नई दिल्ली: रविदास मंदिर को फिर से उसी जगह बनाए जाने की मांग के साथ भीम आर्मी फिर से एक प्रदर्शन करने जा रही है. इसी महीने की 15 तारीख़ को होने वाले इस प्रदर्शन की बड़ी बात ये है कि इसे मुस्लिम समाज का प्रतिनिधित्व करने वालों का समर्थन प्राप्त है. दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विभिन्न मुस्लिम धार्मिक और सामाजिक नेताओं ने इस मंदिर और भीम आर्मी को अपना समर्थन देने का एलान किया.
दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित रविदास मंदिर को पिछले महीने की 10 तारीख़ को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गिरा दिया गया था. इस मामले में मंदिर फिर बनाए जाने वालों का पक्ष कोर्ट में रख रहे वकील महमूद पार्चा ने कहा, ‘रविदास मंदिर गिराए जाने से मुस्लिम समुदाय बहुत दुखी है और दलित समुदाय के हमारे भाईयों को इससे जो चोट पहुंची है उसके दर्द को समझता है.’
उन्होंने कहा कि मंदिर उसी जगह पर बनाए जाने को लेकर 22 अगस्त को हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आज़ाद को फर्जी आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें ही नहीं, बल्कि प्रदर्शन में शामिल अन्य 94 लोगों को भी फर्जी आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया. पार्चा के अलावा वहां मौजूद अन्य मुस्लिम नेताओं ने भीम आर्मी के मुखिया आज़ाद समेत बाकियों की बिना शर्त रिहाई की मांग की. ऐसा नहीं होने पर 15 सितंबर को जनांदोलन करने की भी बात कही.
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लखनऊ स्थित तीली वाली मस्जिद के शाही इमाम मौलाना फजलूल मनान, अंजुमन एक हैदरी के जनरल सेक्रेटरी सय्यद बहादुर अब्बास नकवी, दिल्ली के करोल बाग़ स्थित शिया मस्जिद के शाही इमाम कासिम ज़ैदी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मुफ्ती एजाज़ अरशद कासमी शामिल थे.
यह भी पढ़ें: रविदास मंदिर गिराए जाने से दिल्ली चुनाव के पहले पार्टियों को मिला ‘मंदिर मुद्दा’
इस मौक़े पर मुफ्ती एजाज़ अरशद कासमी ने कहा, ‘हम दलितों के साथ हो रही ज़्यादती के ख़िलाफ़ हैं. इंसान के साथ निजी तौर पर कोई ज़्यादती हो तो वो भूल भी जाता है. लेकिन उसके महजबी विश्वास पर हमला हो तो वो कभी नहीं भूलता. छह दिसंबर 1992 के साथ जो हुआ वो ज़ख़्म आज भी ताज़ा हैं. यही हाल रविदास मंदिर गिराए जाने के साथ भी है. दोनों को उसी जगह जल्द से जल्द बनाया जाए.’
मौजूद लोगों की प्रमुख मांगों में दलित समुदाय के सम्मान का ख़्याल रखते हुए उसी जगह पर मंदिर फिर से बनाया जाना, इस मामले में केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किए जाने पर बिना शर्त माफी मांगना, चंद्रशेखर समेत अन्य को बिना शर्त के रिहा करना और सारे आरोप वापस लेना जैसी बातें शामिल हैं. ऐसा नहीं होने पर मुस्लिम समुदाय ने 15 तारीख़ को होने वाले प्रदर्शन का हिस्सा बनने का ऐलान किया है.
यह भी पढ़ें: संत रविदास मंदिर के गिराये जाने पर भारी विवाद, आखिर क्यों इतना महत्वपूर्ण है ये मंदिर
क्या है पूरा मामला
विवाद के केंद्र में नई दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित 15वीं सदी के महान संत रविदास का एक मंदिर है जिसे ढहा दिया गया था. ऐसी मान्यता है कि ये मंदिर जहां स्थित था वहां संत रविदास तीन दिनों तक ठहरे थे. कोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक तुगलकाबाद में मौजूद ये परिसर 12,350 स्क्वॉयर यार्ड का है जिसमें 20 कमरे हैं और एक हॉल भी है.
डीडीए का दावा रहा है कि मंदिर अवैध तरीके से कब्ज़ा की गई ज़मीन पर बना था. मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एम आर शाह ने नौ अगस्त को सुनवाई की. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के मुखिया और दिल्ली सरकार के सचिव को ये सुनिश्चित कराने का आदेश दिया था कि 13 अगस्त से पहले मंदिर गिरा दिया जाए. 10 अगस्त को मंदिर गिरा दिया गया था.
यह भी पढ़ें: रविदास मंदिर विवाद: आख़िर मंदिर कहां बनेगा, क्या है मामले का संभावित हल
संत रविदास जयंति समिति समारोह के ज़मीन पर दावे को सबसे पहले ट्रायल कोर्ट ने 31 अगस्त 2018 को ख़ारिज किया जिसके बाद मामला हाई कोर्ट में गया. समिति को 20 नवंबर 2018 को हाई कोर्ट से भी इसे निराशा हाथ लगी. इस साल आठ अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के फैसले को पलटने से इंकार करते हुए मंदिर गिराए जाने का आदेश दिया जिस पर सुप्रीम कोर्ट अंत तक कायम रहा.