नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के बुधल तहसील के तीन परिवारों के बाकी सदस्यों को कंडी गांव में ही अलग-थलग जगहों पर स्थानांतरित कर दिया गया है. उनके घरों को सील कर दिया गया है और उन्हें सैनिटाइज़ किया जा रहा है, यहां तक कि उन्हें दिए जाने वाले भोजन की भी जांच की जा रही है. जम्मू प्रशासन के एक सूत्र के अनुसार, ये व्यवस्थाएं बुधल में आगे की ‘रहस्यमयी’ मौतों की किसी भी संभावना को रोकने के लिए की जा रही हैं.
बुधल में पिछले 45 दिनों में मरने वाले तीन परस्पर संबंधित परिवारों के 17 सदस्यों में 13 बच्चे शामिल हैं.
सूत्रों ने कहा कि मेडिकल प्रक्रियाओं के जरिए से वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन से इनकार किया गया है. प्रारंभिक निष्कर्षों से संभावित कारण न्यूरोटॉक्सिन होने का संकेत मिलता है.
पीड़ितों ने अपनी मौत से पहले बुखार, पसीना, उल्टी, डिहाड्रेशन, पेट दर्द और बेहोशी की शिकायत की.
शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मौतों के कारणों का पता लगाने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी टीम को गांव का दौरा करने का निर्देश दिया. टीम में स्वास्थ्य, कृषि, रसायन और उर्वरक, जल संसाधन मंत्रालयों के विशेषज्ञ शामिल होंगे.
जानकारी के अनुसार, मौतों की जांच कर रही राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसियों ने खून, प्लाज्मा, भोजन, पानी और नेचर के नमूनों सहित 12,500 से अधिक सैंपल्स की टेस्टिंग की है, लेकिन अभी तक इन मौतों के कारणों का पता नहीं चल पाया है.
शुक्रवार को कथित तौर पर यह सुनिश्चित करने के लिए एक आदेश जारी किया गया था कि कोई भी ग्रामीण कंडी गांव के झरने (बावली) से पानी न खींचे, क्योंकि झरने से एकत्र किए गए सैंपल में “कुछ पेस्टीसाइड्स/इन्सेक्टीसाइड्स के लिए पॉजिटिव” पाए गए थे.
इस बीच, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मौतों की जांच के लिए बुधल के पुलिस अधीक्षक (संचालन) वजाहत हुसैन के नेतृत्व में 11 सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. टीम में फोरेंसिक विशेषज्ञ, पैथोलॉजिस्ट और स्वास्थ्य अधिकारी शामिल हैं.
जम्मू-कश्मीर की स्वास्थ्य मंत्री सकीना इटू ने आश्वासन दिया कि सरकार इन मौतों के कारणों का पता लगाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.
मंत्री ने दिप्रिंट को बताया, “बार-बार जांच और निगरानी के बावजूद सटीक टॉक्सिन और उसके सोर्स का पता नहीं लग पाया है.”
दिप्रिंट ने बुधल में हुई मौतों पर टिप्पणी के लिए कॉल और मैसेज के जरिए से जम्मू के स्वास्थ्य सेवा निदेशक से संपर्क किया, लेकिन खबर छापे जाने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है. जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
राजौरी जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर बुधल तहसील के कंडी गांव में ये मौतें हुईं. बुधल की आबादी 3,000 से थोड़ी ज़्यादा है और यहां मुख्य रूप से अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोग रहते हैं, जो कुल आबादी का करीब 65.54 प्रतिशत हिस्सा हैं.
बुधल में ग्रामीणों में डर का माहौल
यह घटनाएं पहली बार 5 दिसंबर 2024 को सामने आई, जब बुधल तहसील के निवासी फजल हुसैन और उनके परिवार के सदस्य अपनी सबसे बड़ी बेटी की शादी के दौरान खाना-खाने के बाद बीमार पड़ गए. 40-वर्षीय व्यक्ति ने पेट दर्द, उल्टी और उनींदापन की शिकायत की और 7 दिसंबर को उनकी मौत हो गई. परिवार के चार और सदस्य राबिया कौसर (14), रुखसार (11), फरमान कोसर (5) और रफीर अहमद (5) की एक हफ्ते के भीतर मौत हो गई.
12 दिसंबर को मोहम्मद रफीक के परिवार के 8, 9 और 11 साल के तीन अन्य बच्चों की मौत हो गई.
एक महीने बाद, 12 जनवरी को, एक अन्य सामुदायिक समारोह में भोजन करने के बाद 10 लोगों का एक और परिवार बीमार पड़ गया. मोहम्मद असलम के परिवार के इन 10 सदस्यों में से छह की मौत हो गई. आखिरी मौत एक नाबालिग की हुई, जिसकी 19 जनवरी को मौत हो गई — जिससे मृतकों की संख्या 17 हो गई.
स्थानीय निवासी नसीर अहमद ने दिप्रिंट को बताया, “मोहम्मद असलम ने अपने परिवार के लगभग सभी लोगों को खो दिया है…गांव में हर कोई डरा हुआ है.”
उन्होंने कहा, “यह वायरस कैसे हो सकता है जब केवल तीन परिवारों के सदस्य मर रहे हैं? अगर यह कोई बीमारी होती, तो यह गांव के अन्य लोगों में फैल जाती. हम डरे हुए हैं. हमें कैसे पता कि हम जो खाना खाते हैं, उससे हमारी मौत हो सकती है? इसे जल्द से जल्द ठीक करना होगा.”
जम्मू-कश्मीर की स्वास्थ्य मंत्री इटू ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया से कहा, “3,500 से अधिक निवासियों और पर्यावरण के नमूनों की जांच की गई है, लेकिन इन्फेक्शन या बीमारी का कोई लक्षण नहीं मिला है”.
उसी समय, जम्मू-कश्मीर सरकार ने पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER), चंडीगढ़; नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV), इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) सहित कई विशेषज्ञ टीमों को गांव में भेजा है और नेशनल सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल (एनसीडीसी) को प्रभावित गांव में भेजा गया है.
जम्मू के एक पब्लिक हेल्थ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, मस्तिष्क को नुकसान के संकेत हैं, जिससे हमें लगता है कि मौत का कारण न्यूरोटॉक्सिन हो सकता है. हालांकि, यह पता नहीं चल पाया है कि यह कौन सा टॉक्सिन है और इसका सोर्स क्या था.”
चूंकि, हताहत तीन करीबी परिवारों तक ही सीमित थे, इसलिए लक्षित ज़हर के बारे में भी संदेह है. जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि मृतकों के बीच घनिष्ठ पारिवारिक संबंध और सामुदायिक भोजन के बाद हुई मौत के पैटर्न ने जांचकर्ताओं को भोजन को संभावित वितरण तंत्र के रूप में विचार करने के लिए प्रेरित किया है.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “हम कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. कई लोगों को पूछताछ के लिए लाया गया है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.”
इस बीच, बुधल में डर का माहौल है क्योंकि इन मौतों के कारण रोज़मर्रा की चीज़ें बाधित हो रही हैं और समुदाय के बीच तनाव बढ़ गया है. ग्रामीण सामुदायिक समारोहों और भोजन से परहेज़ कर रहे हैं और कई लोगों ने खुद को घर पर तैयार भोजन तक सीमित कर लिया है.
स्थानीय निवासी नासिर रादर ने दिप्रिंट को बताया, “हम डरे हुए हैं क्योंकि हमें नहीं पता कि इन रहस्यमय मौतों का कारण क्या है. यहां हर परिवार डर में जी रहा है. हम अधिकारियों से आग्रह करते हैं कि वह जांच में तेज़ी लाएं और और लोगों की जान जाने से पहले मूल कारण का पता लगाएं.”
एसआईटी और मेडिकल टीमों के अलावा, जम्मू-कश्मीर सरकार ने जांच में तेज़ी लाने के लिए राष्ट्रीय विशेषज्ञों से मदद मांगी है. शनिवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधल की स्थिति पर चर्चा करने के लिए श्रीनगर में एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की.
(शरणवीर सिंह दिप्रिंट के साथ इंटर्न हैं.)
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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