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Thursday, 21 November, 2024
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हिसार में कांग्रेस उम्मीदवार और निर्दलीय उम्मीदवार के समर्थन से सुभाष चंद्रा ने BJP को कैसे चौंकाया

ज़ी-टीवी के संस्थापक आदमपुर में भाजपा के भव्य बिश्नोई के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार चंद्र प्रकाश का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने 2012 में सावित्री जिंदल के बेटे नवीन जिंदल के साथ हुए विवाद के बाद उनका भी समर्थन किया है.

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गुरुग्राम: मीडिया दिग्गज सुभाष चंद्रा, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ अपने करीबी संबंधों के लिए जाने जाते हैं, ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के लिए प्रचार करने के लिए रविवार को आदमपुर पहुंचकर सबको चौंका दिया.

भाजपा के समर्थन से 2016 में राज्यसभा के लिए चुने जाने के बावजूद, ज़ी-टीवी के संस्थापक आदमपुर की महत्वपूर्ण सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार चंद्र प्रकाश का समर्थन कर रहे हैं, जहां भाजपा के वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई पार्टी के उम्मीदवार हैं.

प्रकाश सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं और पूर्व राज्यसभा सदस्य रामजी लाल के भतीजे हैं, जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल का करीबी माना जाता था, जो भव्य बिश्नोई के दादा हैं.

चंद्रा हिसार में उद्योगपति और स्वतंत्र उम्मीदवार सावित्री जिंदल का भी समर्थन कर रहे हैं, जहां उनके पिता और दादा 1950 के दशक की शुरुआत में अपने पैतृक स्थान आदमपुर से जिला मुख्यालय हिसार शिफ्ट हो गए थे — जहां उनका कपास की ओटाई और तेल मिलों का कारोबार था.

अपने गृह जिले हिसार में इन दोनों उम्मीदवारों का समर्थन करने के उनके कदम से भाजपा हलकों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है. हरियाणा के भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि चंद्रा का यह कदम पार्टी के लिए हैरानी की बात है.

उन्होंने कहा, “वे भाजपा के समर्थन से राज्यसभा के सदस्य बने. अब जब कर्ज़ चुकाने की बात आई तो वे पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों का विरोध कर रहे हैं.”

हालांकि, हरियाणा में भाजपा के मीडिया प्रभारी अशोक छाबड़ा ने कहा कि चंद्रा कभी पार्टी के सदस्य नहीं रहे.

छाबड़ा ने कहा, “उन्होंने राज्यसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा था. यह सच है कि भाजपा ने उनका समर्थन किया और पार्टी को उनसे पार्टी के उम्मीदवारों का समर्थन करने की उम्मीद थी, लेकिन वे एक बड़े कारोबारी हैं. मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं.”

फिर भी, पांच अक्टूबर को होने वाले राज्य चुनावों से पहले चंद्रा के कार्यों ने भाजपा के साथ उनके जुड़ाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, क्योंकि अब वे हिसार के प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में सत्तारूढ़ पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के सीधे विरोध में खड़े उम्मीदवारों का समर्थन कर रहे हैं, जहां उनके परिवार का काफी प्रभाव है.

भाजपा के इतर उम्मीदवारों के लिए उनका समर्थन — जो सत्ता में 10 साल के बाद पहले से ही सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे हैं — राजनीतिक गतिशीलता को प्रभावित कर सकता है, खासकर हिसार जिले में, इस क्षेत्र में उनके व्यवसाय और मीडिया प्रभाव को देखते हुए.


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नाखुशी के संकेत

सुभाष चंद्र ने पहली बार 10 सितंबर को अपनी नाखुशी ज़ाहिर की थी, जब उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर भाजपा के हिसार उम्मीदवार डॉ. कमल गुप्ता, जो नायब सैनी सरकार में निवर्तमान स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, के साथ कथित तौर पर टेलीफोन पर हुई बातचीत पोस्ट की.

चंद्र ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कमल गुप्ता के लिए ‘कगु’ और खुद के लिए ‘सच’ का इस्तेमाल किया, ताकि यह बताया जा सके कि गुप्ता का फोन आने पर क्या हुआ.

उन्होंने लिखा, “कगु: भाई साहिब सादर प्रणाम और बधाई. सच: किस बात की बधाई, गुप्ता जी? कगु: आपके छोटे भाई को टिकट मिलने की. सच: छोटा भाई क्या पांच साल बाद फोन करता है, कम से कम तीज त्योहार पर तो फोन करता है? कगु: इसीलिए आपका आशीर्वाद चाहिए. सच: इस बार तो मेरा आशीर्वाद नहीं मिलेगा, क्योंकि हिसार की जनता आपसे बहुत नाराज़ है.”

हालांकि, चंद्र के मैसेज से सिर्फ यह पता चला कि वे कमल गुप्ता से नाखुश हैं, लेकिन ऐसा कोई संकेत नहीं था कि वे भाजपा से निराश हैं.

16 सितंबर को चंद्रा ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से एक और मैसेज पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने भाजपा से दूरी बनाने के संकेत दिए.

हिंदी में लिखे संदेश में उन्होंने लिखा, “मैं दो दिन हिसार में 700-800 लोगों से मिला. इन दोनों दिनों में हिसार विधान सभा के लिए चुनाव के सभी प्रत्याशी सभी दलों और निर्दलीय मिलने और समर्थन मांगने आए. केवल BJP के प्रत्याशी नहीं आए. आज-कल में विधावल होने के बाद ही तय कर पाएंगे कि कौन उपयुक्त व्यक्ति हिसार के लिए सही प्रतिनिधि होगा, उसी अनुसार मैं आप सब से उन्हें मतदान करने की सिफारिश करूंगा. आप सबका प्यार इसी तरह बना रहे.”

कुछ दिनों बाद, चंद्रा ने एक और मैसेज पोस्ट किया जिसमें उन्होंने कहा कि उनका मानना ​​है कि सावित्री जिंदल हिसार के लिए सही उम्मीदवार हैं और उन्होंने लोगों से उनके लिए वोट करने की अपील की.

उन्होंने लिखा, “जैसा मैंने सबसे वायदा किया था. हिसार विधानसभा में जनता और हिसार के लिए श्रीमती सावित्री जी जिंदल उपयुक्त और सही उम्मीदवार हैं. हालांकि, मैं वस्तुतः BJP समर्थक परिवार से हूं, फिर भी एक निर्दलीय के लिए मतदान की अपील कर रहा हूं. BJP का समर्थन करना मेरा निजी विचार है परंतु हिसार के लोग और यह शहर मेरा है, इसलिए इसके प्रति भी मेरा एक धर्म है. इसलिए हिसार के मतदाताओं से मेरी कर बध प्रार्थना है कि सावित्री जी को वोट दें. आभार.”

सावित्री जिंदल ने एक घंटे के भीतर ही एक्स पर एक पोस्ट लिखकर मीडिया दिग्गज के प्रति आभार व्यक्त किया.

उन्होंने लिखा, “आपके समर्थन के लिए हृदय से धन्यवाद, सुभाष जी. टिकट पार्टी देती है, लेकिन वोट रूपी आशीर्वाद तो जनता जनार्दन ही देती है. मैं बाऊजी श्री ओ.पी. जिंदल जी द्वारा हिसार के लिए देखे गए अधूरे सपनों को पूरा करना चाहती हूं. मेरा सपना है कि हमारा हिसार सिर्फ प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के अग्रणी शहरों में शामिल हो. हम सबके सामूहिक प्रयासों से एक विकसित और समृद्ध हिसार का निर्माण अवश्य करेंगे.”

सावित्री जिंदल के दिवंगत पति ओपी जिंदल — एक व्यवसायी जिन्होंने जिंदल समूह की स्थापना की और एक पूर्व मंत्री जिनकी 2005 में एक हवाई दुर्घटना में मृत्यु ने सावित्री जिंदल को राजनीति में प्रवेश करने के लिए मजबूर किया — को हिसार के लोग प्यार से बाऊजी पुकारते थे.

पुरानी दुश्मनी और नए गठबंधन

सावित्री जिंदल को चंद्रा का समर्थन इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि जिंदल के बेटे नवीन जिंदल के साथ उनका झगड़ा जगज़ाहिर है.

चंद्रा के जी ग्रुप और कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद नवीन जिंदल के बीच झगड़ा 2012 से शुरू हुआ, जब जिंदल की कंपनी जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में विवादों में घिर गई थी.

मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार पर कम कीमत पर कोयला ब्लॉक आवंटित करने का आरोप लगा था, जिससे जेएसपीएल सहित कुछ कंपनियों को फायदा हुआ था.

नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र से दो बार — 2004 से 2009 और 2009 से 2014 तक कांग्रेस के सांसद रहे.

सुभाष चंद्रा के जी ग्रुप के स्वामित्व वाले ज़ी न्यूज ने जेएसपीएल को कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट चलाई. रिपोर्ट में जिंदल पर घोटाले से फायदा उठाने का आरोप लगाया गया.

अक्टूबर 2012 में जिंदल ने ज़ी न्यूज़ के दो संपादकों सुधीर चौधरी और समीर अहलूवालिया पर आरोप लगाया कि वो उनकी कंपनी के खिलाफ कथित कोयला घोटाले के आरोपों पर रिपोर्ट प्रसारित न करने के बदले में जेएसपीएल से 100 करोड़ रुपये की उगाही करने की कोशिश कर रहे हैं.

दिल्ली पुलिस ने चौधरी और अहलूवालिया को जबरन वसूली के आरोप में गिरफ्तार किया. दूसरी ओर, ज़ी न्यूज़ ने जिंदल पर सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद के रूप में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके पत्रकारिता को दबाने का आरोप लगाया.

दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया. जिंदल ने ज़ी न्यूज़ पर झूठी ख़बरें देकर बदनाम करने का आरोप लगाया जबकि ज़ी ने जिंदल पर मीडिया हाउस की छवि खराब करने का आरोप लगाया.

मामलों की सही स्थिति का मालूम नहीं, लेकिन मुख्य मामला अभी भी अदालतों में लंबित है.

चंद्रा का राजनीति में प्रवेश

12 जून 2016 को सुभाष चंद्रा भाजपा के समर्थन से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में हरियाणा से राज्यसभा के लिए चुने गए. उन्होंने इनेलो-कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आर.के. आनंद को हराया, जबकि स्याही बदलने के कारण कांग्रेस के 14 वोटों को अवैध घोषित किए जाने के विवाद के बीच यह जीत हासिल की.

इस जीत के बाद, चंद्रा को उनके मीडिया प्रभाव के कारण भाजपा के एक शक्तिशाली सहयोगी के रूप में देखा गया.

हालांकि, आठ साल बाद, चंद्रा एक अलग राजनीतिक राह पर चलते दिख रहे हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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