नई दिल्ली: केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने सोमवार को इस बात से साफ इनकार किया कि 19 दिसंबर को संसद भवन के अंदर मकर द्वार गेट के पास हुई मारपीट की घटना में किसी तरह की लापरवाही बरती गई थी, जिसमें भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए थे.
संसद परिसर की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ संभाल रहा है.
सीआईएसएफ के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) श्रीकांत किशोर ने कहा कि घटना के दौरान बल ने उचित तरीके से और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार काम किया. उन्होंने कहा, “झड़प के समय सीआईएसएफ की ओर से कोई चूक नहीं हुई.” उन्होंने मीडिया को ब्रीफिंग के दौरान स्पष्ट रूप से बताया कि घटना के संबंध में सीआईएसएफ द्वारा “कोई जांच” नहीं की जा रही है और न ही बल को ऐसा करने के लिए कहा गया है.
श्रीकांत किशोर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोई गलती (सीआईएसएफ की ओर से) नहीं हुई। किसी हथियार की अनुमति नहीं दी गई.’’
जब उनसे सांसदों के आरोप-प्रत्यारोप के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘जब माननीय सदस्य आरोप लगाते हैं तो बल चुप रहना पसंद करेगा.’’
किशोर ने कहा कि सीआईएसएफ संसद के मकर द्वार के पास हुई घटना के मामले में कोई जांच नहीं कर रहा.
संसद परिसर में गत बृहस्पतिवार को बाबासाहेब आंबेडकर से संबंधित मुद्दे पर विपक्ष और सत्तापक्ष के सदस्य प्रदर्शन करते हुए एक दूसरे के सामने आ गए तथा कथित तौर पर धक्का-मुक्की की.
इस दौरान सारंगी के माथे पर कथित गहरी चोट लगी, जबकि राजपूत टकराव के दौरान बढ़े हुए ब्लड प्रेशर के कारण बेहोश हो गए. सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने से ठीक पहले मकर द्वार के प्रवेश द्वार पर हंगामा हुआ. संविधान निर्माता डॉ. बीआर आंबेडकर के प्रति कांग्रेस के कथित अनादर का विरोध करने के लिए भाजपा सांसदों का एक समूह इकट्ठा हुआ था. जैसे ही कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पास आए, उन्होंने सभा के बीच से गुजरने का प्रयास किया, जिससे हाथापाई हो गई.
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा की शिकायत पर उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की थी.
‘भाषा’ के इनपुट से.
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