नई दिल्ली: कांग्रेस ने शनिवार को केंद्रीय बजट में 2025-26 इनकम टैक्स में छूट की घोषणाओं का स्वागत किया, लेकिन दावा किया कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केंद्र के पास “विचार समाप्त हो गए हैं”.
पार्टी के अनुसार, अर्थव्यवस्था संभवतः “पुराने ढर्रे पर चलेगी” और 2025-26 में केवल 6-6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करेगी.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि भाजपा ने बिहार के मिडिल-क्लास और मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए बजट तैयार किया है, जहां इस साल के अंत में चुनाव होने हैं.
चिदंबरम ने पूछा, “टैक्स-भुगतान करने वाले रिटर्न दाखिल करने वाले कौन हैं? इस देश में केवल 3.2 करोड़ लोग ही टैक्स देते हैं. 8 करोड़ से थोड़े अधिक लोग इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश ज़ीरो रिटर्न दाखिल करते हैं. इसलिए, 3.2 करोड़ लोगों को राहत का लाभ मिलेगा, जिसका मैं स्वागत करता हूं, लेकिन बाकी 141 करोड़ लोगों का क्या होगा?”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने इस बात पर जोर दिया कि अधिकांश भारतीय अभी भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, जबकि बजट में उनकी ज़िंदगी को बेहतर बनाने के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं.
उन्होंने कहा, “मज़दूरी स्थिर बनी हुई है. ग्रामीण भारत में प्रति व्यक्ति मासिक खर्च 4,122 रुपये है, जो लगभग 140 रुपये प्रतिदिन है. शहरी भारत में, यह 230 रुपये प्रतिदिन या 7,000 रुपये प्रति माह है. अधिकांश लोगों के लिए यह असलियत है, जबकि मैं 3.2 करोड़ करदाताओं के लिए राहत का स्वागत करता हूं, बाकी 141 करोड़ लोगों को क्या राहत दी गई है?”
कांग्रेस के लोकसभा उपनेता गौरव गोगोई ने भी तर्क दिया कि टैक्स छूट दिल्ली में मतदाताओं के व्यवहार को प्रभावित नहीं करेगी. उन्होंने कहा, “अगर सरकार सोचती है कि एक घोषणा लोगों को उनकी मौजूदा मुश्किलों को भूला सकती है, तो वह गलत हैं.”
इससे पहले दिन में, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बजट पेश किया, तो विपक्षी दलों ने स्पीकर ओम बिरला द्वारा चल रहे महाकुंभ मेले में मची भगदड़ पर चर्चा की उनकी मांग को खारिज करने के बाद एक संक्षिप्त वॉकआउट किया, जिसमें कम से कम 30 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए.
चिदंबरम ने सरकार के आर्थिक दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए दावा किया कि अर्थव्यवस्था 2025-26 में सामान्य 6 या 6.5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि नहीं कर पाएगी. उन्होंने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सरकार का लक्ष्य तब तक दूर का सपना बना रहेगा जब तक कि विकास दर कम से कम 8 प्रतिशत सालाना तक नहीं पहुंच जाती.
उन्होंने उद्यमियों, स्टार्ट-अप और एमएसएमई के लिए जगह खाली करने के लिए आर्थिक गतिविधियों में हस्तक्षेप को कम करने और विनियमन को कम करने की मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन की सलाह को “अनदेखा” करने के लिए भी सरकार की आलोचना की. चिदंबरम ने कहा, “मुख्य आर्थिक सलाहकार का आह्वान था कि ‘रास्ते से हट जाओ’, लेकिन इसके बजाय, बजट नई योजनाओं और कार्यक्रमों से भरा हुआ है, जिनमें से कई सरकार की क्षमता से परे हैं.”
चिदंबरम के अनुसार, सरकार “पुराने ढर्रे” पर चल रही है और 1991 और 2004 में देखे गए साहसिक आर्थिक सुधारों का पालन करने में विफल रही है. उन्होंने कहा, “यह नौकरशाही ही है जो इस बजट से प्रसन्न होगी. लोगों की गतिविधियों पर सरकार की पकड़ मजबूत होती जा रही है.”
‘सबसे क्रूर कटौती’
चिदंबरम ने बजट के आंकड़ों में विसंगतियों की ओर भी इशारा किया, उन्होंने कहा कि राजस्व प्राप्तियां 41,240 करोड़ रुपये कम थीं, जबकि संशोधित शुद्ध कर प्राप्तियां अपेक्षा से 26,439 करोड़ रुपये कम थीं.
व्यय पक्ष पर, चिदंबरम ने कहा कि कुल व्यय में 1,04,025 करोड़ रुपये की कटौती की गई थी, जिसमें पूंजीगत व्यय में 92,682 करोड़ रुपये की कमी देखी गई. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण और कृषि जैसे क्षेत्रों को इन कटौतियों से सबसे अधिक नुकसान हुआ है.
उन्होंने एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए आवंटन में “सबसे क्रूर कटौती” का भी उल्लेख किया, उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा राजकोषीय घाटे को अनुमानित 4.9 प्रतिशत से संशोधित 4.8 प्रतिशत तक सुधारने के बावजूद जश्न मनाने के लिए कुछ भी नहीं है. चिदंबरम ने कहा, “यह अर्थव्यवस्था को भारी कीमत पर हासिल किया गया है.”
उन्होंने निष्कर्ष निकाला, “जब हमने कहा कि अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है, तो जो लोग हमारी बात पर विश्वास नहीं करते थे, मुझे उम्मीद है कि वह अब हमारी बात पर विश्वास करेंगे. मुझे उम्मीद है कि जो लोग हमारी इस बात पर विश्वास नहीं करते थे कि सरकार की योजना बनाने और उसे लागू करने की क्षमता कम हो गई है, वह अब हमारी बात पर विश्वास करेंगे.”
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