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Thursday, 21 November, 2024
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चेन्नई NGO की शिकायत — DMK मंत्री और उनके बेटों का 400 करोड़ रुपये की सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा

एनजीओ अरप्पोर इयाक्कम ने सतर्कता निदेशालय को शिकायत की है कि सेंट थॉमस माउंट में 5 एकड़ सरकारी ज़मीन अवैध रूप से एक फर्म के नाम पर रजिस्टर्ड की गई है, जिसमें मंत्री के बेटों के पास 33% शेयर हैं.

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चेन्नई: चेन्नई स्थित भ्रष्टाचार विरोधी एनजीओ अरप्पोर इयाक्कम ने मंगलवार को तमिलनाडु के मंत्री आर.एस. राजकन्नप्पन के खिलाफ सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) में शिकायत दर्ज कराई है. डीवीएसी राज्य में सरकारी भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सर्वोच्च सरकारी निकाय है. एनजीओ ने आरोप लगाया है कि सेंट थॉमस माउंट में लगभग 5 एकड़ सरकारी ज़मीन, जिसकी कीमत 400 करोड़ रुपये से अधिक है, को दूध और डेयरी विकास मंत्री और उनके बेटों ने राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके अवैध रूप से जब्त कर लिया है.

एनजीओ के अनुसार, सेंट थॉमस माउंट में सरकारी स्वामित्व वाली कई ज़मीनों को ब्रिटिश राज ने लगभग 50 साल के लिए व्यक्तियों को पट्टे पर दिया था, जिनमें से ज्यादातर ब्रिटिश नागरिक थे जो 1947 से पहले इस क्षेत्र में रहते थे. पट्टे की अवधि समाप्त होने पर ये जमीनें फिर से सरकार के नियंत्रण में आ गईं.

एनजीओ ने अपने दावों का समर्थन 28 अक्टूबर, 2015 को अलंदूर तहसीलदार कार्यालय से सेंट थॉमस माउंट में उप-पंजीयक कार्यालय को भेजे गए एक पत्र के साथ किया, जिसमें कहा गया था कि पोरामबोके भूमि (तमिल में सरकारी भूमि जिसका राजस्व अभिलेखों के लिए मूल्यांकन नहीं किया गया है) पर कोई रजिस्ट्री नहीं की जानी चाहिए, जिसकी लीज़ अवधि समाप्त हो गई है.

आरापोर इयाक्कम ने अपनी शिकायत में लिखा, “राजकन्नप्पन और उनके बेटों प्रभु कन्नप्पन, दिवाकर कन्नप्पन और दिलीप कुमार कन्नप्पन ने चेन्नई के जीएसटी रोड पर 12 नंबर पर परंगिमलाई गांव के सर्वेक्षण संख्या 1,353 और 1,352 में लगभग 400 करोड़ रुपये की सरकारी ज़मीन हड़प ली थी.

इन आरोपों का जवाब देते हुए मंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि वे उन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे जो जिला और हाई कोर्ट के फैसलों को छिपा रहे हैं और मीडिया के माध्यम से उनके और उनके परिवार के सदस्यों के बारे में गलत जानकारी फैला रहे हैं.

अरप्पोर इयाक्कम के संयोजक जयराम वेंकटेशन ने दिप्रिंट को बताया कि सर्वे नंबर 1352 और 1353 वाली सरकारी ज़मीनें डेक्कन के फन आइलैंड एंड होटल्स लिमिटेड के नाम पर रजिस्टर्ड हैं, एक कंपनी जिसमें राजकन्नप्पन के बेटे निदेशक हैं और उनके पास 33 प्रतिशत शेयर हैं.

जयराम ने कहा, “हिंदुस्तान इंजीनियरिंग ट्रेनिंग सेंटर — जो 1968 में अनौपचारिक तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के लिए स्थापित एक गैर-लाभकारी संस्था है, इसने 1991 में डेक्कन के फन आइलैंड एंड होटल्स लिमिटेड को दो एकड़ सरकारी ज़मीन और 1992 में 1.26 एकड़ ज़मीन अवैध रूप से बेची थी. नागेश्वरन नामक व्यक्ति ने 1996 में कंपनी को 1.26 एकड़ सरकारी ज़मीन बेची थी. रजिस्ट्रेशन अलंदूर के उप-पंजीयक कार्यालय में किए गए थे.”

इस तरह, कंपनी के नाम पर कुल 4.52 एकड़ ज़मीन अवैध रूप से पंजीकृत की गई.

यह पूछे जाने पर कि ज़मीन की बिक्री अवैध कैसे थी, जयराम ने कहा कि विक्रेता खुद अवैध रूप से ज़मीन पर कब्ज़ा कर रहे थे क्योंकि 1980 के सरकारी आदेश में सेंट थॉमस माउंट में पोरामबोके ज़मीन के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाई गई थी.

अरप्पोर इयाक्कम ने यह भी आरोप लगाया कि राजकन्नप्पन और उनके बेटों ने ज़मीन हड़पकर राज्य के खजाने को लगभग 411 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया.

डेक्कन के फन आइलैंड एंड होटल्स लिमिटेड की ओर से वकील जी. सरवण कुमार द्वारा जारी एक बयान में दावा किया गया कि 2017 में हाई कोर्ट ने भूमि को निजी भूमि के रूप में मान्यता दी थी और 2015 में पारित सरकारी आदेश सरकार द्वारा कई दशकों पहले पंजीकृत भूमि को प्रभावित करने के लिए पूर्वव्यापी नहीं हो सकता है.

कुमार ने यह भी कहा कि वे उस कंपनी की संपत्ति के बारे में गलत जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करेंगे, जिसमें मंत्री के बेटों के शेयर हैं.

राजकन्नप्पन का राजनीतिक सफर

10 साल के अंतराल के बाद 2021 में डीएमके के सत्ता में आने के बाद, राजकन्नप्पन दलित सरकारी अधिकारी के साथ कथित दुर्व्यवहार के लिए आलोचनाओं के घेरे में आने वाले पहले मंत्री थे.

राजकन्नप्पन, जिन्हें पहले परिवहन विभाग का प्रभारी बनाया गया था, को हटाकर, तमिलनाडु में पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में नियुक्त किया गया.

हाल ही में हुए कैबिनेट फेरबदल में, उन्हें खादी के साथ दूध और डेयरी विकास विभाग भी दिया गया.

राजकन्नप्पन, जिन्हें पहले एस. कन्नप्पन के नाम से जाना जाता था, ने 1991 में अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) के टिकट पर तिरुप्पत्तूर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़कर अपनी चुनावी यात्रा शुरू की. उन्होंने 1991 से 1996 के बीच बिजली, राजमार्ग और लोक निर्माण विभाग के मंत्री के रूप में कार्य किया.

एक नई पार्टी की स्थापना करने और उसे सफल बनाने में विफल रहने के बाद, वह 2006 में DMK में शामिल हो गए, इलायंगुडी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ दी, AIADMK में वापस चले गए और 2009 के लोकसभा चुनावों में असफल रहे.

एक दशक बाद, 2019 में, वह DMK में लौट आए, 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में मुदुकुलथुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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