नई दिल्लीः गृह मंत्रालय के अनुसार सैन्य बल की कोशिशों से 2014 से जून 2019 तक 963 आतंकवादी मारे गये हैं और 413 सुरक्षाकर्मियों की जान भी गई है. मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी लोकसभा में दी. वहीं 2009 से 2014 के बीच मार गये आतंकियों की संख्या से ज्यादा है. लेकिन 2004 और 2009 के बीच की मारे गये आतंकियों की संख्या से कम.
राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कांग्रेस नेता शशि थरूर के सवालों का जवाब देते हुए लोकसभा में ये आंकड़े दिया. रेड्डी ने कांग्रेस नेता शशि थरूर एक अतारांकित प्रश्न के जवाब में मारे गये आतंकियों और सुरक्षाकर्मियों की संख्या और उनके परिवारों को प्रदान किए गए मुआवजे के बारे में ये आंकडे़ दिए. रेड्डी ने सदन को बताया कि सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का अनुसरण करते हुए सुरक्षा बल आतंकवादियों के खिलाफ सक्रिय कार्रवाई कर रहे हैं.
उन्होंने जवाब में कहा, ‘सुरक्षा बलों के ठोस और समन्वित प्रयासों के कारण जम्मू और कश्मीर में 963 आतंकवादी 2014 से जून 2019 तक मारे गये हैं. हालांकि, इन अभियानों के दौरान, 413 सुरक्षा बलों के जवानों ने भी अपनी जान गंवाई है.’
सैनिकों के परिवारों को प्रदान किए जा रहे मुआवजे जानकारी देते हुए गृह राज्यमंत्री ने कहा, ‘प्रत्येक केंद्रीय सैन्य पुलिस बल (सीएपीएफ) के लिए मुख्यालय के साथ ही इकाई स्तर पर कल्याण अधिकारी नियुक्त किए हैं, जो सीएपीएफ कर्मियों के परिवारों की सुविधा के लिए लगे रहते हैं. ऐसे सीएपीएफ कर्मियों के परिजनों को लाभों का जानकारी अनुबंध में दी गई है.’
आंकड़े कहते हैं
सरकारी आंकड़ों की मानें तो 2004 से 2009 तक 3,295 आतंकी, 2009 से 2014 तक 710 आतंकी और 2014 से 2018 तक 581 आतंकी मारे गए हैं. साथ ही 2004 से 2009 तक 806 जवान, 2009 से 2014 तक 249 जवान और 2014 से 2018 तक 248 जवान शहीद हुए.
आतंकवाद रोकने के लिए एनआईए संशोधन विधेयक मंजूर
वहीं, लोकसभा में सोमवार को तीखी नोक-झोंक के बाद सोमवार को ‘एनआईए संशोधन विधेयक 2019’ को मंजूरी दे दी गई है, जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भारत से बाहर किसी गंभीर अपराध के संबंध में मामला दर्ज करने और जांच का निर्देश है.
निचले सदन में विधेयक पर चर्चा के जवाब में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि आज जब देश और दुनिया को आतंकवाद से निपटना है, ऐसे में एनआईए संशोधन विधेयक जांच एजेंसी को राष्ट्रहित में मजबूत करेगा.
इससे पहले बिल गृह मंत्री अमित शाह और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी के बीच तीखी नोक-झोंक चर्चा का विषय रही. विपक्ष की शंका का जवाब में शाह ने कहा था कि इस कानून का इस्तेमाल आतंकवाद के खत्मे के लिए होगा, मगर यह भी नहीं देखा जाएगा कि इसे किस धर्म के व्यक्ति ने किया है.
(एएनआई के इनपुट्स के साथ)