बेंगलुरु: नकदी की कमी से जूझ रही कर्नाटक सरकार एक निवेश ट्रस्ट (इनविट) स्थापित करने, पूंजी जुटाने के लिए बॉन्ड जारी करने और उच्च ब्याज दरों पर संस्थागत निवेशकों से उधार लेने के बोझ को कम करने की कोशिश कर सकती है. घटनाक्रम से अवगत लोगों के अनुसार, यह बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) द्वारा प्रस्तावित एक नए प्रस्ताव का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पिछले साल मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के सत्ता में आने के बाद लागू की गई पांच गारंटी योजनाओं को वित्तपोषित करने के बढ़ते बोझ को कम करना है.
यह पायलट प्रोजेक्ट कर्नाटक पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (केपीटीसीएल) के माध्यम से होगा, जो राज्य में सबसे अधिक राजस्व अर्जित करने वाला विभाग है.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “वे (केपीटीसीएल) अपनी करीब 6,000-7,000 करोड़ रुपये की संपत्ति ट्रस्ट में डालेंगे… ट्रांसमिशन लाइनें उनकी संपत्ति हैं, जिनसे राजस्व प्राप्त होता है. इन संपत्तियों की मजबूती के आधार पर, निवेश ट्रस्ट के पास भी राजस्व का एक स्थिर स्रोत होगा और फिर हम बॉन्ड जारी कर सकते हैं.”
केपीटीसीएल का मुख्य राजस्व बिजली के ट्रांसमिशन से आता है. केपीटीसीएल की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2023 तक इसका राजस्व 2021-2022 में 4,108.66 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,931.36 करोड़ रुपये हो गया.
मरम्मत और रखरखाव, कर्मचारी लाभ और अन्य खर्चों सहित अपने सभी खर्चों के बाद, केपीटीसीएल ने 2022-2023 में 723.43 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया, जबकि पिछले वर्ष यह 664.79 करोड़ रुपये था.
कंपनी के सभी शेयर वर्तमान में राज्य सरकार के स्वामित्व में हैं.
मौजूदा प्रस्ताव में सिर्फ़ संस्थागत निवेशकों को बॉन्ड बेचना शामिल है. सरकार इस बात की समीक्षा करेगी कि क्या इसे खुदरा निवेशकों के लिए भी खोला जा सकता है.
देश में ऐसे कई राज्य और एजेंसियां हैं जिन्होंने फंड जुटाने के लिए बॉन्ड बाज़ार में जारी करने का सहारा लिया है, या कम से कम इस पर विचार किया है.
केंद्र सरकार द्वारा संचालित पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने 7 जनवरी 2021 को पावरग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (PGInvIT) की शुरुआत की और प्रायोजक के इक्विटी शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के साथ-साथ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में भी सूचीबद्ध हैं.
2012 में, केरल ने प्रवासी डेवलेपमेंट बॉन्ड का प्रस्ताव रखा, जिसे वे लोग खरीद सकते थे जो केरल के मूल निवासी नहीं थे. इसने कहा कि इससे मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल राज्य में प्रमुख परियोजनाओं को विकसित करने में लगाया जाएगा और मुनाफे को शेयरधारकों के साथ साझा किया जाएगा. 2019 में, यह लंदन स्टॉक एक्सचेंज में मसाला बॉन्ड (रुपये में जारी) को सूचीबद्ध करने वाला पहला राज्य भी बन गया.
‘आर्थिक कुप्रबंधन’
यद्यपि देश में सबसे अधिक नकदी अधिशेष वाले राज्यों में से एक, कर्नाटक सरकार ने दावा किया है कि जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद से इसकी स्थिति खराब हो गई है, केंद्र से राजस्व का हिस्सा कम हो गया है, जिससे राज्य को अपने कल्याण और विकास परियोजनाओं के लिए अधिक उधार लेना पड़ रहा है.
पिछले कुछ वर्षों में बाढ़ और सूखे की बढ़ती घटनाओं और सरकार की प्रमुख पांच गारंटियों के अतिरिक्त बोझ के साथ – जिनकी अनुमानित लागत सालाना लगभग 60,000 करोड़ रुपये या कर्नाटक के लगभग 3.71 लाख करोड़ रुपये के बजट का लगभग 20 प्रतिशत है – इस वर्ष इसके राजस्व पर मांग बढ़ गई है.
हालांकि, विपक्ष ने सरकार पर आर्थिक कुप्रबंधन का आरोप लगाया है.
एक्स पर एक पोस्ट में विपक्ष के उपनेता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ विधायक अरविंद बेलाड ने कहा कि राज्य की गिरती विकास दर “आर्थिक कुप्रबंधन का स्पष्ट संकेत” है.
Under the @INCKarnataka government, Karnataka’s GSDP growth has plummeted from 13.1% to 9.4%, falling behind the national average—a clear sign of economic mismanagement. @siddaramaiah, your leadership is driving a once-thriving economy into decline. North Karnataka and Kalyana… pic.twitter.com/dJ52c2cdeY
— Arvind Bellad (@BelladArvind) October 20, 2024
वह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा की गई सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) वृद्धि की भविष्यवाणियों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें कर्नाटक की वृद्धि 2024 में 13.1 प्रतिशत से घटकर 2025 में 9.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. सिद्धारमैया ने पलटवार करते हुए कहा कि कर्नाटक ने “एक दशक में सबसे खराब सूखे और वैश्विक आईटी बाजारों में मंदी सहित गंभीर चुनौतियों के बावजूद” राष्ट्रीय औसत से अधिक विकास दर हासिल की है.
सिद्धारमैया ने सोमवार को एक्स पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा, “शुरू में, राष्ट्रीय सांख्यिकी अनुमान (एनएसई) ने कर्नाटक के लिए मामूली 4 प्रतिशत जीएसडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया था, लेकिन वित्तीय वर्ष के अंत तक इसे संशोधित कर 13.1 प्रतिशत कर दिया गया, जो राज्य के आर्थिक प्रदर्शन के शुरुआती कम आकलन को दर्शाता है.”
‘लगातार होता कैश आउटफ्लो हमें खत्म कर देगा’
इसके बावजूद, सिद्धारमैया के आर्थिक सलाहकार बसवराज रायरेड्डी के अनुसार, गारंटी योजनाओं और अन्य सब्सिडी ने राज्य के वित्त पर भारी असर डाला है, भले ही कर्नाटक राजकोषीय उत्तरदायित्व अधिनियम के विनियमन के भीतर बना हुआ है.
रायारेड्डी ने दिप्रिंट से कहा, “कैश फ्लो खराब नहीं है, लेकिन कुल मिलाकर अगर कैश आउटफ्लो का यही चलन अगले छह महीनों तक जारी रहा, तो हमें लगभग 12,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.”
येलबर्गा के विधायक ने कहा कि जीएसटी कंपेनसेशन स्कीम बंद करने से कर्नाटक में राजस्व प्रवाह कम हो गया है.
16 फरवरी को पेश किए गए अपने 2024-25 के बजट में सिद्धारमैया ने आरोप लगाया कि राज्य को कम फंड जारी किए जाने के कारण पिछले सात वर्षों (2017-2024) में जीएसटी के अवैज्ञानिक कार्यान्वयन के कारण 59,274 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
उन्होंने आगे दावा किया कि 15वें वित्त आयोग के तहत छह वर्षों में केंद्रीय करों में कर्नाटक की कम हिस्सेदारी के कारण 62,098 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. बजट में आगे कहा गया है कि सेस और अधिभार में वृद्धि को केंद्र राज्यों के साथ साझा नहीं करता है, जिसके परिणामस्वरूप पिछले सात वर्षों में कर्नाटक को 45,322 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
हालांकि, केंद्र सरकार ने पहले इन दावों का खंडन किया है. उदाहरण के लिए, जुलाई में, दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “कर्नाटक को केंद्रीय हस्तांतरण में काफी वृद्धि हुई है…आज की सरकार लोगों को यह बताती रहती है कि ओह, केंद्र सरकार कर्नाटक को उसका हक नहीं देती है. पूरी तरह से झूठ.”
रायारेड्डी ने कहा कि राज्य की सभी सब्सिडी और गारंटी योजनाओं का कुल बिल लगभग 90,000 करोड़ रुपये था और जल्द से जल्द राजस्व धाराओं की पहचान करना और उनका मुद्रीकरण करना जरूरी था.
सिद्धारमैया ने सोमवार को कहा, “कर्नाटक की सफलता आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति के बीच तालमेल को दर्शाती है, जो इसे भारत की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख इंजन बनाती है. अपनी अभिनव नीतियों, व्यापार के अनुकूल माहौल और चुनौतियों के अनुकूल होने की क्षमता के साथ, कर्नाटक सतत विकास के लिए एक मॉडल के रूप में खड़ा है.”
13 नवंबर को होने वाले तीन उपचुनावों और जिला और तालुका निकायों और बेंगलुरु निगम के आने वाले चुनावों के साथ, सिद्धारमैया सरकार द्वारा भाजपा-जनता दल (सेक्युलर) गठबंधन के खिलाफ कर्नाटक में अपनी गति बनाए रखने के लिए गारंटी योजनाओं को खत्म करने या यहां तक कि संशोधित करने का जोखिम उठाने की संभावना नहीं है.
जुलाई में, सरकार ने राज्य में राजस्व जुटाने के स्रोतों की पहचान करने के लिए कंसल्टेंसी बीसीजी को शामिल किया.
अन्य पहलों के अलावा, राज्य अगले साल फरवरी में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के अगले संस्करण में निवेशकों और निवेश को आकर्षित करने की उम्मीद करता है. दिप्रिंट ने पहले बताया था कि यह बेंगलुरू के आसपास सैटेलाइट शहरों को विकसित करने की योजना भी बना रहा है, ताकि बहुत जरूरी पूंजी जुटाई जा सके.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
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