आदरणीय प्रधानमंत्री जी,
देखिये प्रधानमंत्री जी के पद पर मुझे ही क्या, पूरे देश को भी सौ प्रतिशत भरोसा है. हम अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बयान का भी मज़ाक़ में नही उड़ा सकते हैं. यह एक गंभीर मसला है, जिसे चुटकियों में हल करना मूर्खता ही होगी. यह दो देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच की बातचीत है. जिसके केंद्र में कश्मीर है, जो भारत का अभिन्न अंग है.
एक बात तो तय है कि जो बात उड़कर आ रही हैं, उसका सच या तो ट्रंप जानते हैं या तो मोदी जी. ज़ाहिर है ट्रंप ने अपनी बात कह दी है, अब यह सच है या झूठ उसे, इस धरती पर केवल एक ही व्यक्ति बता सकता है, वह हैं खुद प्रधानमंत्री मोदी जी. हमे उन पर पूरा भरोसा है कि वह ऐसी बात नहीं कर सकते हैं.
मोदी जी को साहस के साथ खड़े होकर, इस झूठ का खंडन करना चाहिए, देश उनके साथ है. यह कौन सी बात हुई कि कोई भी, हमारे प्रधानमंत्री का नाम लेकर, झूठ बोलकर निकल जाएगा और हम कुछ भी नहीं कर पाएंगे. हम इतने कमज़ोर राष्ट्र नहीं हैं और न ही हमारे लीडर इतने कमज़ोर हैं.
सत्ता और विपक्ष, जनता और सरकार, कश्मीर पर सब साथ हैं कि अमरीका के इस झूठ को डंके की चोट पर झूठ कहा जाए. यह बात खुद प्रधानमंत्री बोलें, क्योंकि उनका बोलना आवश्यक है. पूरी दुनिया, यह तो जाने की दो नेताओं के बीच से यह झूठ निकला है. अब उन्हीं दो लोगों के बीच से जवाब भी निकले, क्योंकि सच को वही जानते हैं.
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यह इसलिए भी ज़रूरी है कि भविष्य में भी जब मोदी या ट्रंप नहीं रहेंगे. देश के आने वाले लीडर या दुनिया के दूसरे लीडर आपस मे मिलते रहेंगे. तब कहीं कोई, इन मुलाकातों में झूठ बोलकर निकल ना जाए, यह उसके लिए नज़ीर होगा. ऐसे मामलों में विदेश मंत्री या विदेश सचिव या किसी और कि जगह खुद प्रधानमंत्री को बोलना चाहिए, क्योंकि यह उनके भरोसे का मज़ाक़ बनाना हुआ.
कल जब मोदी जी पुतिन से मिलें और पुतिन कुछ झूठ बात बोल दें, यह कैसे चलेगा. साहस से इस झूठ का वह खुद खंडन करें, ताकि भविष्य में किसी दूसरे की हिम्मत न पड़े इस तरह के झूठ फैलाने की.
यह मीडिया डिबेट का विषय नहीं है, यह व्यंग्य का विषय नहीं है. यह मोदी या भाजपा का मज़ाक़ बनाने का विषय नहीं है, यह हमारे देश के प्रतिनिधि, प्रधानमंत्री के पद का विषय है. इस तरह हल्की और झूठी बातों पर खुद वह साहस रखकर बयान दें, ताकि फिर किसी की हिम्मत न हो.
हमारे प्रधानमंत्री के साथ हम सब खड़े हैं. वह बस खुद इस अमेरिकी झूठ की भर्त्सना करें, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका की किरकिरी भी हो और देश के सभी शुभचिंतक को नैतिक साहस भी मिले.
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नीति भी कहती है, दो लोगों के बीच से उपजा झूठ, उन्हीं के बीच से खत्म किया जा सकता है. जब कोई एक झूठ बोले, तो दूसरे को सच खुद ही सामने लाना चाहिए, कोई तीसरा जवाब देने आएगा, तो झूठ बोलने वाले के पक्ष में भ्रम पैदा होगा.
प्रधानमंत्री जी चाहे सदन में बोलें या ट्वीट करें, मगर स्वयं के स्तर से ही अमरीकन झूठ की हवा निकालें. हम सबका इस मुद्दे पर नैतिक समर्थन उनके साथ है, इस साथ से उपजे साहस से वह इस झूठ का अंत करें. यह देश के सम्मान की बात है मोदी जी, इससे कोई समझौता नहीं चलेगा. आप बोलिये, यह सच संसार मे गूंजना चाहिए.
(लेखक उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेता व मीडिया पैनलिस्ट हैं, ये उनके निजी विचार हैं )