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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशअयोध्या गैंगरेप मामला: ‘विश्वासघात’ के एंगल से और भी उलझा, BJP नेता के आरोपी बेटे पर ‘नाबालिग’ के तहत धाराएं

अयोध्या गैंगरेप मामला: ‘विश्वासघात’ के एंगल से और भी उलझा, BJP नेता के आरोपी बेटे पर ‘नाबालिग’ के तहत धाराएं

जानकारी मिली है कि अयोध्या पुलिस ने स्थानीय भाजपा नेता के बेटे के खिलाफ पांचवीं क्लास की मार्कशीट के आधार पर नाबालिग के तौर पर मामला दर्ज किया है. परिवार का आरोप है कि पुलिस ने पहले तो एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया और असल में मुख्य आरोपी वयस्क है.

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अयोध्या: उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के सोहावल तहसील में अपने एक मंजिला घर में कुर्सी पर बैठी 20-वर्षीय दलित महिला की मां को लगता है कि सब कुछ खत्म हो गया है. परिवार के सदस्यों ने “निकलना बंद कर दिया है” और उनकी सबसे छोटी बेटी को स्कूल से लौटते समय परेशान किया जाता है. कम से कम अभी तक तो सामान्य स्थिति में लौटना अभी तो थोड़ा मुश्किल लगता है.

महिला की सबसे बड़ी बेटी के साथ उनके प्रेमी और उसके परिचितों ने 16 से 25 अगस्त के बीच कई बार बलात्कार किया, जिसमें एक गेस्ट हाउस और एक गैरेज में भी यौन उत्पीड़न करना शामिल है, जहां महिला को बंधक बनाकर रखा गया था. पीड़िता की शिकायत पर पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें उनका प्रेमी भी शामिल है, जो मुख्य आरोपी है — एक स्थानीय भाजपा नेता का बेटा जो उन्हें चार साल से अधिक समय से जानता है. अयोध्या पुलिस ने उसे नाबालिग के तौर पर गिरफ्तार किया है.

शिकायतकर्ता, जो एक कॉलेज छात्रा हैं और राम मंदिर में सफाई कर्मचारी का काम करती हैं, ने दिप्रिंट को बताया, “मैं उस पर बहुत भरोसा करती थी. उसने शादी के बहाने कई बार मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाए.”

परिवार के इस दावे के अलावा कि पुलिस ने पहले तो महिला की शिकायत को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और मुख्य आरोपी नाबालिग नहीं है, आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. कुल नौ आरोपियों में से केवल तीन पर सामूहिक बलात्कार का आरोप है, जबकि तीन अन्य पर यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया गया है.

पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) शैलेंद्र सिंह, जो वर्तमान में सर्किल ऑफिसर (अयोध्या शहर) के पद पर तैनात हैं, ने दिप्रिंट को बताया कि मुख्य आरोपी “पीड़िता के साथ रिलेशनशिप में था, लेकिन बाद में उसने महिला को धोखा दिया”. उन्होंने कहा कि “किशोर अपराधी” को 4 सितंबर को सह-आरोपी शारिक और शिवा के साथ गिरफ्तार किया गया था — दोनों पर “376डी (सामूहिक बलात्कार) के बराबर की धारा के तहत मामला दर्ज किया गया है.”

सिंह ने यह भी कहा कि एक आरोपी ने 13 सितंबर को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया और तीन अन्य, जिनमें से दो फरार हैं, उनको अभी गिरफ्तार किया जाना है.

यह पूछे जाने पर कि मुख्य आरोपी के साथ किशोर की तरह व्यवहार क्यों किया जा रहा है, जिसका अर्थ है कि दोषी पाए जाने पर उसे अधिकतम तीन वर्ष की कैद होगी, सिंह ने कहा कि पुलिस स्थानीय भाजपा नेता के बेटे की कक्षा 5 की मार्कशीट पर निर्भर थी.


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FIR में क्या है, ‘ब्लैकमेल’ का आरोप

दो सितंबर को अयोध्या कैंट पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के अनुसार, जिसकी एक कॉपी दिप्रिंट के पास मौजूद है, पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 70 (1) (गैंगरेप), 75 (यौन उत्पीड़न) और 127 (2) (गलत तरीके से बंधक बनाना) लगाई है.

शिकायतकर्ता ने पुलिस को जो बताया, उसका हवाला देते हुए एफआईआर में कहा गया है कि मुख्य आरोपी और उसके दोस्त शारिक (मामले में सह-आरोपी) ने 10 अगस्त को फिर से उन्हें जिला अस्पताल से गाड़ी में ले जाने की पेशकश की, लेकिन महिला ने मना कर दिया.

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि मुख्य आरोपी से उनकी अगली मुलाकात 14 अगस्त को हुई, जब वे सह-आरोपी के जन्मदिन के लिए उनके साथ बेकरी गई थीं. “वहां भी वे मुझ पर किसी होटल में ले जाने का दबाव बना रहे थे, लेकिन मैं वहां से निकलकर घर चली गई.”

एफआईआर में आगे कहा गया है कि 16 अगस्त को मुख्य आरोपी, सह-आरोपी विनय और शारिक महिला को सैर के बहाने अंगूरी बाग के एक गेस्ट हाउस में ले गए और कथित तौर पर बारी-बारी से उनका बलात्कार किया. उसी दिन शाम करीब सात बजे उन्हें बनबीरपुर के एक गैराज में ले जाया गया, जहां मुख्य आरोपी ने कथित तौर पर फिर से बलात्कार किया. शारिक और मुख्य आरोपी पीड़िता को विनय के साथ गैराज में छोड़कर चले गए.

जब वे गैराज में थीं, तब एक अन्य आरोपी शिवा ने “दबाव में आकर” उनके साथ दुर्व्यवहार किया. हालांकि, 12 सितंबर को मीडिया को दिए गए अपने बयान में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि शिवा ने उन्हें अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया.

एफआईआर में पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें 18 अगस्त को सुबह 11 बजे तक गैराज में बंधक बनाकर रखा गया, जब आरोपी ने उन्हें देवकाली बाईपास पर छोड़ दिया.

चार दिन बाद, 22 अगस्त को विनय और मुख्य आरोपी शिकायतकर्ता से मिलने गए और बाद में उन्हें मुमताज नगर के एक होटल में ले गए, लेकिन होटल ने उनसे आधार कार्ड दिखाने को कहा, इसलिए वे वहां ज्यादा देर तक नहीं रुके.

महिला ने आगे आरोप लगाया कि विनय और मुख्य आरोपी ने उन्हें 22, 23 और 24 अगस्त की रात को अपने साथ रखा और दिन में कहीं छोड़ दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि विनय और मुख्य आरोपी ने 22 और 23 अगस्त की रात को बनबीरपुर के गैराज में फिर से उनका बलात्कार किया और 24 अगस्त की रात को वे गैराज में अकेली थीं.

25 अगस्त की सुबह करीब चार बजे मुख्य आरोपी और पांच अन्य लोग गैराज में आए और राम जन्मभूमि तक ले जाने के बहाने उनके साथ दुर्व्यवहार किया, जिस समय वो जिस कार में जा रहे थे, वो महोबरा चौराहे पर एक डिवाइडर से टकरा गई.

शिकायतकर्ता ने बताया कि उनके सिर और पैर में चोटें आई हैं और आरोपी ने दुर्घटना के तुरंत बाद उन्हें एक चौराहे पर छोड़ दिया. एफआईआर में बताई गई घटनाओं का यह संस्करण भी शिकायतकर्ता द्वारा मीडिया को बताई गई बातों से अलग है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि दुर्घटना तब हुई जब कार में बैठे लोग उसे अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर कर रहे थे.

12 सितंबर को पत्रकारों से बात करते हुए महिला ने आरोप लगाया कि मुख्य आरोपी के दोस्त उन्हें फोन करते थे और उन्होंने उसे ऐसा करने से रोकने के लिए कहा था. उन्होंने यह भी कहा कि गेस्ट हाउस की घटना के बाद उनका मुख्य आरोपी से झगड़ा हुआ था. “उन्होंने एक बार भी अपने दोस्तों को नहीं रोका…वो खुद मुझे वहां ले गया, जिसके कारण गुदरी बाज़ार के पास मेरा उससे झगड़ा हुआ. उसने एक बार भी अपने दोस्तों को नहीं रोका और जब मैंने भागने की कोशिश की, तो उसने मेरा हाथ बहुत कसकर पकड़ लिया.”

16 अगस्त की कथित गेस्ट हाउस घटना पर, उन्होंने मीडिया को बताया, “उस दिन अंगूरी बाग के गोकुल गेस्ट हाउस में उनमें से पांच लोगों ने मेरे साथ बलात्कार किया. इनमें मुख्य आरोपी शारिक, विनय, अजय यादव और एक और व्यक्ति था जो शारिक का भाई हो सकता है.”

उन्होंने कहा, “शारिक ने कहा कि मैं निचली जाति से हूं और पूछा कि मैं उनका इतना विरोध क्यों कर रही हूं? उन्होंने मुझे पीटा और मेरा बलात्कार किया. होटल मालिक अजय यादव और शारिक का भाई भी वहां मौजूद थे. सभी ने बारी-बारी से मेरा बलात्कार किया. मैं बस उनके खिलाफ कार्रवाई चाहती हूं.”

पीड़िता ने कहा, “आरोपियों ने घटना का वीडियो बनाया और मुझे ब्लैकमेल करते रहे, जिसके डर से मैं अपनी आपबीती किसी को नहीं बता सकी.”

‘वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क के बाद FIR दर्ज’

शिकायतकर्ता तीन बेटियों में सबसे बड़ी हैं. उनके पिता सहायक नगर आयुक्त के कार्यालय में सफाई कर्मचारी हैं और उनकी मां दिहाड़ी मज़दूर हैं जो ज़्यादातर खेतों में काम करती हैं. जहां, परिवार की सबसे बड़ी बेटी ने आर्थिक तंगी के कारण कॉलेज पूरा करने से पहले ही काम करना शुरू कर दिया था, वहीं छोटी बेटी एसएससी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं और सबसे छोटी आठवीं क्लास में पढ़ती हैं.

अपनी पूरी कोशिशों के बावजूद, सबसे छोटी बेटी भी इस मामले की छाया से बच नहीं पाई. जैसे ही वे स्कूल वापस लौटीं, “कुछ युवाओं का एक समूह उस पर टिप्पणी करने लगा और जब वो उन्हें स्कूल से वापस आते देखते तो आपस में हंसने लगते.”

उनकी मां ने कहा, “वो कुछ दिन पहले रोते हुए वापस आई और हमें पुलिस को सूचित करना पड़ा.” पुलिस ने हस्तक्षेप कर दोषियों को फटकार लगाई.

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही छोटी बेटी ने कहा कि इस मामले ने उनकी पढ़ाई को बाधित कर दिया. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “मैंने बाहर निकलना बंद कर दिया है. मेरे पिता ने तीन दिन पहले ही काम पर वापस लौटे हैं.”

इसके अलावा, मां ने आरोप लगाया कि पुलिस ने शुरू में उनकी शिकायत लेने से इनकार कर दिया. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “जब हम 31 अगस्त को महिला थाने गए तो महिला पुलिसकर्मियों ने पहले तो हमारी शिकायत लेने से इनकार कर दिया. उन्होंने पूछा कि हम घटना के 15 दिन बाद क्यों आए हैं. जब हमने वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया, तभी एफआईआर दर्ज की गई.”

परिवार के दावे के बारे में पूछे जाने पर एसएसपी (अयोध्या) राज करण नैय्यर ने कहा, “मैंने सुना है कि जब वे महिला थाने गईं तो आरोपी ने उन पर मामला सुलझाने का दबाव बनाया और उन्हें पुलिस के पास जाने से मना किया, लेकिन जैसे ही मुझे घटना के बारे में पता चला, पुलिस हरकत में आ गई.”

इसके अलावा, शिकायतकर्ता की मां ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्य आरोपी के परिवार के सदस्यों ने उसकी असली उम्र गलत बताई ताकि उसे नाबालिग के तौर पर दर्ज किया जा सके.

मां ने कहा, “वो (मुख्य आरोपी) मेरी बेटी को पिछले चार सालों से जानता था. उनकी मुलाकात तब हुई जब वो 12वीं कक्षा में पढ़ती थीं. जब वो 20 साल की है, तो वो 16.5 साल का कैसे हो सकता है? उसके पिता भाजपा में हैं, इसलिए कोई भाजपा नेता हमारे दरवाजे पर नहीं आया. सभी अन्य दलों के नेता पहुंचे और मदद की पेशकश की, लेकिन भाजपा की ओर से कोई मदद नहीं मिली.”

फेसबुक प्रोफाइल पर पहले तक उपलब्ध तस्वीरों में मुख्य आरोपी के पिता अयोध्या भाजपा इकाई की बैठकों में भाग लेते दिख रहे हैं. अयोध्या के पूर्व सांसद लल्लू सिंह और पूर्व विधायक वेद प्रकाश गुप्ता सहित भाजपा नेताओं के साथ उनकी तस्वीरें भी थीं, जिन्हें बाद में हटा दिया गया है.

मुख्य आरोपी के पिता के सत्तारूढ़ भाजपा से संबंधों के बारे में पूछे जाने पर भाजपा के अयोध्या नगर अध्यक्ष कमलेश श्रीवास्तव ने कहा, “जब से मैं अयोध्या महानगर टीम में शामिल हुआ हूं, तब से इस नाम का कोई मंडल अध्यक्ष नहीं रहा.”

सत्तारूढ़ भाजपा और उसकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए कमर कस रही है, अयोध्या मामला अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी के लिए सत्तारूढ़ शासन पर हमला करने का चारा बन गया है. इसे पिछले महीने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी के जवाब के रूप में भी देखा जा सकता है कि सपा “दंगाइयों” और “शिकारियों” का हिस्सा है. मुख्यमंत्री ने यह टिप्पणी 65- वर्षीय सपा कार्यकर्ता मोईद खान और उसके सहायक की 12-वर्षीय लड़की के साथ कथित सामूहिक बलात्कार के आरोप में गिरफ्तारी के संदर्भ में की.

पार्टी के अयोध्या जिला अध्यक्ष पारसनाथ यादव ने शुक्रवार को पार्टी के अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद द्वारा मिल्कीपुर में एक जनसभा को संबोधित करने के बाद दिप्रिंट से कहा, “मुख्यमंत्री यहां आए, मोईद खान पर खूब चर्चा की, लेकिन राम मंदिर में काम करने वाली हमारी बेटी के मामले का ज़िक्र तक नहीं किया, क्योंकि उनकी ही पार्टी के एक नेता का बेटा इस मामले में आरोपी है…मैं पूछना चाहता हूं कि क्या यह न्याय है, चाहे आरोपी की जाति या धर्म कुछ भी हो.”

मुख्य आरोपी को नाबालिग बताकर मामला दर्ज करने के पुलिस के फैसले की खिल्ली उड़ाते हुए समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक तेजनारायण पाण्डेय ने आरोप लगाया कि पुलिस ने “कमजोर” जांच की और भाजपा के प्रभाव में आरोपियों के खिलाफ “हल्की” धाराएं लगाईं हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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