अयोध्या : अयोध्या जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष की सुनवाई पूरी होने के बाद अब मुस्लिम पक्ष की सुनवाई शुरू हुई है. सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से कोर्ट में अपनी बात रखते हुए वकील राजीव धवन ने कहा कि बाबरी मस्जिद में रामलला की मूर्ति छल करके स्थापित की गई. धवन ने कहा कि हिन्दू महासभा ने कहा है कि वो इस मामले को सरकार के पास लेकर जाएगी. रथयात्रा जैसे किसी शो पर रोक लगाई जाय.
सुप्रीम कोर्ट की रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच ने अयोध्या राम मंदिर और बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले की सुनवाई कर रही है. आज 18वां दिन है.
Supreme Court's five-judge Constitution bench, headed by Chief Justice of India (CJI) Ranjan Gogoi, has started hearing the Ayodhya Ram Temple and Babri Masjid land (Title) dispute case. Today is the 18th day of hearing in the case. pic.twitter.com/fiPZJShnam
— ANI (@ANI) September 3, 2019
मुस्लिम पक्ष के तरफ से मंगलवार को बोलते हुए धवन ने कहा कि हिन्दू पक्ष की दलील है कि मुस्लिम पक्ष जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता, लेकिन वह वहां नमाज अदा करता रहा है. इसके पीछे वजह ये है कि 1934 में निर्मोही अखाड़ा ने गलत तरीके से जमीन पर कब्जा लिया जिसके बाद से मुस्लिमों को नमाज नहीं अदा करने दिया गया.
Ayodhya land dispute case: Supreme Court issues notice to Ex-Professor from Chennai, N Shanmugham, who had allegedly threatened Dr Rajeev Dhavan&asked him not to argue in the case for the Sunni Wakf Board. SC has asked him to file a detailed response in two weeks. pic.twitter.com/geVUuYysP4
— ANI (@ANI) September 3, 2019
वहीं मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चेन्नई के पूर्व प्रोफेसर, एन शन्मुघम को राजीव धवन को सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से सुनवाई करने पर धमकाने के आरोप में नोटिस जारी किया है. शीर्ष अदालत ने उन्हें दो हफ्ते में जवाब देने को कहा है.
अयोध्या मामला : हिन्दू पक्षकारों में बनी सर्वानुमति
वहीं इससे पहले राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की 2.77 एकड़ जमीन पर स्वामित्व के विवाद के 70 साल पुराने मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दू पक्षकारों की दलीलों पर सुनवाई पूरी कर ली है. मुकदमे की दैनिक सुनवाई के 16 दिनों के दौरान हिन्दू पक्षों ने अपना पक्ष मजबूती के साथ रखने की पूरी कोशिश की. हालांकि उनके बीच टकराव भी उभरा लेकिन संविधान पीठ के न्यायाधीशों के सवालों ने उन्हें अपने रास्ते पर बने रहने का मौका दिया.