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Monday, 25 November, 2024
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इसरो ने बताया किस समय उड़ेगा चंद्रयान-2, पुरानी टीम को याद आई यान-1 की खामियां

चंद्रयान-2 मिशन को 15 जुलाई रात के 2:51 बजे लॉन्च किया जाएगा. यान को दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रमा तक पहुंचने में उसे दो महीने का समय लगेगा.

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नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डॉक्टर के. सिवान ने चंद्रयान-2 मिशन के लॉन्च होने की तारीख और समय की घोषणा कर दी है. उन्होंने बताया है कि चंद्रयान-2 मिशन को 15 जुलाई रात के 2:51 बजे लॉन्च किया जाएगा. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 3.8 टन चंद्रयान-2 के साथ लॉन्च किया जाएगा. इस मिशन के लिए जीएसएलवी एमके-3 का इस्तेमाल किया जाएगा. उन्होंने आगे की कि सफलता से लांच किए जाने के बाद यान को दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रमा तक पहुंचने में उसे दो महीने का समय लगेगा.

आठ जुलाई को इसरो ने अपनी वेबसाइट पर चंद्रयान की तस्वीरें जारी की थीं वहीं पिछले दिनों चंद्रयान-2 के लांच की सारी तैयारियों की फोटो को प्रदर्शित किया गया.

भारत का अब तक का सबसे शक्ति शाली लॉन्चर रॉकेट -जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क 3 (जीएसएलवी एमके-3) 15 जुलाई को चंद्रयान-2 को अपने चंद्रमा मिशन पर ले जाएगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, यह उपग्रहों के चार-टन वर्ग को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में लॉन्च करने में सक्षम है.

अपनी उड़ान के लगभग 16 मिनट बाद 375 करोड़ रुपये का जीएसएलवी-मार्क 3 रॉकेट चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को कक्षा में रखेगा. जहां इसरो के अधिकारी 640 टन वाले जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट को ‘मोटा लड़का’ कहते हैं, वहीं तेलुगु मीडिया ने इसे ‘बाहुबली’ का नाम दिया है, जो उस सफल फिल्म के नायक का नाम है, जिसने एक भारी लिंगम को उठाया था. इसरो के अनुसार, चंद्रयान -2 को पृथ्वी की 170 गुणा 40400 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित किया जाएगा.


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इसे एक पृथ्वी पार्किं ग में 170 गुणा 40400 किलोमीटर कक्षा में इंजेक्ट किया जाएगा. युक्तिचालन की एक श्रृंखला में चंद्रयान -2 को अपनी कक्षा में ऊपर उठाने और चंद्र स्थानांतरण प्रक्षेपवक्र पर रखा जाएगा. चंद्रमा के प्रभाव क्षेत्र में प्रवेश करने पर, ऑन-बोर्ड थ्रस्टर्स लूनार कैप्चर के लिए अंतरिक्ष यान को धीमा कर देगा. चंद्रमा के चारों ओर चंद्रयान -2 की कक्षा को कक्षीय युक्तिचालन की एक श्रृंखला के माध्यम से 100 गुणा 100 किलोमीटर की कक्षा में प्रसारित किया जाएगा.

लैंडर – विक्रम अंतत: 6 सितंबर, 2019 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा.

के सिवान ने कहा, ‘चंद्रयान-2 के जरिए इसरो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जा रहा है जहां आज तक कोई नहीं पहुंच पाया है. अगर हम उस जोखिम को लेते हैं तो वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को लाभ होगा. जोखिम और लाभ जुड़े हुए हैं.’ चंद्रयान छह या सात सितंबर को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के पास लैंड करेगा. ऐसा होते ही भारत चांद की सतह पर लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा. अब जब दस साल बाद एक बार देश के वैज्ञानिक चंद्रयान लेकर चांद पर पहुंचने की तैयारी में जुटे हैं उससमय चंद्रयान-1 की टीम अपने दिन को याद कर रही है कि कैसे उस दौरान ईंधन के रिसाव और खराब मौसम सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था.

चंद्रयान-1 टीम को याद आई ईंधन लीक, खराब मौसम से जुड़ी कई यादें

चंद्रयान-1 परियोजना के सेवानिवृत्त हो चुके सदस्यों के अनुसार, ट्रांसपोर्ट रॉकेट के प्रोपलेंट भरने के दौरान ईंधन रिसाव, खराब मौसम, पेलोड की डिजाइन व अंतरिक्ष यान, चंद्रयान-1 मिशन की चुनौतियां बढ़ाने वाले कुछ चिंताजनक क्षण थे.

चंद्रयान-1 भारत का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन था, जिसे 2008 में चंद्रमा पर भेजा गया. एम.अन्नादुरई की देखरेख में चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान को डिजाइन किया गया था. अन्नादुरई ने कहा, ‘यह चंद्रयान-1 मिशन की सफलता है, जिसने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को मंगल मिशन व अब दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 के लिए प्रेरित किया.’

अन्नादुरई ने कहा, ‘चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा पर पानी होने का पता लगाया था. इससे अंतरिक्ष में जाने वाले देशों में चंद्रमा के प्रति रुचि बढ़ी. अब ‘बैक टू द मून’ का नारा सही दिखाई पड़ता है.’

हालांकि, चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान को ले जाने वाले ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) रॉकेट के लॉन्च से पहले चिंताजनक स्थिति बनी हुई थी. तत्कालीन रेंज ऑपरेशंस के निदेशक एम.वाई.एस प्रसाद ने आईएएनएस से कहा, ‘लॉन्च के एक दिन पहले दूसरे चरण (इंजन) में ईंधन लोडिंग ऑपरेशन के दौरान लीक हुआ था. यह लीक रॉकेट व जमीनी उपकरण के बीच ज्वाइंट पर था.’

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के तत्कालीन निदेशक के.राधाकृष्णन ने कहा, ‘इस लीक की पहचान प्रोपलेंट फिलिंग यूनिट व लॉन्चर के बीच की गई.’ राधाकृष्णन बाद में इसरो के चेयमैन पद से सेवानिवृत्त हुए.

राधाकृष्णन ने कहा कि वीएसएससी को चंद्रयान-1 के लिए पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट निर्माण के साथ मून इम्पैक्ट प्रोब बनाने की जिम्मेदारी दी गई. ईंधन लीक को याद करते हुए राधाकृष्णन ने कहा कि इसरो की टीम को हाइपरगोलिक ईंधन और ऑक्सीडाइजर के संयोजन को लेकर पूरी तरह से अलर्ट थी.

उनके अनुसार, लॉन्च से पहले बारिश अप्रत्यक्ष तौर पर फायदेमंद साबित हुई. राधाकृष्णन ने याद करते हुए कहा कि ईंधन भरना फिर से शुरू किया लेकिन इसके प्रवाह की दर व ईंधन यूएच 25 का आदर्श अनुपात व ऑक्सीडाइजर (नाइट्रोजन टेट्राआक्साइड) में बाधा रही.

इस बीच मौजूदा इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने गणना की और सफल मिशन के लिए पर्याप्त गुंजाइश होने का पूर्वानुमान जताया. सिवन तत्कालीन वीएसएससी के गाइडेंस व मिशन सिमुलेशन के समूह निदेशक थे. इन तनावपूर्ण क्षणों के दौरान तत्कालीन इसरो चेयरमैन जी.माधवन नायर ने शांतचित्त होकर, पीएसएलवी लॉन्च के लिए अंतिम संकेत दिया.

(आईएएनएस के इनपुट्स के साथ)

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