नई दिल्ली: केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि वित्त वर्ष 2019-20 के केंद्रीय बजट में जीवाश्म ईधन और इलेक्ट्रिक कारों पर करों के प्रस्ताव से लोग प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों से बचेंगे और वे या तो इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करेंगे या सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करेंगे. सीतारमण ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बजट पेश करते हुए पेट्रोल और डीजल पर कर मध्य वर्ग को दुखी करने के लिए नहीं, बल्कि पर्यावरणीय चिंताओं को देखते हुए बढ़ाए गए हैं.
वित्तमंत्री ने कहा, ‘मैं अगर मेट्रो की बेहतर कनेक्टिविटी, सार्वजनिक परिवहन और भविष्य के बेहतर परिवहन के लिए निवेश कर रही हूं, तो मैं एक कार में एक सवार की अपेक्षा सार्वजनिक वाहनों के उपयोग में व्यावहारिक बदलाव की उम्मीद करूंगी.’
सीतारमण ने अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से पेट्रोल और डीजल पर अतिरिक्त विशेष उत्पाद शुल्क और सड़क और बुनियादी ढांचे के उपकर को एक रुपये प्रति लीटर बढ़ाने की गुंजाइश हो गई है.
उन्होंने कहा, ‘मैंने किफायती घर खरीदने की लोगों को सहूलियत देने के लिए अगर कर घटाए हैं, तो क्या यह धनाड्य लोगों के लिए किया है? बिल्कुल नहीं, यह मध्य वर्ग के लिए है. मैंने अगर जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक कारों के उपयोग को बढ़ावा दिया है, तो यह पर्यावरण के प्रति हमारी वचनबद्धता के मद्देनजर है. मैं जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों के स्थान पर इलेक्ट्रिक वाहनों को लाकर भी मध्य वर्ग की मदद कर रही हूं.’
केंद्र सरकार ने 2019-20 के बजट में पेट्रोल और डीजल के उत्पाद शुल्क में दो प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव किया है.
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को रफ्तार देने और वाणिज्यिक क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार ने बजट में फास्टर एडोप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के दूसरे चरण (फेम-2 योजना) के लिए 10,000 करोड़ रुपये व्यय करने की घोषणा की है.