नई दिल्ली: दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार द्वारा स्कूलों में सीसीटीवी लगाने के फैसले पर रोक लगाने से फिलहाल इनकार कर दिया है. इस फैसले के बाद ट्वीट करके सीएम केजरीवाल ने सीसीटीवी कैमरों को स्कूलों के लिए बहुत अहम बताया और यह भी कहा कि कुछ लोग इस योजना में लगातार रोक लगा रहे हैं.
ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी बहुत ज़रूरी है और इससे सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ेगी.’ सीएम ने आरोप लगाया कि कुछ ताकतें इस काम में शुरू से ही रोक लगाने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस काम पर रोक नहीं लगाने के लिए आभार जताया.
CCTV in schools is extremely important to ensure safety of students and bring transparency and accountability in the system. However, certain forces r trying to scuttle it right from the beginning. We r grateful to Hon’ble SC for refusing to stay the process https://t.co/eL6OKYuvkM
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 12, 2019
दरसअल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर क्लासरूम में 1.5 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने की नीति को चुनौती दी गई थी. याचिका में केजरीवाल सरकार की इस नीति को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया था.
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में तीसरे वर्ष के कानून के छात्र अंबर ने याचिका दाखिल की है. याचिका में दिल्ली सरकार के 11 सितंबर, 2017 के सीसीटीवी कैमरे लगाने वाले फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई है.
इसमें यह भी कहा गया है कि किसी भी स्कूल से सीसीटीवी लगाने के लिए मंज़ूरी नहीं ली गई है. वहीं, स्कूलों में शिक्षकों ने भी इसका विरोध किया है. आपको बता दें कि सरकार के इस फैसले ने निजता से जुड़ी बड़ी बहस को जन्म दे दिया है.
दरअसल, 2017 में सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों वाली संवैधानिक बेंच ने निजता को मौलिक अधिकार बताया था. सीसीटीवी कैमरों से जुड़ी एक बड़ी बहस यह है कि परिवार वाले अपने बच्चों के साथ-साथ दूसरों के बच्चों की मूवमेंट मोबाइल पर एप के जरिए देख सकेंगे और इससे उनकी निजता का हनन हो सकता है.
इसे निजता के उल्लंघन के साथ-साथ बच्चों के बचपने पर लगाम लगाने वाला भी बताया जा रहा है. जिसके लिए ये उपाए सुझाए जा रहे हैं कि सीसीटीवी का एक्सेस हर किसी के पास न हो और डेटा सिर्फ सरकार के पास हो, जिसके इस्तेमाल से जुड़े बेहद सख़्त कानून बने. अभी इस नीति को लेकर बहसों के लंबा दौर जारी रहने की संभावना है.