नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के बद्दी की पुलिस अधीक्षक (एसपी) इल्मा अफरोज़ को दून के कांग्रेस विधायक राम कुमार चौधरी के साथ विवाद के चलते लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया है. खबरों के मुताबिक, एसपी अफरोज़ ने चौधरी से जुड़े वाहनों के चालान काटे थे. हालांकि, विधायक ने 6 नवंबर से शुरू हुई उनकी छुट्टी में किसी भी तरह की भूमिका से इनकार किया है.
सूत्रों का कहना है कि बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ क्षेत्र में अपने सराहनीय काम के लिए मशहूर चौधरी और अफरोज़ के बीच पिछले कुछ समय से तनाव चल रहा है.
कथित तौर पर यह मामला 4 अगस्त को शुरू हुआ, जब अवैध रेत खनन के खिलाफ अपने सख्त रुख के लिए मशहूर अफरोज़ ने विधायक की पत्नी कुलदीप कौर के खनन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहन का चालान जारी किया. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बद्दी-दून क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियों के लिए उन पर जुर्माना लगाया गया था. पुलिस ने छापेमारी की थी, जिसके बाद अनधिकृत खनन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीनरी जब्त की गई थी.
अफरोज़ का चौधरी के करीबी अन्य लोगों से भी टकराव रहा है. सितंबर में विधायक ने विधानसभा में उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दायर किया था.
दिप्रिंट से बात करते हुए हिमाचल पुलिस के एक सूत्र ने बताया कि जब एसपी अफरोज़ जिले में आईं, तो उन्हें यहां शांतिपूर्ण तरीके से रहने के लिए कौर से मिलने की सलाह दी गई. हालांकि, उन्होंने इस सलाह का पालन नहीं करने का फैसला किया था.
सूत्र ने कहा, “विधायक राम कुमार और उनकी पत्नी क्षेत्र में प्रभावशाली व्यक्ति हैं, जो अक्सर अपने व्यापारिक लेन-देन के लिए पुलिस का पक्ष लेते हैं. हालांकि, एसपी मैडम ने उनकी बात नहीं मानी और इसका नतीजा सभी के सामने है.”
दून क्षेत्र में रेत खनन आम बात है, जिसमें अक्सर गैर-अनुमोदित गतिविधियों के लिए चालान जारी किए जाते हैं.
स्थानीय राजनीति में शामिल बद्दी निवासी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “इल्मा अफरोज़ ने क्षेत्र में अवैध गतिविधियों, खासकर मादक पदार्थों की तस्करी और खनन के संबंध में, पर अंकुश लगाने के अपने केंद्रित प्रयासों के लिए ख्याति अर्जित की है. उनकी तुनक मिज़ाज़ी ने उन्हें सम्मान तो दिलाया, लेकिन साथ ही, खासकर विधायक राम कुमार चौधरी के साथ टकराव को भी जन्म दिया. उनके परिवार से जुड़े वाहनों के खिलाफ कार्रवाई के बाद तनाव बढ़ गया.”
अफरोज़ शिमला में राज्य सचिवालय में 7 और 8 नवंबर को होने वाले दो दिवसीय कार्यक्रम की तैयारी कर रही थीं. हालांकि, बुधवार को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक के बाद, वे अचानक देर रात बद्दी लौट आईं और अपना सामान पैक कर लिया.
चौधरी ने अफरोज़ को छुट्टी पर भेजने में अपनी भूमिका के सभी आरोपों को खारिज कर दिया है.
चौधरी ने दिप्रिंट से कहा, “मैं उन्हें छुट्टी पर जाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता. यह अधिकार गृह विभाग के पास है, मेरे पास नहीं. मुख्यमंत्री इसे संभालते हैं. कई मीडिया संगठनों ने मुझे इस मुद्दे से जोड़ा है, लेकिन ये निराधार आरोप हैं. मेरी राष्ट्रीय राजमार्ग फर्म एसपीजी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से जुड़े वाहनों को संभालती है और उनका प्रबंधन एक ठेकेदार करता है. मैं किसी भी खनन गतिविधि या वाहन संचालन में शामिल नहीं हूं.”
अफरोज़ ने अपना कार्यभार सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) को सौंप दिया है और उत्तर प्रदेश में अपने गृहनगर के लिए रवाना हो गई हैं. अफरोज़ ने एक बयान में कहा, “निजी कारणों से मैं अपने गृहनगर मुरादाबाद जा रही हूं. फिलहाल, मैंने अपनी जिम्मेदारियां बद्दी के एएसपी को सौंप दी हैं.”
पुलिस विभाग के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि अफरोज़ के तबादले की योजनाएं बनाईं जा रही हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने नालागढ़ के एक होटल में यौन उत्पीड़न के मामले में स्टेटस रिपोर्ट पेश होने तक किसी भी बदलाव पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है, जिसमें अफरोज़ के इनपुट की ज़रूरत है.
मामले में उनकी भूमिका के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है.
दिप्रिंट ने अफरोज़ से कॉल के ज़रिए संपर्क किया था. उनका जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
विधायक के साथ लंबे समय से जारी तनाव
जनवरी 2024 में बद्दी के एसपी के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद अफरोज़ और चौधरी के मध्य चीज़ें बिगड़ गईं.
इल्मा के कार्यकाल की शुरुआत में रामकिशन नामक एक स्क्रैप डीलर से जुड़ी एक घटना सामने आई, जिस पर गोली चलाई गई. बाद में पता चला कि रामकिशन ने अखिल भारतीय बंदूक लाइसेंस के लिए अपने आवेदन को खारिज किए जाने के बाद पुलिस सुरक्षा हासिल करने के लिए हमला किया था.
सरकार के साथ काम करने वाले एक ठेकेदार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “रामकिशन विधायक राम कुमार चौधरी के करीबी सहयोगी हैं और अफरोज़ पर मामले को दबाने के लिए राजनीतिक दबाव था. उन्होंने इस दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया और कहा कि वे छुट्टी पर जाना या तबादला करवाना पसंद करेंगी.”
सितंबर में विधायक चौधरी ने विधानसभा में अफरोज़ के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश किया.
दिप्रिंट से बात करते हुए चौधरी ने कहा, “उन्होंने मेरे ड्राइवर को बहलाया और मेरी और मेरे परिवार की जासूसी की, जिससे मेरी निजता का उल्लंघन हुआ. मैंने कानूनी कार्रवाई की.”
विधायक ने कहा, “उनके छुट्टी पर जाने में मेरी कोई संलिप्तता नहीं है. अधिकारी छुट्टी लेते हैं और मुझे नहीं पता कि हर कोई क्यों हंगामा कर रहा है. मुझे उनकी छुट्टी के बारे में कोई जानकारी नहीं है.”
इस बीच, स्थानीय भाजपा नेताओं ने कांग्रेस विधायक की आलोचना की है, उनका कहना है कि अवैध गतिविधियों के खिलाफ अफरोज़ की कार्रवाई के कारण उन्हें छुट्टी पर भेजा गया है.
दून के भाजपा नेता और पूर्व विधायक परमजीत सिंह पम्मी ने कहा, “इल्मा अफरोज़ क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रही थीं, खासकर राम कुमार चौधरी की अवैध खनन गतिविधियों को उजागर करने में. जब अधिकारी ने विधायक के वाहनों के चालान जारी किए तो विधायक ने उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव रखा. वे उनकी छुट्टी के पीछे का कारण हैं. मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया है कि उनके जैसे अधिकारी का तबादला न किया जाए क्योंकि इससे पुलिस बल का मनोबल गिरेगा.”
शिक्षा और करियर
अफरोज़ उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के एक छोटे से शहर कुंदरकी से आती हैं. 14 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता को कैंसर के कारण खो दिया और उनकी मां ने उनका पालन-पोषण किया.
उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से दर्शनशास्त्र में डिग्री हासिल की, बाद में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने के लिए स्कॉलरशिप हासिल की. उन्होंने पेरिस में साइंसेज पो में एक एक्सचेंज छात्र के रूप में भी समय बिताया और मैनहट्टन में एक स्वैच्छिक सेवा कार्यक्रम में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क भी गईं. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र (इंडोनेशिया) में भी काम किया है.
2017 में अफरोज़ ने ऑल इंडिया रैंक (AIR) 217 के साथ यूपीएससी परीक्षा पास की, 2018 में हिमाचल प्रदेश कैडर के साथ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में शामिल हुईं.
बतौर प्रोबेशनरी अधिकारी अफरोज़ मंडी जिले में और फिर ऊना में उप-विभागीय पुलिस अधिकारी के पद पर तैनात रहीं. वे राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल की पुलिस अधीक्षक (एसपी) भी रहीं. एसपी के रूप में बद्दी उनका पहला जिला है.
अफरोज़ के काम ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है, उन्हें कोलंबिया यूनिवर्सिटी (2022 और 2023 में वीडियो के माध्यम से) जैसे संस्थानों में बोलने के लिए लगातार आमंत्रित किया गया है. उनके कार्यकाल के दौरान, यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क, यूके और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) के शिक्षाविदों ने भी पुलिस जिला बद्दी का दौरा किया है.
हिमाचल पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि ईमानदार अधिकारियों को अक्सर ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “पुलिस बल में यह असामान्य नहीं है. कई अधिकारियों को अपने पूरे करियर में ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, खासकर वे जो ईमानदार और सीधे-सादे होते हैं. इल्मा अफरोज़ एक ऐसी ही अधिकारी हैं, जिनका बैकग्राउंड प्रतिष्ठित है और उन्हें अपनी सेवा के लिए कई पुरस्कार मिले हैं. इस तरह की घटनाएं, जिनमें अचानक तबादले भी शामिल हैं, अक्सर एक अधिकारी के सफर का हिस्सा होती हैं. हालांकि, सोशल मीडिया पर इस मामले ने जो सार्वजनिक ध्यान आकर्षित किया है, उससे राजनेताओं पर दबाव पड़ता है, जिससे उन्हें कानून के शासन के साथ जुड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है.”
जिला प्रशासन ने अभी तक अफरोज़ की अचानक छुट्टी के कारण को स्पष्ट नहीं किया है. इस बीच, स्थानीय पुलिस विभाग उनकी अनुपस्थिति में सुचारू रूप से काम कर रहा है, जबकि इस बात को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या अफरोज़ अब अपने पद पर वापस लौटेंगी या उन्हें कहीं और भेजा जाएगा.
(सौरभ चौहान के इनपुट्स के साथ)
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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