्त यात्रा की अनुमति देने पर सहमति बनी थी.’ इसके अलावा पूरे वर्ष 5000 तीर्थयात्रियों को प्रति दिन करतारपुर साहिब गुरुद्वारा जाने की अनुमति दी जाएगी. तीर्थ यात्रियों को व्यक्तिगत या समूहों में और पैदल भी यात्रा की अनुमति होगी.
भारत-पाकिस्तान सीमा के साथ करतारपुर मार्ग पंजाब में गुरदासपुर से तीन किलोमीटर दूर है. एक बार खुलने के बाद, यह सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान के करतारपुर में ऐतिहासिक गुरुद्वारा दरबार साहिब तक सीधी पहुंच की अनुमति देगा. यह वही जगह है जहां गुरु नानक देव का 1539 में निधन हो गया था. भारत ने श्री गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के शुभ अवसर पर 1974 प्रोटोकॉल के तहत अपने 10,000 तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान जाने की अनुमति देने के लिए प्रस्ताव दिया.