नई दिल्ली: बिहार तेजी से रोजगार सृजन में अग्रणी बन रहा है, जिससे राज्य से पलायन की दर में उल्लेखनीय गिरावट आई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सात निश्चय-2 योजना के तहत सरकारी और गैर-सरकारी नौकरियों की संख्या बढ़ाकर 50 लाख कर दी गई है. पहले इस योजना के तहत 10 लाख सरकारी और 10 लाख अन्य रोजगार के अवसर तय किए गए थे, जिसे अब बढ़ाकर 12 लाख सरकारी नौकरियां और 38 लाख अन्य रोजगार कर दिया गया है.
एक समय था जब बिहार से करीब 5 करोड़ लोग रोजगार के लिए अन्य राज्यों में जाते थे. लेकिन अब यह आंकड़ा घट रहा है. सरकारी नौकरियों में बढ़ोतरी और रोजगार के नए अवसरों के चलते बड़ी संख्या में लोग वापस बिहार लौट रहे हैं. ई-श्रम पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार अब 2.9 करोड़ लोग ही रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन किए हुए हैं.
2020 से अब तक बिहार में 7.24 लाख लोगों को सरकारी नौकरियां मिली हैं, जिससे राज्य ने देशभर में अपनी पहचान बनाई है. आज दूसरे राज्यों के युवा भी बिहार में सरकारी नौकरी करने के लिए आ रहे हैं. बिहार पुलिस और अन्य सरकारी सेवाओं में महिलाओं को आरक्षण दिया गया है, जिसका परिणाम यह है कि पूरे देश में सबसे अधिक महिला पुलिसकर्मी बिहार में ही हैं.
उद्योग और स्वरोजगार को बढ़ावा
बिहार सरकार कौशल विकास प्रशिक्षण, उद्योगों के विस्तार और सरकारी सेवाओं में नियुक्तियों के जरिए युवाओं को रोजगार से जोड़ रही है. राज्य में उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिससे युवा उद्यमी बनकर राज्य के आर्थिक विकास में योगदान दे रहे हैं.
कृषि क्षेत्र में सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर किसान समृद्ध हो रहे हैं, जिससे ग्रामीण पलायन में कमी आई है. वहीं, आधारभूत संरचना के विकास के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है, जिससे 50 लाख से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है.
बिहार सरकार के प्रयासों से न केवल सरकारी बल्कि निजी और स्वरोजगार के अवसर भी बढ़े हैं. राज्य में उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया जा रहा है, जिससे बिहार रोजगार के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है.
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