चंडीगढ़: सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त ने पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष पद से हटाने का आदेश दिया है. यह आदेश सिख समुदाय के खिलाफ उनके द्वारा किए गए “पापों” की “सज़ा” है, जिसके लिए उन्हें “तनखैया” घोषित किया गया था.
अकाल तख्त ने सुखबीर के पिता प्रकाश सिंह बादल को 2011 में दी गई ‘पंथ रतन फख्र-ए-कौम’ की उपाधि भी वापस ले ली है. सीनियर बादल को सीएम पद पर रहते हुए कार्यकाल के दौरान किए गए ‘सिख विरोधी’ फैसलों में शामिल होने के लिए मरणोपरांत तनखा सुनाई गई.
अपने ‘पापों’ के प्रायश्चित के रूप में, अकाल तख्त ने सुखबीर को 3 और 4 दिसंबर को अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर में “शौचालय साफ करने” का आदेश दिया. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सुखबीर को पिछले महीने फ्रैक्चर हुआ था और वे व्हीलचेयर पर हैं, अकाल तख्त ने बाद में सज़ा में बदलाव किया. अब उन्हें मंगलवार और बुधवार को एक घंटे के लिए स्वर्ण मंदिर के मुख्य द्वार पर सेवादार की भूमिका निभानी होगी.
इस दौरान सुखबीर बादल अपने गले में लकड़ी का एक बोर्ड लटकाकर रखेंगे, जिस पर लिखा होगा कि वे ‘पापी’ हैं. इसके बाद उन्हें पंजाब के चार अन्य गुरुद्वारों में भी यही दोहराना होगा, जिसमें केशगढ़ साहिब और फतेहगढ़ साहिब शामिल हैं.
‘पंज सिख साहेबान’ (पांचों तख्तों) के जत्थेदारों की संयुक्त बैठक के बाद जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने स्वर्ण मंदिर में अकाल तख्त साहिब की प्राचीर से सज़ा का ऐलान किया. सज़ा सुनने के लिए सुखबीर समेत शिरोमणि अकाली दल का लगभग पूरा वरिष्ठ नेतृत्व वहां मौजूद था. 62-वर्षीय सुखबीर को 30 अगस्त को ‘तनखैया’ (धार्मिक दुराचार का दोषी, पापी) घोषित किया गया था.
सोमवार को अकाल तख्त ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी के नेतृत्व वाली छह सदस्यीय समिति को अकाली दल की कमान सौंप दी. समिति को नए सिरे से सदस्यता अभियान शुरू करने और नए पार्टी अध्यक्ष और कार्यकारी समिति के चुनाव की देखरेख का काम सौंपा गया है.
सुखबीर बादल ने पार्टी की कार्यसमिति के समक्ष अपने इस्तीफे की पेशकश की, जिसके एक दिन पहले उन्हें ‘तनखैया’ घोषित किया गया था. बलविंदर सिंह भुंडर को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन कार्यसमिति ने अभी तक बादल का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है — जिसके लिए अकाल तख्त ने सोमवार को उसे फटकार लगाई और प्रक्रिया में तेज़ी लाने को कहा.
अकाल तख्त ने सुखबीर को ऐसे फैसले लेने के लिए दोषी ठहराया, जिससे “सिख समुदाय की छवि को भारी धक्का लगा, शिरोमणि अकाली दल की स्थिति खराब हुई और सिख हितों को नुकसान पहुंचा.” अकाल तख्त के एक विद्रोही समूह ने 1 जुलाई को अकाल तख्त जत्थेदार को एक शिकायत सौंपी थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सुखबीर ने उपमुख्यमंत्री (2007-17) और अकाली दल प्रमुख (2008 से) के रूप में अपनी क्षमता में कई गलत फैसले लिए. विद्रोही समूह ने उन्हें 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों को पकड़ने में विफल रहने और उसी वर्ष अकाल तख्त के जरिए डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को क्षमादान दिलाने में साजिश रचने के लिए जिम्मेदार ठहराया था — बाद में विरोध के चलते उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया.
सुखबीर 15 जुलाई को अकाल तख्त के सामने पेश हुए आरोपों को स्वीकार किया और अपने फैसलों के लिए माफी मांगी. अकाल तख्त ने प्रकाश सिंह बादल की कैबिनेट के सदस्यों से भी अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा, जिनके बारे में तख्त ने कहा कि वह धार्मिक कदाचार के कृत्यों में शामिल थे.
सज़ा की घोषणा करने से पहले अकाल तख्त के जत्थेदार ने सुखबीर से छह मामलों में पूछताछ की: क्या वह सिख धर्म की ‘महिमा को कम करने’ के लिए जिम्मेदार थे; क्या उन्होंने उग्रवाद के वर्षों के दौरान निर्दोष सिखों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को पदोन्नत किया क्या वे बेअदबी के मामलों में दोषियों को पकड़ने में विफल रहे और क्या उन्होंने स्वर्ण मंदिर को दिए गए दान का दुरुपयोग करके अकाली दल की ओर से डेरा प्रमुख को माफ करने के फैसले को सही ठहराने के लिए विज्ञापन जारी किए.
इन सभी सवालों के जवाब में सुखबीर बादल ने सकारात्मक जवाब दिया और कहा कि उन्होंने और उनकी पार्टी ने सत्ता में रहते हुए कई गलतियां कीं.
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