नई दिल्ली: कम नामांकन के बीच, कोटा जिला प्रशासन ने हॉस्टल में कई सुधार लागू किए हैं, जिनमें सिक्योरिटी फीस को खत्म करना, एनुअल मेंटेनेंस को ₹2,000 तक सीमित करना और स्टाफ के लिए अनिवार्य गेटकीपर ट्रेनिंग जैसी पहल शामिल हैं.
सोमवार को घोषित किए गए ये सुधार ‘कोटा केयर्स’ पहल के तहत लागू किए गए हैं, जिसे पिछले दिसंबर में शुरू किया गया था. इन बदलावों का मकसद छात्रों के लिए बेहतर माहौल बनाना है, जिसे हितधारकों की राय लेकर तैयार किया गया है.
दिप्रिंट ने 2 अक्टूबर 2024 को अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कोटा, जो भारत की कोचिंग राजधानी माना जाता है, वहां नामांकन में भारी गिरावट आई है. इससे हॉस्टल खाली हो गए हैं और शहर की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. यह गिरावट मुख्य रूप से तीव्र प्रतिस्पर्धा के कारण होने वाली आत्महत्याओं, अन्य शहरों में कोचिंग हब के बढ़ने और ऑनलाइन शिक्षा की बढ़ती लोकप्रियता के कारण हुई है.
न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष के पहले दो महीनों में कोटा में कम से कम चार छात्रों ने आत्महत्या कर ली है.
“इन व्यापक सुधारों के माध्यम से, हम एक ऐसा समर्थन तंत्र विकसित कर रहे हैं, जो छात्र जीवन के सभी पहलुओं को कवर करता है—सस्ते आवास से लेकर मानसिक स्वास्थ्य सहायता और मनोरंजन सुविधाओं तक. हमारा लक्ष्य कोटा को एक ऐसा शहर बनाना है जो अपने छात्रों की उतनी ही परवाह करे जितना कि उनकी शिक्षा का ध्यान रखता है,” कोटा के जिला कलेक्टर रवींद्र गोस्वामी ने कहा.
हॉस्टल के लिए कोई सिक्योरिटी फीस नहीं, एनुअल मेंटेनेंस पर सीमा
छात्रों को फिर से कोटा आकर्षित करने के लिए, जिला प्रशासन ने हॉस्टल एसोसिएशन के सहयोग से सिक्योरिटी डिपॉजिट फीस और सावधानी राशि (कॉशन मनी) खत्म करने का फैसला किया है, साथ ही एनुअल मेंटेनेंस फीस को 2,000 रुपए तक सीमित कर दिया गया है.
कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल ने दिप्रिंट से बातचीत में बताया, “अभी तक हॉस्टल में प्रवेश के समय एक महीने का किराया सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में लिया जाता था, साथ ही उस महीने का किराया भी देना पड़ता था. अब हमने इसे खत्म करने का निर्णय लिया है ताकि छात्रों पर आर्थिक बोझ कम हो.”
मित्तल ने बताया कि कई हॉस्टल हर साल “कॉशन मनी” लेते थे, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है. “अब केवल 2,000 रुपए की एनुअल मेंटेनेंस फीस लगेगी,” उन्होंने पुष्टि की।
जब उनसे कुल हॉस्टल फीस में कमी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फीस अब भी हॉस्टल की सुविधाओं के आधार पर अलग-अलग रहेगा. उन्होंने कहा, “हालांकि, अब सभी हॉस्टल इन बदलावों को स्वीकार कर चुके हैं. हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा छात्र कोटा आएं और हमें उम्मीद है कि इस साल नामांकन बढ़ेगा.”
कोटा में लगभग 4,000 हॉस्टल हैं, जहां वर्तमान में 1.25 लाख से अधिक छात्र विभिन्न कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे हैं. साल 2023 में यह संख्या 2 लाख से अधिक थी.
‘गेटकीपिंग’ सर्टिफिकेट के साथ हॉस्टल स्टाफ की नियुक्ति
नए नियमों के अनुसार, अब हॉस्टल में सिर्फ वही स्टाफ रखा जाएगा जिनके पास गेटकीपिंग सर्टिफिकेट होगा. गेटकीपिंग ट्रेनिंग से स्टाफ को निगरानी, समर्थन और प्रबंधन करने समेत मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की पहचान और समाधान पर खास ध्यान दिया जाता है. यह उन्हें उन छात्रों की सहायता के लिए तैयार करता है जिन्हें मदद की जरूरत होती है.
कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल ने कहा, “नए कर्मचारियों की भर्ती अब गेटकीपिंग सर्टिफिकेट लेने के बाद ही होगी, जबकि मौजूदा कर्मचारियों को जिला प्रशासन के सहयोग से प्रशिक्षण दिया जाएगा.”
जिला कलेक्टर रवींद्र गोस्वामी ने बताया कि प्रशासन अब तक कई हॉस्टल के 7,000 कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे चुका है. “हम जल्द ही फ्री रिफ्रेशर कोर्स भी शुरू करेंगे,” उन्होंने कहा.
इसके अलावा, हॉस्टल में आधुनिक सुरक्षा सुविधाओं जैसे सीसीटीवी और बायोमेट्रिक सिस्टम को अनिवार्य किया जाएगा. महिला छात्रावासों में विशेष व्यवस्थाओं, जैसे महिला वार्डन की नियुक्ति, भी करनी होगी. अन्य अनिवार्य सर्टिफिकेट में एंटी-हैंगिंग डिवाइस सर्टिफिकेट और फायर एनओसी शामिल होंगे. नियमित रात्रि उपस्थिति की जांच के लिए निजी कमरों का दौरा और विशेष मनोरंजन क्षेत्र की व्यवस्था भी जरूरी होगी.
“ज्यादातर हॉस्टल में पहले से ही ये सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन अब यह सभी के लिए अनिवार्य होगा,” मित्तल ने कहा.
रेलवे, बस स्टैंड पर ‘कोटा केयर्स’ हेल्प डेस्क
जिला प्रशासन रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर कोटा केयर्स हेल्प डेस्क शुरू करने जा रहा है, जिससे पूरे शहर में छात्रों के लिए सहायता केंद्रों का एक नेटवर्क बनेगा और उनकी मदद के लिए एक संगठित व्यवस्था तैयार होगी.
जिला कलेक्टर गोस्वामी ने दिप्रिंट को बताया कि हेल्प डेस्क कोटा आने वाले छात्रों और उनके माता-पिता को उन हॉस्टल की लिस्ट देंगे जो तय मानकों को पूरा करते हैं.
“हमें जानकारी मिली थी कि कुछ दलाल माता-पिता से संपर्क कर उन्हें ऐसे हॉस्टल में भेजते थे जहां से उन्हें कमीशन मिलता था, लेकिन इन हॉस्टलों की गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं होती थी. एक बार जब माता-पिता ने हॉस्टल का भुगतान कर दिया, तो वे फंस जाते थे. हमने सिक्योरिटी डिपॉजिट फीस हटाकर इस समस्या को खत्म कर दिया है. अब हेल्प डेस्क की मदद से माता-पिता और छात्रों को सही जानकारी और सहायता मिलेगी,” उन्होंने कहा.
इसके अलावा, यह भी घोषणा की गई है कि शहर के कुछ हैंगआउट स्पेस छात्रों के लिए फ्री कर दिए जाएंगे.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: प्रकृति लम्साल की आत्महत्या के बाद KIIT यूनिवर्सिटी में नेपाल के छात्रों ने कहा — ‘माफी काफी नहीं’