बड़े टूर्नामेंट्स में नाकामी के बाद हमेशा किंतु, परंतु, चूंकि, लेकिन, अगर, मगर जैसे शब्दों के साथ चर्चाओं का दौर काफी गर्म रहता है. इस बार तो गुस्सा और अटकलें इसलिए और भी ज्यादा थीं क्योंकि टीम इंडिया विश्वकप के सेमीफाइनल से हार कर खाली हाथ घर लौटी थी. सवाल विराट की कप्तानी पर थे. सवाल कप्तान के तौर पर रोहित शर्मा की दावेदारी को लेकर थे और सवाल इन दोनों के रिश्तों को लेकर थे. इस कहानी को आगे बढ़ाने से पहले आपके लिए ये समझना जरूरी है कि पिछले कुछ दिनों में भारतीय क्रिकेट में जो चल रहा था वो ना तो पहली बार हुआ है और न ही आखिरी बार. इस बार नाम विराट कोहली और रोहित शर्मा का है. पहले किसी और का था. आगे किसी और का होगा.
खैर, विराट कोहली और रोहित शर्मा में अनबन का आधार सोशल मीडिया में एक दूसरे को फॉलो और अनफॉलो करना भी था. इन अटकलों के बीच सोमवार को जब विराट कोहली प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए आए तो उन्होंने जो कहा वो जानना ज्यादा जरूरी है. विराट कोहली ने कहा- ‘अगर मेरे और रोहित में विवाद होते तो टीम इतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही होती. ऐसी बातें मूर्खतापूर्ण है और हमारे लिए अपमानजनक. हम टीम की एकता दिखाने के लिए वीडियो बनाकर नहीं डाल सकते’. विराट के ये सारे बयान न सिर्फ ‘बोल्ड’ थे बल्कि बड़ी बात थी उनकी साफगोई. भारतीय क्रिकेट में विवादों पर चुप्पी साधने की परंपरा साल-दर-साल चली आ रही है.
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विराट ने तोड़ी एक और परंपरा
विराट कोहली जब प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए आए तो उन्होंने सबसे पहले देरी से आने के लिए माफी मांगी. प्रेस कॉन्फ्रेंस का तय समय 6 बजे था जबकि यह 6.25 के आस-पास शुरू हुई. ये बात हर कोई जानता था कि विराट से रोहित के साथ चल रही अनबन की खबरों पर सवाल जरूर पूछे जाएंगे. ऐसे हालात में आम तौर पर होता ये है कि बीसीसीआई की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस को ‘हैंडल’ करने वाला व्यक्ति पहले ही कह देता है कि कृपया सिर्फ वेस्टइंडीज दौरे से संबंधित सवाल पूछे जाएं. मीडिया के बीच से अगर कोई सवाल करता है तो उसे ‘इग्नोर’ कर दिया जाता है. लेकिन सोमवार को ऐसा नहीं हुआ. विराट कोहली ने बाकयदा अपनी बात रखी. यहां तक कहा कि अगर मैं किसी से नाराज हूं तो नाराजगी मेरे चेहरे पर दिख जाती है. असहज करने वाले सवालों में भी विराट की ‘बॉडी लैंग्वेज’ बहुत संयमित थी. बल्कि इन सवालों की झुंझलाहट रवि शास्त्री के चेहरे पर जरूर दिखी जब उन्होंने विराट से माइक लेकर कहा कि मौजूदा टीम में इस तरह की बातों की कोई जगह नहीं है और कोई भी खिलाड़ी खेल से बड़ा नहीं. वो चाहें विराट हों, या फिर कोई और.
असहमति और विवाद का फर्क
पहले तो ये समझ लें कि विवाद आखिर है क्या? और अगर विराट और रोहित में किसी तरह की असहमति है भी तो क्या उसे विवाद का नाम दिया जा सकता है? दरअसल विराट कोहली प्लेइंग 11 को लेकर काफी बदलाव करते हैं. विश्व कप में भी उन्होंने ऐसा किया था जिसको लेकर टीम मीटिंग में चर्चा और बहस जरूर हुई होगी. रोहित शर्मा टीम के उपकप्तान हैं. सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में से एक हैं. वो टीम मीटिंग का हिस्सा रहते हैं. ऐसे में किसी मीटिंग में अगर प्लेइंग 11 को लेकर दोनों में असहमति हुई तो उसे रिश्तों के खराब होने से नहीं जोड़ सकते. विराट और रोहित शर्मा के ‘एटीट्यूड’ में एक और बड़ा फर्क है. रोहित शर्मा क्रिकेट को बिल्कुल आसान करके खेलते हैं जबकि विराट कोहली हमेशा ‘सरप्राइज एलिमेंट’ साथ रखते हैं. चूंकि आईपीएल में रोहित शर्मा की कप्तानी का मुरीद हर कोई है इसलिए अक्सर ये चर्चा भी होती है कि लिमिटेड ओवर में उनकी कप्तानी विराट की कप्तानी पर बीस है. इन्हीं सारी चर्चाओं को विवाद का नाम दिया गया है जिसमें एक दूसरे की पत्नियों का नाम भी आ गया.
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क्या विराट और रोहित विवाद ‘अफोर्ड’ कर सकते हैं?
भारतीय क्रिकेट में अब विवाद ‘अफोर्ड’ करना आसान नहीं. हर किसी को पता है कि नाम, दाम, इज्जत, फैंस तभी तक हैं जब तक नतीजे अच्छे आ रहे हैं. नतीजे खराब होना शुरू हुए तो कान में एक पुराने विज्ञापन की लाइन गूंजने लगती है- ये इंडिया का क्रिकेट है बीडू, जीते तो ताली बीडू, हारे तो गाली बीडू. लिहाजा मैदान में उतरने के बाद 11 के 11 खिलाड़ी टीम की जीत के लिए खेलते हैं. इन्हीं 11 खिलाड़ियों में विराट कोहली और रोहित शर्मा भी हैं. हां, मैदान के बाहर अगर वो अलग-अलग दिखते हैं, अलग अलग घूमते हैं, एक दूसरे को सोशल मीडिया में फॉलो नहीं करते हैं तो ये उनकी मर्जी है. इसे विवाद का नाम देना क्रिकेट में ‘कंट्रोवर्सी’ की ताक में रहने वालों के लिए फैंस को मसाला परोसने से ज्यादा कुछ नहीं. इस मसाले के चटकारों को फिलहाल विराट ने बेस्वाद कर दिया है.
(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं.)