नई दिल्ली : तीखी बहस, विपक्ष के विरोध बीच तीन तलाक बिल एक बार फिर लोकसभा में पास हो चुका है. यह बिल तीन तलाक को गैरकानूनी बनाता है और 3 साल की सजा व जुर्माने का प्रावधान करता है. अब यह राज्यसभा में भेजा जाएगा. इसको लेकर हुए मतदान में बिल के पक्ष में 303 वोट, जबकि विरोध में 82 वोट पड़े. जदयू, टीएमसी और कांग्रेस के सांसदों ने इसका विरोध करते हुए सदन से वाकआउट किया.
वहीं बिल पर बहस के दौरान जवाब देते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक के मामले में स्टेकहोल्डर केवल पीड़ित मुस्लिम महिलाएं हैं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मसले में स्टेक होल्डर नहीं है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी कहा है कि जो भी तलाक की पूरी प्रक्रिया नहीं मानेगा उसको जेल होगी. क्या महिलाओं के साथ नाइंसाफी धर्म है, कोई धर्म ऐसा नहीं कहता है.
प्रसाद ने कहा कि हम केवल तलाक-ए-बिद्दत के खिलाफ कानून लाए हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत माना है, पैगंबर साहब ने भी इसे गलत माना है. मामूली सी बातों पर महिलाओं को तीन तलाक दिया जाता है. वह राजीव गांधी की सरकार का कानून मंत्री नहीं हैं, इसलिए पीड़ित महिलाओं के साथ खड़ा रहूंगा.
अगर पैगंबर मोहम्मद ने इसे गलत माना है तो ओवैसी साहब को तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं के साथ खड़ा होना चाहिए.
जमकर हुई तकरार, दी गई दलीलें
वहीं इससे पहले बार-बार पारित होने में नाकाम तीन तलाक बिल को केंद्र सरकार ने गुरुवार को संसद में पेश किया. कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध किया है. सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच इस पर जमकर तकरार हो रही है.
बिल पर सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए बीजेपी नेता और कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने इस मुद्दे पर बोलना शुरू किया था कि उधर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस पर आपत्त जताई. थरूर ने कहा कि बीजेपी एक के बाद एक बिल ला रही है और सांसदों से इस पर चर्चा नहीं करती.
प्रसाद ने कहा कि मुझे लगा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तीन तलाक के मामले रुक जाएंगे लेकिन बहुत पीड़ा के साथ बताना चाहूंगा कि तब से अब तक तीन तलाक के 574 मामले सामने आ चुके हैं.
उन्होंने एक मीडिया रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि निकाह के बाद महज 12 घंटे में एक शख्स ने पत्नी को तलाक दे दिया. मोबाइल ऑपरेटर पत्नी का अश्लील विडियो बना रहा था, विरोध करने पर तीन तलाक दे दिया. ऐसी स्थिति में क्या करें.
भारत के संविधान की कोर फिलॉसफी बता प्रसाद ने कहा कि लैंगिक न्याय भारतीय संविधान का मूल दर्शन है. चाहे किसी समाज के हों, किसी धर्म के, हिन्दुस्तान की बेटी, हिन्दुस्तान की है.
कानून मंत्री ने अपना पिछला बयान दोहराते हुए कहा कि यह मामला नारी न्याय का है. यह मसला न तो धर्म का है, न जाति का है, न वोट का है, यह सिर्फ और सिर्फ नारी न्याय का है. मेरी सदन से आग्रह है कि ध्वनि मत से इसे पारित करें ताकि इस देश की महिलाओं को न्याय मिले.
रविशंकर ने कहा कि तीन तलाक के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से आए हैं, उन्होंने कार्रवाई की है. बाकि राज्य भी करें.
इस मुद्दे पर कांग्रेस ने सभी सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है.
विपक्षी सांसदों ने किया विरोध
आरएसपी नेता एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कही भीं नहीं कहा कि सरकार कानून बनाए, सर्वोच्च न्यायालय ने संसद को कानून बनाने को कहा था, सरकार अगर मुस्लिम पीड़ित महिलाओं को बचाना चाहती है तो मॉब लिंचिंग पर भी बात करे, महिलाओं के न्याय पर बात करना है तो सबरीमाला पर भी बात करे. लेकिन यहां बात न्याय की नहीं है, किसी समुदाय को वोट के लिए लुभाने की कोशिश हो रही है.
उन्होंने कहा कि मुसलमान पुरुष और महिलाओं के खिलाफ है बिल. सर्वोच्च न्यायालय का फैसला अपने आप में एक कानून है इसके अलावा किसी और कानूनों की जरूरत क्या है? आप एक पर्सनल लॉ को क्रिमिनल लॉ भला कैसे बना सकते हैं? आप तलाक के लिए हिन्दू समुदाय के लिए जेल की सजा का प्रावधान क्यों नहीं करते? केवल एक समुदाय के लिए तलाक देने पर सजा की व्यवस्था क्यों?
कांग्रेस की सहयोगी इंडियन मुस्लिम लीग के नेता पीके कुनहालिकुटी ने कहा कि पिछली जनगणना को देखें तो मुसलमानों में तलाक की संख्या 0.4 प्रतिशत है, बाकि समुदायों में यह फीसद काफी ज्यादा है लेकिन उनके लिए आप उनके लिए कोई कानून नहीं बना रहे हैं, यह बिल आपका एक निजी अजेंडा है.
वहीं इस बिल की अहमियत बताते हुए बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने जवाहरलाल ने एक पत्रकार के पूछे सवाल का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जवाहर लाल नेहरू से एक फ्रेंच पत्रकार ने पूछा था कि उनकी सबसे बड़ी चुनौती क्या थी? तो जवाब दिया था कि धार्मिक समुदाय में सेक्युलर कानून बनाना. प्रधानमंत्री मोदी की भी आज यही चुनौती है.
उन्होंने कहा कि काफी विरोध के बावजूद हिंदू कोड बिल लाया गया. इसका फायदा आज मिल रहा है. हिंदू समाज में भी कभी बहुविवाह प्रचलित था. कानून ने इस पर रोक लगाई.
वहीं इस बिल पर मीनाक्षी लेखी और सपा अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच नोक-झोक हुई. बार-बार टोकने पर नाराज मीनाक्षी ने कहा कि अखिलेश यादव ने अगर अपने कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में शरिया अदालतें बंद करा दी होती, तो वहां की महिलाओं के साथ अन्याय नहीं होता. वह कैसे मुख्यमंत्री थे जो मुस्लिम महिलाओं के हकूक नहीं बचा सके. इसके बाद अखिलेश आक्रोशित हो गए. वह अपनी सीट से खड़े होकर बात रखने लगे. इस पर स्पीकर ने उन्हें उन्हें शांत करते हुए कहा कि वह अपनी बारी का इंतजार करें. वह नहीं माने और फिर अपनी सीट से खड़े होकर विरोध जताने लगे.
पेश किया गया है संशोधित बिल
वहीं इससे पहले सत्तापक्ष के पेश संशोधित बिल के मुताबिक तीन तलाक अपराध संज्ञेय तभी होगा, जब महिला खुद शिकायत करेगी. साथ ही खून या शादी के रिश्ते वाले सदस्यों के पास भी केस दर्ज करने का अधिकार रहेगा. पड़ोसी या कोई अपरचित इस मामले में केस दर्ज नहीं करा सकता है.
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने शायरा बानो केस में फैसला देते हुए तत्काल तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था. अलग-अलग धर्मों वाले 5 जजों की बेंच ने 3-2 से फैसला सुनाया था. जिसमें सरकार से इस दिशा में 6 महीने के अंदर कानून लाने को कहा था.
लेकिन बिल को 19 संशोधनों के बाद भी बिल को पास नहीं किया जा सका है.
ओवैसी ने तीन तलाक को बताया मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ जुल्म
तीन तलाक पर बिल पर बोलते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने असंवैधानिक बताया. उन्होंने कहा कि तीन तलाक को अपराध बनाया जा रहा है. यह बिल मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है. इससे तीन तलाक नहीं रुकेगा. यह सामाजिक मसला है. मुस्लिम समाज कुरान से चलेगा कानून से नहीं. जो समस्या है वह शिक्षा से दूर होगी. सरकार इसके जरिए मुस्लिम महिलाओं पर जुल्म कर रही है.