scorecardresearch
Thursday, 6 February, 2025
होमराजनीतिहरियाणा BJP प्रमुख से मुलाकात के कुछ ही घंटों बाद अनिल विज को नौकरशाही में फेरबदल का रास्ता मिला

हरियाणा BJP प्रमुख से मुलाकात के कुछ ही घंटों बाद अनिल विज को नौकरशाही में फेरबदल का रास्ता मिला

विज के परिवहन और श्रम विभागों में नए अधिकारी नियुक्त किए गए, यह भी उनके अंबाला निर्वाचन क्षेत्र में है; भाजपा नेता आशीष तायल, जिन्होंने कथित तौर पर विज के खिलाफ काम किया था, को पार्टी पद से हटा दिया गया.

Text Size:

गुरुग्राम: असंतुष्ट मंत्री अनिल विज द्वारा मंगलवार को हरियाणा भारतीय जनता पार्टी इकाई के प्रभारी सतीश पुनिया से मुलाकात के कुछ घंटों बाद, राज्य में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक फेरबदल हुए, जिसमें 103 आईएएस, आईपीएस और हरियाणा सिविल सेवा और पुलिस सेवा (एचसीएस और एचपीएस) अधिकारियों के तबादले शामिल थे.

सरकार ने 2007 बैच के आईएएस अधिकारी दुष्मंत कुमार बेहरा को रजनी कंथन के स्थान पर परिवहन आयुक्त नियुक्त किया.

एचसीएस अधिकारी वीरेंद्र कुमार सहरावत को सुशील कुमार की जगह अतिरिक्त श्रम आयुक्त और एचएससी विनेश कुमार को सतिंदर सिवाच के स्थान पर अंबाला कैंट के आबकारी क्षेत्र में सरकारी भूमि के प्रबंधन के लिए उप-मंडल मजिस्ट्रेट सह संपदा अधिकारी तैनात किया गया. एचपीएस अधिकारी रमेश कुमार को अंबाला कैंट में डीएसपी तैनात किया गया.

परिवहन के साथ-साथ श्रम विभाग का नेतृत्व मंत्री अनिल विज कर रहे हैं.

विज के निर्वाचन क्षेत्र अंबाला कैंट में उप-विभागीय मजिस्ट्रेट और पुलिस उपाधीक्षक के तबादले से ठीक चार दिन पहले सरकार ने अंबाला के डिप्टी कमिश्नर पार्थ गुप्ता को हटाकर उनकी जगह अजय सिंह तोमर को तैनात किया था.

हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि तबादले सामान्य प्रशासनिक मामले थे, लेकिन सतीश पुनिया के मंगलवार को विज से मिलने के कुछ ही घंटों के भीतर ये आदेश आ गए. विज पिछले पांच दिनों से अपनी पार्टी भाजपा को मुश्किल में डाल रहे हैं. उन्होंने अपने जनता दरबार को समाप्त करने की घोषणा करके और अधिकारियों द्वारा उनके आदेशों का पालन न करने का हवाला देते हुए सिरसा और कैथल में जिला शिकायत समिति की बैठकों में भाग लेना बंद करके अपने आक्षेप शुरू किए.

उन्होंने अंबाला में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न करने का भी हवाला दिया, जिन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान उनके खिलाफ काम किया.

उनके निशाने पर मुख्यमंत्री नायब सैनी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली दोनों थे. उन्होंने सीएम को सलाह दी है कि वे अपने उड़न खटोले से बाहर निकलें और मंत्रियों और विधायकों से बातचीत करें. सोमवार को उन्होंने सीधे तौर पर सीएम के दोस्तों को “गद्दार” कहा और 17 तस्वीरें जारी कीं, जिसमें खास तौर पर सैनी के साथ उनकी तस्वीरें शेयर कर बीजेपी नेता आशीष तायल पर निशाना साधा. विज पहले भी आरोप लगा चुके हैं कि विधानसभा चुनाव के दौरान आशीष तायल के साथ देखे गए कार्यकर्ता बीजेपी की प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार चित्रा सरवारा के साथ भी देखे गए थे.

मंगलवार शाम को बीजेपी ने आशीष तायल को अंबाला जिले के कोषाध्यक्ष पद से हटा दिया, जो विज को खुश करने की कोशिश लग रही है.

विज ने गैंगरेप मामले में कथित संलिप्तता के चलते बडौली के इस्तीफे की भी मांग की.

विधानसभा चुनाव के दौरान विज ने दावा किया था कि उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है. उन्होंने प्रशासन पर खून-खराबे की साजिश रचने का भी आरोप लगाया था.

अनिल विज होने का महत्व

यह पहली बार नहीं है जब नायब सैनी और अनिल विज के बीच टकराव हुआ है. इससे पहले जब विज मंत्री थे, तब उन्होंने तत्कालीन राज्य मंत्री सैनी को अंबाला छावनी के विश्राम गृह में जनसभा करने से रोक दिया था. जब सैनी अंबाला के भाजपा जिला अध्यक्ष थे, तब भी दोनों के बीच संबंध तनावपूर्ण थे. हालांकि, सैनी ने कहा है कि विज वरिष्ठ नेता हैं और उनसे नाराज़ नहीं हैं.

विज का पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ भी झगड़ा हुआ था, जब वे 2014 से मार्च 2024 तक हरियाणा में सत्ता में थे.

राजनीतिक विश्लेषक महाबीर जागलान ने कहा कि विज के अदम्य रवैये के बावजूद — और उन्होंने अक्सर मुख्यमंत्रियों के अधिकार को चुनौती दी है — विज हरियाणा में भाजपा नेतृत्व के लिए अपरिहार्य थे.

जागलान ने दिप्रिंट को बताया कि इसके पीछे एक कारण यह था कि उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में जमीनी स्तर पर मतदाताओं के साथ मजबूत संबंध बनाए रखे.

उन्होंने कहा, “पिछले दो विधानसभा चुनावों में विज के खिलाफ बहुत मजबूत और लोकप्रिय विपक्षी नेता चित्रा सरवरा के मैदान में उतरने के बावजूद विज अंबाला कैंट निर्वाचन क्षेत्र से लगातार जीतते आ रहे हैं. भाजपा ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अपनी ज़मीन खो दी है. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान अंबाला संसदीय सीट के तहत नौ विधानसभा सीटों में से केवल तीन पर ही जीत दर्ज की थी. अनिल विज के भाजपा से बाहर होने या उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई होने से पूर्वोत्तर हरियाणा में भाजपा की चुनावी संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जो कि बड़े पैमाने पर अंबाला (अनुसूचित जाति) संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है.”

जागलान ने कहा कि यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हाल के संसदीय और विधानसभा चुनावों में भाजपा को सबसे भारी चुनावी हार पूर्वोत्तर और उत्तर-पश्चिम हरियाणा के अनुसूचित जाति केंद्रित क्षेत्रों में मिली है.


यह भी पढ़ें:‘BJP का हाथ नहीं’ — चुनाव से पहले 2020 के दिल्ली दंगों पर बनी फिल्म पर क्यों हो रहा है विवाद


विज और आरएसएस का संबंध

अनिल विज का जन्म अंबाला छावनी में हुआ था और उन्होंने एस.डी. कॉलेज से पढ़ाई की. कॉलेज के दिनों में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए और बाद में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का हिस्सा बन गए. 1970 में उन्हें एबीवीपी का महासचिव नियुक्त किया गया. उन्होंने विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और भारत विकास परिषद जैसे आरएसएस से जुड़े संगठनों के साथ भी काम किया.

1974 में बीएससी की डिग्री पूरी करने के बाद विज ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में काम करना शुरू कर दिया. उन्होंने भाजपा से अपना जुड़ाव जारी रखा. 1990 में जब अंबाला छावनी की विधायक सुषमा स्वराज को राज्यसभा में पदोन्नत किया गया, तो विज को उपचुनाव लड़ने के लिए कहा गया. उन्होंने अपनी बैंक की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और चुनाव जीत गए. 1991 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम) का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया.

1996 में भाजपा ने उन्हें टिकट देने से मना कर दिया, इसलिए उन्होंने अंबाला छावनी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उन्होंने 2000 में भी यही कारनामा दोहराया. हालांकि, 2005 का चुनाव वे हार गए.

2009 के विधानसभा चुनाव से पहले वे फिर से भाजपा में शामिल हो गए और वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने उनका पार्टी में स्वागत किया. तब से वे लगातार चुनाव जीत रहे हैं.

अनिल विज 2024 में सातवीं बार अंबाला छावनी सीट से जीते हैं. उन्होंने सबसे पहले 1990 में उपचुनाव जीता और फिर 1996 और 2000 में निर्दलीय चुनाव लड़ा और दोनों बार जीत हासिल की. ​​2005 का चुनाव वे हार गए, लेकिन 2009 में फिर से भाजपा में शामिल हो गए और जीत हासिल की. ​​उसके बाद 2014, 2019 और 2024 में लगातार जीत हासिल की.

नायब सैनी से टकराव

विज और सैनी के बीच कई बार टकराव हो चुका है. जब सैनी अंबाला के भाजपा जिला अध्यक्ष थे, तब विज ने उनकी सहमति के बिना उनके निर्वाचन क्षेत्र में होने वाली बैठकों का विरोध किया था. 2014 में जब सैनी नारायणगढ़ से विधायक और राज्य मंत्री बने, तो उन्होंने अंबाला छावनी के विश्राम गृह में जनसभाएं करनी शुरू कर दीं. इससे विज नाराज़ हो गए और उन्होंने बैठकें बंद करवा दीं.

भाजपा से लंबे समय से जुड़े होने के बावजूद, 2014 में पार्टी के बहुमत हासिल करने पर विज को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया. भाजपा ने 90 में से 47 सीटें जीतीं और राम बिलास शर्मा और ओपी धनखड़ के साथ उनका नाम भी मुख्यमंत्री पद के शीर्ष दावेदारों में शामिल था. हालांकि, पार्टी ने अप्रत्याशित रूप से पहली बार विधायक बने मनोहर लाल खट्टर को शीर्ष पद पर नियुक्त कर दिया.

2024 में जब खट्टर ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया, तो भाजपा ने विज की जगह नायब सैनी को मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया. चुनाव प्रचार के दौरान विज ने कहा था कि वह वरिष्ठता के आधार पर सीएम पद के लिए अपना दावा पेश करेंगे. बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने यह बयान इसलिए दिया क्योंकि लोग “यह गलतफहमी फैला रहे थे” कि उन्हें मुख्यमंत्री पद में कोई दिलचस्पी नहीं है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वे इसके लिए पैरवी नहीं करेंगे.

खट्टर से टकराव

विज का खट्टर से कई बार विवाद हो चुका है. 2019 में जब भाजपा सत्ता में लौटी तो विज को गृह मंत्री बनाया गया.

हालांकि, आपराधिक जांच विभाग (CID) उनके विभाग के अधीन होने के बावजूद, सीधे खट्टर को रिपोर्ट करता रहा. इससे विज नाराज़ हो गए और जब मामला बिगड़ा तो खट्टर ने CID को गृह मंत्रालय से छीनकर अपने नियंत्रण में रख लिया.

गृह मंत्री रहते हुए विज को मुख्यमंत्री कार्यालय से IPS के तबादलों की सूची भेजी गई. उन्होंने सूची लौटाते हुए सवाल किया कि इसे अंतिम रूप देने से पहले उनसे सलाह क्यों नहीं ली गई. जब मामला बिगड़ गया तो खट्टर ने उन्हें मामले को सुलझाने के लिए चंडीगढ़ बुलाया.

2019 में विज ने स्वास्थ्य महानिदेशक का तबादला करने पर जोर दिया. जब उनकी मांग को नज़रअंदाज़ किया गया तो उन्होंने एक महीने तक विभाग की फाइलों पर हस्ताक्षर करना बंद कर दिया, जिससे काम ठप हो गया. आखिरकार, महानिदेशक ने पद छोड़ दिया और गतिरोध खत्म हो गया.

12 मार्च 2024 को जब भाजपा ने खट्टर की जगह नायब सैनी को नया मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की, तो विज ने विरोध जताते हुए बैठक से वॉकआउट कर दिया और कहा कि राज्य के गृह मंत्री होने के नाते उन्हें इस बड़े फैसले के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए थी. उन्होंने सैनी की कैबिनेट में शामिल होने से इनकार कर दिया. हालांकि, जब 2024 में भाजपा ने तीसरी बार सरकार बनाई, तो वे अंततः मंत्रिमंडल में शामिल हो गए.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: विज का सैनी सरकार पर फिर हमला: ‘हरियाणा के CM और उनके दोस्तों’ पर कटाक्ष, बडौली के इस्तीफे की मांग


 

share & View comments