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Friday, 4 October, 2024
होमविदेश‘किसी पार्टी ने हिंदुओं की रक्षा नहीं की’ — बांग्लादेश सनातन पार्टी की यूनुस सरकार से राजनीतिक दल बनने की मांग

‘किसी पार्टी ने हिंदुओं की रक्षा नहीं की’ — बांग्लादेश सनातन पार्टी की यूनुस सरकार से राजनीतिक दल बनने की मांग

अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरों के बीच, पड़ोसी देश में एकमात्र हिंदू राजनीतिक संगठन बांग्लादेश सनातन पार्टी ने रजिस्ट्रेशन के लिए अपील की है, जिसे पहले ‘अस्वीकार’ कर दिया गया था.

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कोलकाता: आगामी दुर्गा पूजा में पंडालों और भक्तों पर हमले के डर से बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए चिंता का विषय, बांग्लादेश सनातन पार्टी (बीएसपी) देश के अस्थिर राजनीतिक क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रही है.

बीएसपी के संस्थापक और महासचिव 38-वर्षीय सुमन कुमार रॉय ने ढाका से दिप्रिंट को टेलीफोन पर दिए इंटरव्यू में बताया कि वे यूनुस प्रशासन से अपील करेंगे कि इसे एक राजनीतिक दल की तरह मान्यता दी जाए और पंजीकृत किया जाए ताकि वह चुनावों में भाग ले सके.

उन्होंने कहा, “26 अगस्त, 2022 को, मैंने ढाका में जटिया प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और आधिकारिक तौर पर बीएसपी के लॉन्च की घोषणा की, लेकिन, बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामी समूह हमारे खिलाफ सार्वजनिक रूप से सामने आए और शेख हसीना सरकार ने बसपा को मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत नहीं होने दिया. मैं यूनुस प्रशासन से अपील करना चाहूंगा कि वह हमें एक राजनीतिक दल के रूप में मान्यता दें ताकि हम अगले चुनावों में उम्मीदवार उतार सकें और बांग्लादेश में हिंदुओं को एक व्यवहार्य राजनीतिक विकल्प दे सकें.”

राजनीतिक दल की शुरुआत 9 जून, 2022 को हुई, जिसमें व्यवसायी सुशांत चंद्र बर्मन को बसपा अध्यक्ष और वकील रॉय को महासचिव के रूप में नामित किया गया.

इसकी लॉन्चिंग की रिपोर्ट करते हुए बांग्लादेशी समाचार पोर्टल bdnews24 ने रॉय के हवाले से कहा कि हसीना सरकार बांग्लादेशी हिंदुओं को सुरक्षा प्रदान करने में पूरी तरह विफल रही है और बसपा के लॉन्च होने के साथ, समुदाय को धीरे-धीरे केवल वोट बैंक के रूप में नहीं देखा जाएगा.

बांग्लादेश की जनगणना 2022 के अनुसार, पड़ोसी देश में मुस्लिम आबादी 91.04 प्रतिशत है जबकि हिंदू 7.95 प्रतिशत हैं.


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‘कोई भी पार्टी हिंदुओं के लिए नहीं बोलती’

रॉय ने इस बात पर अफसोस जताया कि बीएसपी की शुरुआत के दो साल बाद भी बांग्लादेश में हिंदू अभी भी असुरक्षित हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “बांग्लादेश में किसी भी राजनीतिक दल ने हिंदुओं की रक्षा नहीं की, चाहे वह अवामी लीग हो या कोई और पार्टी. शेख हसीना के समय में अवामी लीग के नेता और कार्यकर्ता हिंदुओं पर हमला करते थे और इसका दोष बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी या जमात-ए-इस्लामी पर मढ़ देते थे. आज, हसीना सरकार के गिरने के बाद, कई कट्टरपंथी संगठन खुलेआम हिंदू विरोधी बयान दे रहे हैं और देश भर से अल्पसंख्यकों पर हमले की खबरें आ रही हैं.”

12 सितंबर को बांग्लादेशी अखबार प्रोथोम अलो ने पांच अगस्त को शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमलों का ब्यौरा देते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रोथोम अलो के संवाददाताओं ने 5 से 20 अगस्त के बीच जांच की और पाया कि अल्पसंख्यक समुदाय के कम से कम 1,068 घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाया गया. इसके अलावा, 22 पूजा स्थलों पर भी हमला हुआ.

रॉय ने कहा कि अगर हिंदू खुद को राजनीतिक रूप से संगठित करेंगे तो वे खुद का बेहतर तरीके से बचाव कर पाएंगे.

बीएसपी के संस्थापक-सह-महासचिव ने कहा, “दो साल में बीएसपी की केंद्रीय समिति में 151 सदस्य और जिला समितियों में 61 सदस्य हैं. उपजिला समितियों में 200 से अधिक सदस्य हैं और बांग्लादेश में लाखों पार्टी कार्यकर्ता फैले हुए हैं. बांग्लादेश में दो करोड़ से अधिक हिंदू हैं. बीएसपी जैसी हिंदू-प्रथम राजनीतिक पार्टी मतदान के दिन उनकी आवाज़ बनेगी.”

रॉय ने 2018 के राष्ट्रीय चुनावों में ढाका-4 निर्वाचन क्षेत्र से नेशनल पीपुल्स पार्टी द्वारा समर्थित एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और हार गए थे.

उन्होंने कहा, “मेरे पास सपोर्ट था, लेकिन हार ने मुझे एहसास दिलाया कि हिंदू बांग्लादेश के चुनावों में तभी जीत सकते हैं जब अवामी लीग या बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी जैसी बड़ी पार्टियां उन्हें टिकट दें, लेकिन एक बार चुने जाने के बाद, ये हिंदू नेता समुदाय के लिए काम नहीं कर पाते हैं. इसलिए बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए एक पंजीकृत राजनीतिक दल की सख्त दरकार है. ऐसे कई निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां हिंदू वोट के बिना कोई भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाएगा. अब उन वोटों को पंजीकृत हिंदू राजनीतिक दल को मिलना चाहिए.”

बीएसपी के अलावा, रॉय बांग्लादेश हिंदू परिषद के महासचिव हैं, जो एक गैर-राजनीतिक अल्पसंख्यक संघ है. 14 सितंबर को परिषद ने अपनी आठ सूत्री मांगों को लेकर ढाका के शाहबाग इलाके को दो घंटे से अधिक समय तक बंद रखा, जिसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों पर चल रहे दमन को समाप्त करना और उन्हें उचित मुआवजा सुनिश्चित करना शामिल है.

बांग्लादेशी समाचार पोर्टल न्यू एज ने बताया, “उनकी अन्य मांगों में संसद में धार्मिक अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए अलग से चुनाव कराना, धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए एक मंत्रालय बनाना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक त्वरित परीक्षण न्यायाधिकरण बनाना, अल्पसंख्यक संरक्षण अधिनियम पेश करना और दुर्गा पूजा के लिए तीन दिन की सरकारी छुट्टी घोषित करना शामिल है.”

ढाका स्थित राजनीतिक पत्रकार बिनॉय कुमार दत्ता ने दिप्रिंट को बताया कि बांग्लादेश में 48 राजनीतिक दल पंजीकृत हैं, जिनमें से 11 इस्लामवादी दल हैं.

दत्ता ने कहा, “अगर आप बांग्लादेश में अपंजीकृत इस्लामी पार्टियों की गिनती करें तो यह संख्या 70 के करीब होगी. एक लोकतांत्रिक देश में हर समुदाय को समान प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. इसलिए अल्पसंख्यक हिंदुओं, बौद्धों और ईसाइयों के लिए अपनी खुद की पंजीकृत राजनीतिक पार्टियां होना बहुत ज़रूरी है.”

उन्होंने कहा, “यह उस समय विशेष रूप से सच है जब दुनिया ने 5 अगस्त के बाद से हिंदुओं पर अत्याचारों को देखा है, जब हसीना को भारत भागना पड़ा था. अतीत में हिंदुओं को न्याय से वंचित किया गया है, इसलिए अब न्याय की कोई उम्मीद नहीं है.”

उन्होंने कहा कि एक हिंदू राजनीतिक दल हिंदू अधिकारों के लिए प्रभावी ढंग से लड़ पाएगा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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