नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की वकील इंदिरा जयसिंह के घर पर गुरुवार सुबह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो सीबीआई ने वित्तीय अनियमत्ताओं को लेकर छापेमारी की है. इंदिरा जयसिंह और उनके पति आनंद ग्रोवर पर आरोप है कि इन्होंने दिल्ली स्थित एनजीओ ‘लायर्स कलेक्टिव’ के लिए विदेशी चंदे के नियमों का उल्लंघन किया है. सीबीआई ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है. जिसके बाद इनके दिल्ली स्थित निजामुद्दीन ईस्ट आवास और सी-6 निजामुद्दीन स्थित इनके दफ्तर पर छापेमारी की गई है.
पूरा मामला क्या है
भारत की एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहीं इंदिरा जयसिंह के लायर्स कलेक्टिव पर विदेशी चंदा विनियमन कानून (एफसीआरए) को तोड़ने का आरोप है. इस आरोप के सामने आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लायर्स क्लेक्टिव का लाइसेंस रद्द कर दिया था. इस बाबत जब दिप्रिंट ने आनंद ग्रोवर से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, ‘वो जल्द ही अपना स्पषटीकरण देंगे.’
वहीं इंदिरा जयसिंह ने कहा कि मुझे और मेरे पति को वर्षों से मानवाधिकार के लिए काम करने के कारण निशाने पर लिया गया है. सीबीआई के अनुसार, दर्ज मामले में एनजीओ के अज्ञात पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं, निजी व्यक्तियों और सरकारी कर्मचारियों को भी नामजद किया गया है.
Supreme Court advocate, Indira Jaising on CBI raid at her residence in Delhi, in connection with Foreign Contribution (Regulation) Act (FCRA) violation case: Mr Grover and I are being targeted for the human rights work that we have done over the years. pic.twitter.com/69vtrLSCaf
— ANI (@ANI) July 11, 2019
सीबीआई की यह कार्रवाई मुंबई के एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ और उसके अध्यक्ष आनंद ग्रोवर के खिलाफ 13 जून को विदेशी वितरण (विनियम) अधिनियम (एफसीआरए), आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी के मामले दर्ज करने के एक महीने बाद की है. लॉयर्स कलेक्टिव’ एनजीओ के निदेशक आनंद ग्रोवर हैं जबकि इंदिरा जयसिंह इसकी ट्रस्टी और सचिव हैं.
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, एनजीओ को सामाजिक कार्यो के संचालन के पंजीकृत कराया गया था और इसे 2006-07 से 2014-15 तक 32.39 करोड़ रुपये मिले. हालांकि शिकायत में कहा गया है कि एफसीआरए के उल्लंघन का खुलासा 2010 में हुआ.
सीबीआई ने कहा कि वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह को एनजीओ में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (2009-14) के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान विदेशी योगदान से 96.6 लाख रुपये का मेहनताना मिला. शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि एएसजी के रूप में विदेश यात्राओं का खर्च गैर-सरकारी संगठन द्वारा गृह मंत्रालय की पूर्व स्वीकृति के बिना किया गया था.
वहीं एक बयान में, लायर्स कलेक्टिव (एलसी) ने अपने खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने पर ‘सीबीआई की कार्रवाई पर आश्चर्य और नाराजगी’ जताई थी.
एलसी ने अपने बयान में कहा था, ‘एफआईआर पूरी तरह से विदेशी योगदान नियमन अधिनियम, 2010, (एफसीआरए) एक्ट के तहत कार्यवाही पर आधारित है जिसमें 2016 में विदेशी धन प्राप्त करने के लिए एलसी के पंजीकरण को रद्द करने के आदेश गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा पारित किए गए थे, जिसको एलसी ने बंबई उच्च न्यायालय में अपील कर चुनौती दे चुका है. अपील लंबित है.’
दि लायर्स कलेक्टिव ने कार्रवाई पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, ‘आरोप का कोई आधार नहीं है.’
रिपोर्ट के मुताबिक एनजीओ में चंदे की गड़बड़ी का मामला 2009-2014 तक का है. बता दें, इस दौरान इंदिरा जयसिंह भारत की एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के पद पर थीं. उनपर आरोप है कि पद पर रहते हुए उन्होंने अपनी विदेशी यात्राओं के खर्च का भुगतान गृह मंत्रालय की अनुमित के बगैर पति आनंद ग्रोवर के एनजीओ के जरिए किया.
केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने किया विरोध
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर इस छापेमारी की निंदा की है. केजरीवाल ने लिखा है कि कानून को अपना काम करना करने देना चाहिए, लेकिन जो लोग कानून को बचाने में अपना जीवन लगा रहे हैं, उन्हें इस तरह से परेशान नहीं करना चाहिए.
वहीं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर कहा है ‘इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर पर अपने एनजीओ के लिए विदेशी फंड के दुरुपयोग का आरोप में सीबीआई की रेड पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है. सरकारी एजेंसियों की ओर से रेड और मुकदमा को अब विपक्ष को प्रताड़ित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने लगा है.’