प्रयागराज, उत्तर प्रदेश: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में बुधवार की सुबह शाही स्नान से कुछ घंटे पहले मची भगदड़ में कम से कम एक दर्जन लोगों के मारे जाने की आशंका है.
स्थानीय पुलिस के अनुसार, 50 से अधिक घायल श्रद्धालुओं का विभिन्न चिकित्सा सुविधाओं में इलाज चल रहा है, जहां उन्हें 60 से अधिक एंबुलेंसों द्वारा ले जाया गया. उन्होंने बताया कि यह घटना रात 1 से 2 बजे के बीच हुई, जब कुछ श्रद्धालु अखाड़ा मार्ग पर लगे बैरिकेड्स पर चढ़ गए.
अस्पतालों और चिकित्सा शिविरों के बाहर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, क्योंकि लोग अपने लापता परिजनों की तलाश में बेचैन थे. भगदड़ वाली जगह पर अफरा-तफरी का माहौल था, क्योंकि लोगों का सामान जमीन पर बिखरा पड़ा था.
महाकुंभ क्षेत्र की हवाई निगरानी अब हेलीकॉप्टर से की जा रही है. मेला प्राधिकरण की विशेष कार्याधिकारी आकांक्षा राणा ने मीडिया से कहा, “लोगों को शांति बनाए रखनी चाहिए. स्थिति नियंत्रण में आते ही हताहतों की संख्या सार्वजनिक कर दी जाएगी.”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों से किसी भी अफवाह पर ध्यान न देने की अपील की है. उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “आप सभी प्रशासन के निर्देशों का पालन करें, व्यवस्था बनाने में सहयोग करें. संगम के सभी घाटों पर शांतिपूर्वक स्नान हो रहा है. किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें.”
इस बीच प्रयागराज के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राजेश द्विवेदी ने कहा कि भगदड़ जैसी कोई घटना नहीं हुई. उन्होंने एएनआई को बताया कि वहां अत्यधिक भीड़ थी, जिसके कारण श्रद्धालु घायल हुए. उत्तराखंड के रुद्रपुर निवासी
सूरजपाल सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि उनके पिता और मामा रात करीब 3 बजे से लापता थे. उन्होंने आंखों में आंसू भरकर कहा, “भगदड़ में मेरी दो बेटियां बेहोश हो गईं. यहां आम लोगों के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी.”
सिंह ने कहा कि जब प्रशासन को पता था कि इतनी बड़ी संख्या में लोग आएंगे, तो उसी हिसाब से व्यवस्था करनी चाहिए थी. उन्होंने कहा, “इतने सारे पुल बनाए गए, लेकिन पुल बंद कर दिए गए. इतने सारे लोग मारे गए. कौन जानता है कि मेरे पिता भी उनमें शामिल हों? मैं सुबह से ही उन्हें खोज रहा हूं.”
उन्होंने कहा कि भगदड़ के दौरान का दृश्य भयावह था. 29 जनवरी को मौनी अमावस्या का पवित्र स्नान होने के कारण हजारों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे थे. प्रशासन के मुताबिक मौनी अमावस्या पर करीब 9 करोड़ लोगों के स्नान करने की उम्मीद है. मंगलवार को 5 करोड़ से ज़्यादा लोगों ने पवित्र डुबकी लगाई. महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू हुआ है और 26 फरवरी तक चलेगा.
संगम घाट पर नाव चलाने वाले सिकंदर निषाद ने बताया कि रात करीब 1.30 बजे अचानक भीड़ बढ़ने से भगदड़ मच गई. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो गई. करीब दो घंटे तक अफरा-तफरी मची रही. लोग अपने रिश्तेदारों से बिछड़ गए और कई लोग फूट-फूट कर रो रहे थे.”
उन्होंने बताया कि लोग हंगामे के दौरान अपने प्रियजनों से बिछड़ने के कारण मेला मैदान के विभिन्न सेक्टरों में स्थित ‘खोया-पाया केंद्रों’ पर उमड़ पड़े. “हर कोई अपने रिश्तेदारों की तलाश में आ रहा है.”
इस बड़े आयोजन में भाग लेने वाले कई अखाड़ों ने भगदड़ के मद्देनजर ‘शाही स्नान’ रद्द कर दिया है. संबंधित घटनाक्रम में एक वकील ने भगदड़ के संबंध में राज्य मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर की है.
‘अधिकांश पंटून पुल बंद कर दिए गए’
फाफामऊ से अरैल घाट तक करीब 20-25 किलोमीटर के क्षेत्र में श्रद्धालुओं की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए 30 पंटून पुल बनाए गए थे, लेकिन इनमें से अधिकांश पुल पिछले तीन दिनों से बंद हैं.
प्रत्यक्षदर्शी सुनील कुमार के अनुसार, इन पुलों के बंद होने से संगम पहुंचने वाली भीड़ एक जगह एकत्र हो गई. उन्होंने आगे बताया कि प्रवेश और निकास मार्ग अलग-अलग नहीं रखे गए थे.
कुमार ने कहा, “लोग जिस रास्ते से आ रहे थे, उसी रास्ते से वापस जा रहे थे. ऐसे में जब भगदड़ मची तो लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े.”
स्थानीय अधिकारी ने बताया कि पंटून पुल इसलिए बंद किए गए थे, ताकि एक तरफ से लोगों को दूसरी तरफ जाने से रोका जा सके और भीड़ को नियंत्रित किया जा सके. पिछले कुछ दिनों में वीआईपी के आगमन के कारण कई इलाकों में सड़कों का मार्ग परिवर्तित किया गया था. 27 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह प्रयागराज पहुंचे थे, जिसके कारण संगम घाट का बड़ा हिस्सा बैरिकेडिंग लगाकर बंद कर दिया गया था.
वीआईपी आगमन के कारण मार्ग परिवर्तन की पुष्टि अनीता कुमारी ने की, जो 27 जनवरी को मध्य प्रदेश के रीवा जिले से आई एक श्रद्धालु हैं.
उन्होंने कहा, “हम कई किलोमीटर पैदल चल रहे हैं. सभी सड़कें बंद थीं.” प्रशासन ने संगम क्षेत्र में भीड़ को रोकने के लिए अब एनएसजी और रैपिड एक्शन फोर्स (आरपीएफ) के जवानों को तैनात किया है.
कुंभ मेला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि प्रयागराज में भीड़ न बढ़े, इसके लिए आसपास के जिलों से आने वाले श्रद्धालुओं को सीमा पर ही रोक दिया गया है. उन्होंने कहा, “घायलों का इलाज किया जा रहा है और मृतकों की संख्या की पुष्टि नहीं की जा सकी है, क्योंकि कर्मचारी और स्वयंसेवक राहत कार्य में व्यस्त हैं.”
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