लखनऊ: कांग्रेस के राज्यसभा सांसद व अमेठी के राजा संजय सिंह इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं. वह अपनी पत्नी अमिता सिंह के साथ बुधवार को बीजेपी का दामन थामेंगे. संजय सिंह एक दौर में यूपी कांग्रेस की सियासत का मुख्य केंद्र रहे हैं लेकिन कुछ विवादों के चलते उनके राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव आए.
पहले भी थामा है भाजपा का दामन
कांग्रेस के गढ़ अमेठी कमजोर होता देख उन्होंने अब पाला बदलने का फैसला किया है. हालांकि ये कोई पहली बार नहीं है. सजय सिंह इससे पहले भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत भी दर्ज की थी. लेकिन 1999 में सोनिया गांधी से हारने के कुछ साल बाद वह कांग्रेस में आ गए थे. अब फिर एक बार वह भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं. सूत्रों की मानें तो पत्नी के राजनीतिक करियर व राज्यसभा के दूसरे कार्यकाल के जुगाड़ में उन्होंने पाला बदलने का फैसला किया है.
अमेठी में संजय सिंह का महल- भूपति भवन | प्रशांत श्रीवास्तव
विधायक से राज्यसभा तक का सफर
वीपी सिंह की भतीजी से विवाह रचाया
सैयद मोदी हत्याकांड से लग गया दाग
28 जुलाई 1998 को लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम के बाहर बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की गोलीमार कर हत्या कर दी गई थी. इस वारदात के वक्त सैयद मोदी स्टेडियम से प्रैक्टिस करके निकल रहे थे. इस हत्याकांड में कथित तौर पर संजय सिंह का नाम आया.
बताया जाता है कि बैडमिंटन प्लेयर सैयद मोदी व उनकी पत्नी अमिता मोदी और संजय सिंह के बीच गहरी दोस्ती थी. इसी दोस्ती की वजह से संजय सिंह और सैयद मोदी का परिवार एक दूसरे के बेहद करीब भी था. लेकिन सैयद मोदी के कत्ल के बाद खेल, राजनीति और रिश्तों की एक अजीब सी उलझी हुई कहानी सामने आने लगी थी. सीबीआई का आरोप था कि संजय सिंह और अमिता मोदी के बीच पनप रहा संबंध ही सैयद मोदी की मर्डर की वजह बना.
सीबीआई ने जो केस बनाया उसके मुताबिक ये पूरा मामला प्रेम त्रिकोण का था. सैयद मोदी मर्डर केस की जांच जब पूरी हुई तो कोर्ट में सीबीआई के तमाम दावों की धज्जियां उड़ गई थी. सीबीआई को पहला झटका उस वक्त लगा जब संजय सिंह और अमिता मोदी ने चार्जशीट को ही अदालत में चुनौती दी और फिर इन दोनों के खिलाफ पुख्ता सबूत न होने की वजह से सेशंस कोर्ट ने सितंबर 1990 में संजय सिंह और अमिता मोदी का नाम इस केस से ही अलग कर दिया.
पत्नी अमिता सिंह के साथ संजय सिंह | प्रशांत श्रीवास्तव
गरिमा को छोड़ अमिता से रचाई शादी
100 कमरों वाले महल को लेकर हुआ प्राॅपर्टी विवाद
साल 2016 में गरिमा सिंह अपने बच्चों के साथ भूपति महल में हिस्सा लेने पहुंच गईं. इस दौरान नौबत मारपीट तक आ गई. दोनों गुटों के समर्थक इकट्ठा हो गए. संजय सिंह ने अपनी पहली पत्नी गरिमा सिंह को लालची बताया. संजय सिंह ने कहा कि गरिमा सिंह से कभी भी उनके रिश्ते अच्छे नहीं रहे. गरिमा कभी महारानी नहीं बन पाईं. वहीं गरिमा ने दावा कि उनका तालाक हुआ ही नहीं था. उन्हें महल में हिस्सा चाहिए. 100 कमरों के भूपति महल में गरिमा को केवल 2 कमरे दिए गए. गरिमा लगातार मीडिया के सामने अपना दर्द बयां करती रहीं.
इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने उन्हेॆ 2017 विधानसभा चुनाव में संजय सिंह की दूसरी पत्नी अमिता सिॆह के खिलाफ टिकट दे दिया. गरिमा ने पति संजय पर बेवफाई का आरोप लगाते हुए जनता से न्याय की मांग की. वह ये चुनाव जीत गईं. अब संजय सिॆह व अमिता सिंह भी बीजेपी का दामन थाम रहे हैं.
ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि अमेठी राजघराने की सियासत का आने वाले दिनों मेॆ क्या रुख रहने वाला है. अब अमेठी के कांग्रेसी भी कह रहे हैं कि ‘राजा साहब’ ने कांग्रेस से भी बेवफाई कर ली. हालांकि संजय सिॆह का कहना है कि कांग्रेस अतीत में जी रही है और पार्टी में संवादहीनता के कारण उन्होंने इस्तीफा दिया है.