नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि जम्मू क्षेत्र में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले एक “पड़ोसी देश” (पाकिस्तान) की “लगातार पीड़ा” के कारण हैं, जो लोकसभा चुनावों में जम्मू-कश्मीर में मतदाताओं की अधिक संख्या को लेकर है.
दिप्रिंट को दिए एक विशेष इंटरव्यू में सिन्हा ने कहा कि पाकिस्तान घाटी में जी-20 बैठक जैसे अंतर्राष्ट्रीय आयोजन की सफलता को भी पचा नहीं पा रहा है.
उपराज्यपाल ने कहा कि पाकिस्तान अपने “आंतरिक हालात” से ध्यान हटाने के लिए जम्मू में अशांति फैलाकर अपने लोगों को लगातार “भ्रमित” कर रहा है.
जम्मू क्षेत्र में घुसपैठ करने वाले “विदेशी आतंकवादी” अच्छी तरह से प्रशिक्षित थे, उनके पास नाइट-विज़न कैमरे और “अत्याधुनिक” हथियार और गोला-बारूद थे.
सिन्हा ने कहा, “उनके पास से बरामद गोला-बारूद और जिस तरह से पिछली कुछ घटनाएं हुईं, मुझे लगता है कि उन्हें (पाकिस्तानी) सेना और आईएसआई (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) द्वारा प्रशिक्षित और भेजा गया है.”
2021 से जम्मू क्षेत्र में आतंकी हमलों में 50 से अधिक सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं. एलजी ने यह भी कहा कि आतंकवादियों ने पिछले 15 वर्षों से क्षेत्र में “शून्य आतंकवाद” देखे जाने के बाद उच्च पहुंच से सुरक्षा बलों को वापस लेने के भारत के फैसले का फायदा उठाया.
उन्होंने कहा कि इन रणनीतिक स्थानों पर सुरक्षा बलों की फिर से तैनाती पहले से ही चल रही है और एक बार ऐसा हो जाने के बाद, “आतंकवाद के हौसले को निश्चित रूप से कुचल दिया जाएगा”.
एलजी ने कहा, “जम्मू में मुझे जो एक फायदा नज़र आता है, वो यह है कि लोग आतंकवादियों को पनाह नहीं देंगे…पड़ोसी की साजिश को पूरा नहीं होने दिया जाएगा.” उन्होंने कहा कि घाटी से आतंकवादियों की भर्ती शून्य है और यहां कोई कमांडर नहीं है.
यह पूछे जाने पर कि कश्मीर में अस्थायी या स्थायी शांति है, सिन्हा ने कहा कि वर्तमान स्थिति को “अर्ध-स्थायी” कहा जा सकता है क्योंकि इसे स्थिर करने में कुछ और समय लग सकता है.
एलजी ने आगे कहा कि लोगों की मानसिकता बदल गई है क्योंकि वे समझ गए हैं कि उनका भविष्य भारत के साथ है. “एक ऐसा देश जो अपने नागरिकों को न्यूनतम सुविधाएं और आटा नहीं दे सकता, उसका जम्मू और कश्मीर के लोगों के लिए कोई भविष्य नहीं है. सीमा के इस तरफ बिजली, दवाइयां और शिक्षा है जबकि दूसरी तरफ आटे तक के लिए कतार लगी हुई है…शिक्षा की तो बात ही क्या करें?”
उन्होंने कहा कि “भारतीय राज्य का अधिकार” जम्मू और कश्मीर में पूरी तरह से स्थापित हो गया है और यह एक बड़ी उपलब्धि है.
सिन्हा ने घाटी में बदले हुए परिदृश्य के पीछे कई कारण गिनाए. सरकारी नौकरियों में 42,000 युवाओं की भर्ती, लाखों लोगों को लाभ पहुंचाने वाले स्वरोज़गार पर ध्यान, स्वयं सहायता समूहों में नौ लाख महिलाओं को जोड़ना, समग्र कृषि विकास योजना, निजी क्षेत्र में निवेश, पर्यटन में उछाल, ग्रामीण सड़कों, राजमार्गों, एक्सप्रेसवे और सुरंगों में 1.5 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं से लेकर स्वास्थ्य क्षेत्र में “क्रांतिकारी बदलाव” तक, इनमें शामिल हैं.
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने घाटी में शांति बहाल करने के लिए सुरक्षा बलों की भी सराहना की और कहा कि आतंकवाद के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को एक व्यवस्थित रणनीति के माध्यम से समाप्त कर दिया गया है. उन्होंने निष्कर्ष निकाला, “शांति खरीदी नहीं जा सकती. इसे स्थापित करना होगा.”
(इस इंटरव्यू को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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