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Friday, 22 November, 2024
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केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में जजों की कमी नहीं

सुप्रीम कोर्ट में जजों कि कोई कमी नहीं है. 2009 के बाद पहली बार सुप्रीम कोर्ट अपने 31 जजों की पूरी संख्या पर पहुंचा है.

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नई दिल्ली : अदालतों में लगातार न्यायाधीशों की कमी को लेकर केंद्र की किरकिरी होती रही है. बुधवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में जानकारी देते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट में जजों कि कोई कमी नहीं है. 2009 के बाद पहली बार सुप्रीम कोर्ट अपने 31 जजों की पूरी संख्या पर पहुंचा है. उन्होंने कहा कि हां, एक जुलाई 2019 तक देशभर के उच्च न्यायालयों में 403 जजों के पद रिक्त हैं.

उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक सतत सहयोगात्मक प्रक्रिया है, क्योंकि इसमें विभिन्न संवैधानिक प्राधिकरण से परामर्श और अनुमोदन की आवश्यकता होती है.

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में बताया कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की कमी नहीं है. हालांकि, एक जुलाई 2019 तक हाईकोर्ट में 403 पद खाली हैं.

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में कहा, ‘आर्टिकल 235 के मुताबिक, राज्यों में जिला और सबऑर्डिनेट ज्यूडिशरी के सदस्यों पर प्रशासनिक अधिकार वहां के हाईकोर्ट का होता है. हाईकोर्ट के जजों की नियुक्त का अधिकार चीफ जस्टिस के पास होता है.

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा ‘राज्य में के परामर्श के साथ हाईकोर्ट न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति, पदोन्नति, आरक्षण आदि के संबंध में नियम बनता है. इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है.’

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने जजों की नियुक्ति को लेकर कई ठोस कदम उठाये हैं. रंजन गोगोई ने प्रधान न्यायाधीश का पदभार ग्रहण करते समय कहा था कि निचली अदालतों में न्यायाधीशों के रिक्त पदों पर प्राथमिकता के आधार पर नियुक्तियां करने के प्रयास किये जायेंगे.

भारतीय न्यायपालिका की स्थिति में सुधार के लिये प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पहल कर चुके हैं और उनके द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा जा चुका है.

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