पांच दशक तक कांग्रेसी रहे भूपिंदर सिंह हुड्डा का बागी होना सिर्फ उनकी महत्वाकांक्षाओं को नहीं दिखाता है. यह नेहरू-गांधी परिवार के सत्तावादी तरीकों को बदलने से इनकार करने, जननेताओं का तिरस्कार करने और चाटुकारों को बढ़ावा देने का सिग्नल है. भारत की सबसे पुरानी पार्टी बिखर रही है. पार्टी को रिबूट करने की जरूरत है.