नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है. वर्ष 2005 में सत्ता संभालते ही नीतीश कुमार ने सुशासन का राज कायम किया. साथ ही युवाओं के रोजगार पर भी विशेष ध्यान दिया. वर्ष 2005 से लेकर वर्ष 2020 तक 8 लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी गई फिर वर्ष 2020 में सात निश्चय 2 के तहत युवाओं को ध्यान में रखते हुए रोजगार के लिए और प्रयास किए गए. सरकार मिशन मोड में 12 लाख सरकारी नौकरी देने तथा 34 लाख लोगों को रोजगार देने के लक्ष्य पर काम कर रही है. इसके तहत 9 लाख 6 हजार लोगों को सरकारी नौकरी दी जा चुकी है.
सुशासन के कार्यक्रम 2020-25 के अंतर्गत सात निश्चय 2 के तहत मुख्यमंत्री ने 10 लाख सरकारी नौकरी और 10 लाख रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित किया था. अब तक 9 लाख 6 हजार लोगों को सरकारी नौकरी दी जा चुकी है. शेष पदों पर बहाली की प्रक्रिया जारी है. नियुक्ति करने वाले विभिन्न आयोगों को 2 लाख 11 हजार नयी नियुक्ति के लिए अधियाचना भेजी जा चुकी है. इसके अतिरिक्त अगले एक महीने में 2 लाख 34 हजार रिक्तियों की अधियाचना विभिन्न आयोगों को भेजी जाएगी. साथ ही आगामी वर्ष में नियुक्ति हेतु 72 हजार और रिक्तियां होने का अनुमान है, जिसकी अधियाचना अगले वर्ष भेजी जाएगी. इस प्रकार मुख्यमंत्री के सात निश्चय 2 के अंतर्गत 10 लाख सरकारी नौकरी देने का जो लक्ष्य निर्धारित किया गया था, उसे पार करते हुए वर्ष 2024-25 तक 12 लाख से अधिक लोगों को सरकारी नौकरी दे दी जाएगी.
सात निश्चय 2 के अंतर्गत अब तक 24 लाख से अधिक रोजगार दिए जा चुके हैं तथा 10 लाख और लोगों को रोजगार देने का काम चल रहा है. सरकार का विशेष ध्यान युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार देने पर है. शिक्षा विभाग, गृह विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, जल संसाधन विभाग, खेल विभाग सहित अन्य विभागों में सरकारी नौकरी दी गई. इस प्रकार 34 लाख लोगों को रोजगार अगले 6 महीने में दे दिया जाएगा.
सात निश्चय 2 योजना के तहत बड़ी संख्या में युवाओं को सरकारी नौकरी देने के लिए विज्ञापन निकाला गया. भारत के इतिहास में पहली बार एक ही विज्ञापन से 1 लाख, 20 हजार 336 शिक्षकों को चयनित कर बिहार ने इतिहास रच दिया है. इतनी बड़ी संख्या में चयनित अभ्यर्थियों में 70 हजार 545 प्राथमिक शिक्षक, 26 हजार 89 माध्यमिक शिक्षक और 23 हजार 702 उच्च माध्यमिक शिक्षक शामिल हैं. इतना ही नहीं बिहार के अलावे अन्य राज्यों से भी बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा में 14 हजार अभ्यर्थी शिक्षक के रूप में चयनित किए गए हैं. प्राथमिक शिक्षक के रूप में 72 हजार शिक्षक चयनित हुए हैं, जिसमें 14 हजार शिक्षक दूसरे राज्यों के शामिल हैं. बिहार के अलावे देश के अन्य राज्यों के 12 फीसदी शिक्षकों का बिहार में चयन होना देश की एकता और अखंडता को दर्शाता है. साथ मुख्यमंत्री कुमार के नेतृत्व में बिहार में सुशासन के राज को स्थापित करता है.
वर्ष 2023 में सरकार ने निर्णय लिया गया था कि अब नये शिक्षकों की नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा की जाए. अब तक दो चरणों में 2 लाख 17 हजार 272 सरकारी शिक्षकों की बहाली की गई है, जिन्हें नियुक्ति पत्र दिया जा चुका है. तीसरे चरण में नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है. इसमें शिक्षक के नये पदों पर 38 हजार 900 अभ्यर्थी परीक्षा पास किए हैं. हेडमास्टर के नये पदों पर 42 हजार 918 अभ्यर्थी पास हुए हैं. इन सभी को कुछ ही दिनों बाद नियुक्ति पत्र दिया जाएगा. बिहार की शिक्षा व्यवस्था में काफी महत्वपूर्ण बदलाव आया है. वर्ष 2024 में 63 हजार करोड़ का बजट केवल शिक्षा विभाग का रखा गया. बिहार में पांच लाख 77 हजार शिक्षक हैं. बिहार में महिला साक्षरता दर 77 प्रतिशत है.
पूर्व में शिक्षकों की अत्यधिक कमी होने के कारण वर्ष 2006-07 से पंचायत एवं नगर निकायों के माध्यम से बड़े पैमाने पर नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति की गयी जिनकी कुल संख्या लगभग 3 लाख 67 हजार 143 है. वर्ष 2023 में बिहार लोक सेवा आयोग से नये शिक्षकों की नियुक्ति शुरू की गयी जिसमें 28 हजार नियोजित शिक्षक से सरकारी शिक्षक हो गये. वर्ष 2023 में सरकार ने निर्णय किया कि नियोजित शिक्षकों को परीक्षा पास कर सरकारी शिक्षक बनने का अवसर दिया जाएगा. इसके लिए 5 अवसर दिए जाएंगे. अबतक 2 परीक्षाओं का आयोजन हो चुका है.
बिहार में रोजगार को लेकर राज्य सरकार संवेदनशील है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शिक्षक भर्ती परीक्षा 2023 के प्रथम चरण में एक ही बार 1 लाख 20 हजार 336 चयनित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपा गया. बिहार में युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार अपने स्तर पर हर क्षेत्र में मिशन मोड में कार्य कर रही है.
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